Bihar Board Class 8 Social Science Solutions History Aatit Se Vartman Bhag 3 Chapter 7 ब्रिटिश शासन एवं शिक्षा Text Book Questions and Answers, Notes.
BSEB Bihar Board Class 8 Social Science History Solutions Chapter 7 ब्रिटिश शासन एवं शिक्षा
Bihar Board Class 8 Social Science ब्रिटिश शासन एवं शिक्षा Text Book Questions and Answers
पाठगत प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
मदरसा से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
अरबी भाषा में जहाँ सिखाया-पढ़ाया जाता है, उन स्थान को मदरसा कहा जाता है। यह स्कूल, कॉलेज के समान संस्था हो सकती है जहाँ बच्चे पढ़ते हैं।
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प्रश्न 2.
गतिविधि-जोन्स प्राचीन भारतीय ग्रंथों को पढ़ना जरूरी क्यों समझते थे-सोचें?
उत्तर-
विलियम जोन्स मानते थे कि प्राचीन काल में भारत अपने वैभव के शिखर पर था । वे भारत के प्रति आदर और सम्मान का भाव रखते थे। उनका मानना था कि अगर भारत की श्रेष्ठता को जानना है तो भारतीय ग्रंथों को पढ़ना जरूरी है।
प्रश्न 3.
गतिविधि-कल्पना करें, अंग्रेज भारतीय लोगों के मानस को अपने
अनुसार क्यों ढालना चाहते थे?
उत्तर-
अंग्रेज भारत में शासन करने के लिए अपनी शासन व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए कई भारतीयों को अपनी सेवा में लेना चाहते थे। इसके लिए जरूरी था कि ये भारतीय अंग्रेजी भाषा के जानकार हों और यूरोपीय भारतीयों को हीन समझें और यूरोपीयों को श्रेष्ठ । इसी कारण, अंग्रेज : भारतीय लोगों के मानस को अपने अनुसार ढालना चाहते थे।
अभ्यास-प्रश्न
प्रश्न 1.
सही विकल्प को चुनें।
प्रश्न (i)
विलियम जोंस भारतीय इतिहास, दर्शन और कानून के अध्ययन को क्यों जरूरी मानते थे?
(क) भारत में बेहतर अंग्रेजी शासन स्थापित करने के लिए
(ख) प्राचीन भारतीय पुस्तकों के अनुवाद (अंग्रेजी में) के लिए
(ग) अपने भारत प्रेम के कारण।
(घ) भारतीय ज्ञान-विज्ञान को बढ़ावा देने के लिए।
उत्तर-
(ग) अपने भारत प्रेम के कारण।
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प्रश्न (ii)
आधुनिक शिक्षा की भाषा किसको बनाया गया?
(क) हिन्दी
(ख) बांगला
(ग) अंग्रेजी
(घ) मराठी
उत्तर-
(ग) अंग्रेजी
प्रश्न (iii)
एशियाटिक सोसायटी ऑफ बंगाल की स्थापना किसने किया? :
(क) मैकाले
(ख) विलियम जोंस
(ग) कोलब्रुक
(घ) वारेन हेस्टिंग्स
उत्तर-
(ख) विलियम जोंस
प्रश्न (iv)
औपनिवेशिक शिक्षा ने भारतीयों के मस्तिष्क में हीनता का बोध पैदा
कर दिया? गाँधीजी ऐसा क्यों मानते थे?
(क) भारतीयों द्वारा पश्चिमी सभ्यता को श्रेष्ठ मानने के कारण
(ख) अंग्रेजी भाषा में शिक्षा के कारण
(ग) पाठ्य पुस्तकों पर शिक्षा को केन्द्रित करने के कारण
(घ) भारतीयों का अंग्रेजी शसन के समर्थन करने के कारण
उत्तर-
(क) भारतीयों द्वारा पश्चिमी सभ्यता को श्रेष्ठ मानने के कारण
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प्रश्न 2.
निम्नलिखित के जोड़े बनाएँ-
- विलियम जोंस ………… अंग्रेजी शिक्षा को प्रोत्साहन।।
- रवीन्द्रनाथ टैगोर …………. प्राचीन संस्कृतियों का सम्मान ।
- टॉमस मेकॉले ………… गुरु ।
- महात्मा गाँधी ……. प्राकृतिक परिवेश में शिक्षा।
- पाठशालाएँ ………. अंग्रेजी शिक्षा के विरुद्ध।
उत्तर-
- विलियम जोंस …………. प्राचीन संस्कृतियों का सम्मान ।
- रवीन्द्रनाथ टैगोर ………….. प्राकृतिक परिवेश में शिक्षा ।
- टॉमस मेकॉले …………. अंग्रेजी शिक्षा को प्रोत्साहन ।
- महात्मा गाँधी ………… अंग्रेजी शिक्षा के विरुद्ध ।
- पाठशालाएँ ………….. गुरु ।
आइए विचार करें
प्रश्न (i)
भारत के विषय में विलियम जोंस के विचार कैसे थे ? संक्षेप में बताएँ।
उत्तर-
विलियम जोन्स भारत के प्रति आदर और सम्मान का भाव अपने मन में रखते थे। वे मानते थे कि प्राचीन काल में भारत का वैभव शिखर पर था । वे भानते थे कि अगर भारत की श्रेष्ठता को जानना है तो उस समय लिखे जाने वाले महान् भारतीय ग्रन्थों जैसे वेद, उपनिषद्, स्मृति, धर्म-सूत्र को पढ़ना जरूरी है। उनका मानना था कि अगर भारत में एक बेहतर अंग्रेजी शासन कायम करना है तो इन भारतीय ग्रंथों को पढ़ना और समझना आवश्यक होगा।
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प्रश्न (ii)
टॉमस मेकॉले भारत में किस प्रकार की शिक्षा शुरू करना चाहते थे, इस सम्बन्ध में उनके क्या विचार थे?
उत्तर-
टॉमस मेकाले भारत में अंग्रेजी शिक्षा शुरू करना चाहते थे। उनका मानना था कि भारतीय शास्त्र अवैज्ञानिक और गलत सूचनाओं से भरे पड़े हैं। इसलिए पुरातन भारतीय शिक्षा पर इंग्लैंड का पैसा खर्च करना अनुचित है। उनका मानना था कि भारतीयों को व्यावहारिक जीवन की शिक्षा देनी चाहिए। उन्हें यह बताना आवश्यक है कि इंग्लैंड एवं अन्य यूरोपीय देश किस प्रकार एवं तकनीकी शिक्षा का प्रसार भारत में भी जरूरी है जो अंग्रेजी शिक्षा के माध्यम से ही मिल सकती है।
प्रश्न (iii)
भारत में अंग्रेजी शिक्षा का उद्देश्य क्या था? उसका स्वरूप कैसा था?
उत्तर-
1813 तक भारत में अंग्रेजी शासन का क्षेत्र काफी फैल चुका था। इस बड़े क्षेत्र पर शासन संचालन के लिए कर्मचारियों की एक बड़ी संख्या की आवश्यकता थी । इतने लोग इंगलैंड से नहीं आ सकते थे। सरकार को भारत में ही कर्मचारियों को तैयार करना था। अतः शासन के लायक काम के लिए उन्हें शिक्षित करना आवश्यक था । यह भारत में अभी तक प्रचलित शिक्षा से पूरा नहीं हो सकता था। इस बात ने शिक्षा के क्षेत्र में कुछ नया करने को अंग्रेजी सरकार को बाध्य किया। अत: अंग्रेजों ने अपने लिए कर्मचारियों की फौज खड़ी करने के लिए भारत में अंग्रेजी शिक्षा का प्रसार करने के उद्देश्य से शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करना शुरू किया।
प्रश्न (iv)
शिक्षा के विषय में महात्मा गाँधी एवं रवीन्द्रनाथ टैगोर के विचारों को बताएं। –
उत्तर-
महात्मा गाँधी एक ऐसी शिक्षा के पक्षधर थे जो भारतीयों के भीतर प्रतिष्ठा और स्वाभिमान का भाव पुनर्जीवित करें। उनकी दृढ़ मान्यता थी भारत में शिक्षा केवल भारतीय भाषाओं में ही दी जानी चाहिए। उनके मुताबिक, अंग्रेजी में दी जा रही शिक्षा भारतीयों को अपाहिज बना देती है अपने सामाजिक परिवेश से काट देती है और उन्हें “अपनी ही भूमि पर अजनबी” बना दे रही है।
उनकी राय में, विदेशी भाषा बोलने वाले, स्थानीय संस्कृति से घृणा करने वाले अंग्रेजी शिक्षित भारतीय अपनी जनता से जुड़ने के तौर-तरीके भूल चुके हैं। उनका मानना था कि शिक्षा मौखिक भी हो, जीवन के अनुभवों और व्यावहारिक ज्ञान भी दो । शिक्षा का उद्देश्य व्यक्ति का मस्तिष्क एवं और आत्मविकास होना चाहिए । केवल साक्षरता ही शिक्षा नहीं होती । हाथ से काम करना सीखना और हुनर भी सीखना जरूरी है, तभी मस्तिष्क और समझने की क्षमता, दोनों विकसित होंगे।
टैगोर का मानना था कि स्कूल मुक्त और रचनाशील हों, जहाँ विद्यार्थी अपने विचारों, और आकांक्षाओं को समझ सकें। टैगोर का मानना था कि सृजनात्मक शिक्षा को केवल प्राकृतिक परिवेश में ही प्रोत्साहित किया जा -सकता है।
टैगोर को लगता था कि बचपन का समय अपने आप सीखने का समय होना चाहिए । वह अंग्रेजों द्वारा स्थापित की गई शिक्षा व्यवस्था के कड़े और बंधनकारी अनुशासन से उसे मुक्त करना चाहते थे। उनका मानना था कि शिक्षक कल्पनाशील हों, बच्चों को समझाते हों और उनके अंदर उत्सुकता जानने की चाह विकसित करने में मदद करें। टैगोर के मुताबिक, वर्तमान स्कूल बच्चे की रचनाशीलता, कल्पनाशील होने के उसके स्वाभाविक गुण को मार देते हैं।
गांधीजी पश्चिमी सभ्यता और मशीनों व प्रौद्योगिकी की उपासना के कट्टर आलोचक थे। टैगोर आधुनिक पश्चिमी सभ्यता और भारतीय परंपरा के श्रेष्ठ तत्वों का सम्मिश्रण चाहते थे। उन्होंने शांति निकेतन में कला, संगीत और नृत्य के साथ-साथ विज्ञान और प्रौद्योगिकी की शिक्षा पर भी जोर दिया।
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प्रश्न (v)
अंग्रेज विद्वानों के बीच शिक्षा नीति के विषय में किस प्रकार के विवाद थे । इस सम्बन्ध में आप क्या सोचते हैं। बताएँ।
उत्तर-
1813 में ब्रिटिश संसद ने एक कानून बनाकर भारत में शिक्षा के क्षेत्र में प्रतिवर्ष एक लाख रुपए खर्च करने का निर्देश दिया। शिक्षा के क्षेत्र में खर्च करने के लिए पैसा तो मिल गया पर अब विवाद उठा कि इस पैसे को किस रूप में खर्च किया जाए। विलियम जोन्स जैसे कुछ अन्य अंग्रेजी विद्वानों का मानना था कि इस पैसे को भारतीय विद्या और ज्ञान के प्रसार में खर्च करना चाहिए। इनका कहना था कि भारतीयों को उनकी भाषा में ही पढ़ाया जाए इससे कर्मचारियों की आपूर्ति भी हो जाएगी साथ ही भारत की परम्परा को भी अंग्रेजों को जानने में सहायता मिलेगी।
जबकि जेम्स मिल और मैकॉले जैसे अंग्रेजी विद्वानों का मत था कि भारतीयों को अंग्रेजी में शिक्षा देकर उनके मानस को यूरोपीय सांचे में ढालने की शुरूआत करनी चाहिए। इससे अंग्रेजों को अंग्रेजी भारत में दक्ष अनगिनत भारतीय कर्मचारी मिल जाएंगे।
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आइए करके देखें
प्रश्न (i)
अपने घर या पड़ोस के बुजुर्गों से पता करें कि स्कूल में उन्होंने कौन-कौन सी चीजें पढ़ी थी ? अभी आप उसमें क्या बदलाव देखते हैं ?
प्रश्न (ii)
अंग्रेजी शासन के दौरान बिहार में आधुनिक शिक्षा के विकास के लिए जब प्रयास किया गया उसके विषय में वर्ग में शिक्षक के सहयोग – से परिचर्या करें।
उत्तर-
छात्र स्वयं करें।