Bihar Board Class 11 Home Science Solutions Chapter 7 किशोरों को कुछ विशेष आवश्यकताएँ

Bihar Board Class 11 Home Science Solutions Chapter 7 किशोरों को कुछ विशेष आवश्यकताएँ Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 11 Home Science Solutions Chapter 7 किशोरों को कुछ विशेष आवश्यकताएँ

Bihar Board Class 11 Home Science किशोरों को कुछ विशेष आवश्यकताएँ Text Book Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
भारतवर्ष एक देश है –
(क) विकसित देश
(ख) विकासशील देश
(ग) अर्द्ध-विकासशील देश
(घ) पिछड़ा
उत्तर:
(ख) विकासशील देश

प्रश्न 2.
पूर्व किशोरावस्था में लड़के को प्रतिदिन आवश्यक कैलोरी चाहिए –
(क) 2190
(ख) 2060
(ग) 1640
(घ) 2070
उत्तर:
(क) 2190

प्रश्न 3.
पूर्व किशोरावस्था में लड़कियों को आवश्यक कैलोरी चाहिए –
(क) 2450
(ख) 2660
(ग) 2640
(घ) 1970
उत्तर:
(घ) 1970

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प्रश्न 4.
पूर्व किशोरावस्था को प्रभावित करने वाले कारक हैं –
(क) 5
(ग) 6
(घ) 7
उत्तर:
(घ) 7

प्रश्न 5.
संतुलित आहार (Balance Diet) मिलता है – [B.M.2009A]
(क) दूध में
(ख) माँस
(ग) सोयाबीन में
(घ) पालक में
उत्तर:
(क) दूध में

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
किशोरावस्था की विशेष आवश्यकताओं से आप क्या समझती हैं ?
उत्तर-किशोरावस्था जीवनकाल का वह महत्त्वपूर्ण हिस्सा है जिसमें जटिल समस्याओं के समाधान हेतु कुछ महत्त्वपूर्ण विशेष आवश्यकताएँ होती हैं।

प्रश्न 2.
किशोरावस्था की आवश्यकताओं में लड़के और लड़कियों में अन्तर क्यों होता है ?
उत्तर:
किशोरावस्था में लड़के और लड़कियों में कई भौतिक अन्तर स्पष्ट दिखाई देने लगते हैं तथा इनमें कई आन्तरिक अन्तर भी आ जाते हैं जिससे उनकी शारीरिक आवश्यकताओं में भिन्नता आ जाती है।

प्रश्न 3.
किशोरावस्था में लड़के और लड़कियों में शारीरिक वृद्धि में क्या भिन्नता होती है ?
उत्तर:
लड़कों में लड़कियों की अपेक्षा बढ़ोत्तरी अधिक समय तक होती रहती है। लड़कियों में वृद्धि सामान्यत: 15 वर्ष की आयु तक समाप्त हो जाती है परन्तु लड़कों में इस आयु में बढ़ोत्तरी और तीव्र हो जाती है।

प्रश्न 4.
किशोरों में निम्न पोषण के मुख्य कारण क्या हैं ?
उत्तर:
किशोरों में निम्न पोषण के मुख्य कारण हैं-निर्धनता, अज्ञानता एवं परम्परागत भोजन सम्बन्धी आदतें, मानसिक अस्थिरता आदि।

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प्रश्न 5.
किशोरों के लिए प्रतिदिन व्यायाम करना क्यों आवश्यक है ?
उत्तर:
व्यायाम करने से मांसपेशियाँ क्रियाशील रहती हैं व उनकी कार्य करने की क्षमता बढ़ जाती है तथा आलस्य एवं निष्क्रियता दूर होती है और स्फूर्ति उत्पन्न होती है।

प्रश्न 6.
किशोरावस्था में मनोरंजन का क्या महत्त्व है ?
उत्तर:
किशोरावस्था में मनोरंजन से व्यक्तित्व का विकास होता है तथा मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है।

प्रश्न 7.
माता-पिता द्वारा किशोरों को समझना क्यों आवश्यक है ?
उत्तर:
किशोरावस्था में किशोरों को अनेक प्रकार की शारीरिक, मानसिक व सामाजिक समस्याएँ घेरती हैं जिनका उचित समाधान करना आवश्यक है। इसलिए माता-पिता द्वारा किशोरों को समझना आवश्यक है।

प्रश्न 8.
किशोरावस्था में होने वाले कुपोषण के दो प्रमुख कारण लिखें।
उत्तर:
किशोरावस्था अत्यन्त तीव्र व आकस्मिक गति से वृद्धि होने का काल है। इस कारण यदि उचित व पौष्टिक भोजन न मिले तो प्रायः किशोर कुपोषण के शिकार हो जाते हैं। कुपोषण के दो प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:

  • तीव्र वृद्धि के कारण बढ़ती हुई आवश्यकताएँ सामान्य आहार द्वारा पूरी न हो पाना ।
  • दिनचर्या नियमित न होने के कारण निश्चित समय पर भोजन न कर पाना ।

प्रश्न 9.
किशोरावस्था में आहार में लोहे की मात्रा को क्यों बढ़ाया जाना चाहिए?
उत्तर:
ऊतकों के निर्माण एवं रक्त की बढ़ोत्तरी के लिए लोहे की आवश्यकता किशोरावस्था में वयस्कों की अपेक्षा अधिक होती है। शारीरिक वृद्धि हेतु अतिरिक्त ऊर्जा चाहिए और ऊर्जा उत्पत्ति के लिए रक्त की ऑक्सीजन ले जाने की क्षमता अधिक होनी चाहिए । ऑक्सीजन ले जाने की क्षमता हीमोग्लोबिन की मात्रा पर निर्भर करती है जो एक प्रकार का लोहे का यौगिक होता है।

प्रश्न 10.
“किशोरावस्था में पोषण” से तात्पर्य समझाएँ।
उत्तर:
किशोरावस्था में तीव्र विकास एवं वृद्धि के कारण आहार में पर्याप्त व गुणात्मक पोषक तत्त्वों का दिया जाना “किशोरावस्था में पोषण” कहलाता है।

प्रश्न 11.
किशोरावस्था में ऊर्जा की आवश्यकता क्यों बढ़ जाती है ?
उत्तर:
किशोरावस्था अत्यन्त तीव्र व आकस्मिक वृद्धि की अवधि है। शारीरिक वृद्धि एवं अधिक क्रियाशीलता के लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है।

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प्रश्न 12.
शारीरिक व्यायाम करने से शरीर पर कौन-से दो प्रमुख प्रभाव पड़ते हैं ?
उत्तर:
शारीरिक व्यायाम करने से शरीर पर निम्नलिखित दो प्रभाव पड़ते हैं
(क) पुष्टिकर प्रभाव-नियमित रूप से व्यायाम करने से मांसपेशियाँ पुष्ट होती हैं।
(ख) सुधारात्मक प्रभाव-व्यायाम से मानसिक थकान कम होती है, अनुचित आसन की आदत में सुधार होता है।

प्रश्न 13.
किशोरावस्था में संतुलित आहार की प्राप्ति न होने के दो मुख्य कारण लिखें।
उत्तर:
किशोरावस्था तनाव व तूफान का काल माना जाता है। इसमें संतुलित आहार न मिलने के दो कारण निम्नलिखित हैं :

  • तीव्र वृद्धि स्फुरण के कारण शरीर की पौष्टिक आवश्यकताएँ बढ़ जाती हैं और उसके अनुरूप भोजन नहीं मिल पाता।
  • पोषण सम्बन्धी अज्ञानता के कारण भी पोषण संतोषजनक नहीं होता।

प्रश्न 14.
किशोरावस्था में कुपोषण से बचने हेतु कौन-कौन-से दो मुख्य उपाय हैं ?
उत्तर:

  • किशोरावस्था में संतुलित आहार सम्बन्धी प्रशिक्षण देना।
  • वृद्धि स्फुरण के कारण बढ़ती हुई प्रोटीन, कैल्शियम सम्बन्धी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु उत्तम प्रोटीनयुक्त खाद्य पदार्थ सम्मिलित करना ।

प्रश्न 15.
किशोरावस्था में कैल्शियम अधिक मात्रा में क्यों दिया जाना चाहिए?
उत्तर:
किशोरावस्था में तीव्र वृद्धि के कारण हड्डियों के बढ़ने हेतु व दाँतों की पुष्टता के लिए व शारीरिक क्रियाओं के लिए अधिक मात्रा में कैल्शियम दिया जाना चाहिए। कैल्शियम की पूर्ति के साथ फॉस्फोरस की पूर्ति स्वतः ही हो जाती है।

प्रश्न 16.
किशोरावस्था में. उचित वृद्धि हेतु कौन-कौन-से दो मुख्य उपाय हैं ?
उत्तर:
किशोरावस्था में उचित वृद्धि हेतु दो महत्त्वपूर्ण कारक हैं :

  • सन्तुलित एवं पौष्टिक भोजन
  • उचित व्यायाम।

लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
किशोरों के लिए आहार योजना (Meal Planning) करते समय किन प्रमुख बातों का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर:
किशोरों के लिए आहार योजना करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए –

  • उन्हें उत्तम व सन्तुलित भोजन उपलब्ध कराना व उसका उत्तम स्वास्थ्य से सम्बन्ध का ज्ञान कराना अति आवश्यक है। सामान्य भार सन्तुलित आहार का सूचक है। यदि कुपोषण है तो मुरझाया हुआ चेहरा व आँखें स्पष्ट दृष्टिगोचर होती हैं, परन्तु सुपोषण खिले हुए चेहरे का द्योतक है।
  • भोजन की पौष्टिकता पर विशेष ध्यान देना चाहिए। सभी वर्गों के पदार्थ बदल-बदल कर सम्मिलित किये जाने चाहिए।
  • वृद्धि स्फुरण के कारण बढ़ती हुई हड्डियों के लिए उत्तम प्रोटीन व दूध से बने पदार्थ सम्मिलित किये जाने चाहिये।
  • भोजन करने का समय नियमित रखना चाहिए।
  • तलना, भूनना व मिर्च मसालों का प्रयोग कम करना चाहिए।

प्रश्न 2.
भारतवर्ष में किशोरों के निम्न पोषण स्तर (Nutrition level) के क्या
मारतवर्ष एक विकासशील देश है। बढ़ती जनसंख्या के कारण खाद्यान्न प्रति व्यक्ति उपलब्ध नहीं हो पाते। को ज

किशोरों का पोषण स्तर निम्न होने के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं –

  • निर्धनता के कारण सन्तुलित आहार का उपलब्ध न होना।
  • पोषण सम्बन्धी अज्ञानता के कारण व परम्परागत कई त्रुटिपूर्ण भोजन सम्बन्धी रीति-रिवाजों के कारण आवश्यकतानुसार पोषण तत्त्व न मिल पाना।
  • दिनचर्या नियमित न होने के कारण उचित समय पर भोजन न ग्रहण कर पाना।
  • मानसिक अस्थिरता एवं चिड़चिड़ेपन के कारण सन्तुलित आहार ग्रहण करने में असमर्थता।
  • लड़कियों के स्थूल होने के भय से ‘डायटिंग’ की प्रथा जिसमें पौष्टिक पदार्थों विशेषतः दूध का समावेश न करना।
  • मानसिक तनावों व भावनात्मक दबावों के कारण पौष्टिक तत्त्वों की आवश्यकता में बढ़ोत्तरी होना व उनके अनुरूप पोषक तत्त्व ग्रहण न कर पाना।

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प्रश्न 3.
किशोरावस्था में निर्देशन (Guidance) का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
1. निर्देशन (Guidance):

1. व्यक्तिगत निर्देशन (Personal Guidance): किशोर की व्यक्तिगत समस्याओं की खोज और समाधान से सम्बन्धित निर्देशन ।

2. सामूहिक निर्देशन (Group Guidance): यह सामूहिक क्रिया है जिसका मुख्य उद्देश्य समूह में प्रत्येक व्यक्ति को इस प्रकार व्यक्तिगत सहायता पहुँचाना होता है कि वह अपनी समस्याओं को सुलझा सके और समायोजन स्थापित कर सके। कई बार कोई समस्या एक किशोर की नहीं बल्कि पूरे समूह की होती है। तब इस प्रकार के निर्देशन की आवश्यकता होती है।

3. शैक्षिक निर्देशन (Educational Guidance): वह सहायता जो किशोरों को इसलिए प्रदान की जाती है कि वे अपने लिए उपयुक्त विद्यालय, पाठ्यक्रम, पाठ्य-विषय तथा अन्य क्रियाओं का चयन कर सकें और उनसे समायोजन स्थापित कर सकें।

4. व्यावसायिक निर्देशन (Occupational Guidance): वह निर्देशन जिसके द्वारा किशोर अपने लिए उपयुक्त व्यवसाय का चुनाव कर पाता है, उसके लिए तैयारी करता है और उस व्यवसाय में प्रवेश करके उन्नति करता है।

5. स्वास्थ्य निर्देशन (Health Guidance): स्वास्थ्य निर्माण तथा उसकी रक्षा के लिए दिया गया निर्देशन जिसका पालन करके किशोर शारीरिक ही नहीं, मानसिक रूप से भी स्वस्थ रहता है।

प्रश्न 4.
मनोरंजन और व्यायाम का क्या सम्बन्ध है?
उत्तर:
मनोरंजन और व्यायाम (Entertainment and Exercise) पूर्व किशोरावस्था के आरम्भ तक बालक काफी खेलता-कूदता है और उसी से उसका पर्याप्त व्यायाम हो जाता है, परन्तु धीरे-धीरे वह एकांतप्रिय तथा साथी-समूह से दूर होता जाता है जिसके कारण उसके खेल-कूद में भारी कमी आ जाती है। इससे उसका शारीरिक ही नहीं, मानसिक स्वास्थ्य भी बिगड़ सकता है। अत: उन्हें इसके लिए प्रेरित किया जाना आवश्यक है।

स्वयं को. सम्मिलित करके उनके आत्मविश्वास को दृढ़ किया जा सकता है। साधारणतया लड़कियों के रजःस्राव के कारण वे मानसिक रूप से खिन्न तथा चिंतित हो जाती हैं और बाहर निकल कर अपने साथीसमूह में मिलकर खेलों में भाग नहीं ले पातीं और स्वयं को एकान्त में कैद करने की कोशिश करती हैं। उचित मार्ग प्रशस्त करके तथा उनकी सुविधाओं का आवश्यकतानुसार ध्यान रखकर उन्हें इस तनाव की स्थिति से बाहर निकालने में माता तथा शिक्षिका का अद्भुत योगदान हो सकता है।

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खेल के द्वारा व्यायाम होता है इसमें कोई शंका नहीं, परन्तु सक्रिय खेल ही व्यायाम करा पाते हैं। निष्क्रिय या मन बहलाव के खेल ज्यादा श्रम नहीं कराते तथा उनमें बालक कम से कम गतियाँ करके न्यूनतम ऊर्जा खर्च करता है । अतः उन्हें सक्रिय खेलों में भाग लेने के लिए उत्साहित किया जाना चाहिए। इसके लिए सबसे अच्छा उपाय उन्हें उनके मनपसंद कार्य में संलग्न कर देना है जैसे कुछ किशोरों को बाजार जाकर वयस्कों की भाँति खरीदारी करना आदि।

प्रश्न 5.
मनोरंजन के कोई तीन स्रोतों का वर्णन करें जो आपको सबसे अधिक रुचिकर लगते हैं।
उत्तर:
जिस प्रकार शारीरिक विकास के लिए उचित व्यायाम महत्त्वपूर्ण है ठीक उसी प्रकार मानसिक, सामाजिक एवं संवेगात्मक विकास के लिए स्वस्थ मनोरंजन आवश्यक है। मनोरंजन सभी के लिए अनिवार्य है और किशोरावस्था में इसका महत्त्व और भी बढ़ जाता है क्योंकि बिना मनोरंजन के सन्तुलित व्यक्तित्व को बनाये रखना सम्भव नहीं। किशोरों के लिए मनोरंजन का अर्थ पूर्णतया बदल जाता है । वही खेल तथा कार्यकलाप जो बाल्यावस्था में आनंददायी होते थे अब बचकाने तथा समय नष्ट करने वाले बन जाते हैं। उनकी मनोरंजन सम्बन्धी रुचियाँ भी बदल जाती हैं। इस अवस्था में मनोरंजन के तरीके बदल जाते हैं।

मनोरंजन जिनमें अधिक शक्ति व्यय होती है के स्थान पर ऐसे मनोरंजन पसंद किये जाने लगते हैं जिनमें खिलाड़ी निष्क्रिय दर्शक होता है। मनोरंजन के तीन स्रोत जो अधिक रुचिकर लगते हैं वे हैं पढ़ना, सिनेमा और रेडियो व टेलीविजन सुनना व देखना आदि। पढ़ने में लड़कियाँ रोमांस वाली व लड़के विज्ञान और आविष्कारों की पुस्तकें एढ़ना पसन्द करते हैं। प्रेमप्रधान, साहसिक तथा हँसी-मजाक वाले सिनेमा पसन्द किये जाते हैं। रेडियो व टेलीविजन.सबसे प्रिय मनोरंजन का साधन बन गये हैं क्योंकि ये सभी आर्थिक स्थिति के लोगों के लिए सुविधापूर्ण मनोरंजन के साधन हैं।

प्रश्न 6.
माता-पिता को अपने किशोर बच्चों को समझना क्यों आवश्यक है ?
उत्तर:
माता-पिता को अपने किशोर बच्चों को समझना अति आवश्यक है ताकि उसका विकास सही दिशा में हो और उसका व्यक्तित्व एक संतुलित व्यक्तित्व बन सके। किशोरों की समस्याओं का समाधान केवल तभी सम्भव है जब माता-पिता उनकी समस्याओं को समझें तथा उनके समाधान में सहायता करें। कई बार माता-पिता की नासमझी किशोर को पथभ्रष्ट भी कर सकती है क्योंकि वे अपनी समस्याओं के समाधान हेतु किसी गलत व्यक्ति की भी सलाह ले सकते हैं। यदि माता-पिता अपने किशोर की रुचियों एवं विश्वासों को भली प्रकार जान लें तो उसके उज्ज्वल भविष्य की कामना की जा सकती है।

यदि बच्चे की विज्ञान में रुचि नहीं है तो उसे विज्ञान लेने के लिए कभी भी बाध्य नहीं करना चाहिए। माता-पिता उनकी अभिवृत्तियों को प्रोत्साहित करके उनकी योग्यताओं और कुशलताओं में वृद्धि कर सकते हैं। माता-पिता के लिए यह आवश्यक है कि वह किशोरों के मित्रों के बारे में पूर्ण जानकारी रखें। उस गुट की भी पूर्ण जानकारी रखें जिसमें किशोर उठता-बैठता है और अपने अवकाश का समय बिताता है। किशोर अपराध को रोकने के लिए माता-पिता को अपने किशोरों की आवश्यकताओं को समझना अति आवश्यक है।

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प्रश्न 7.
पूर्व किशोरावस्था (Early Maturity) में माता-पिता के प्रति किशोर किस प्रकार का व्यवहार करता है ?
उत्तर:
नव किशोर का अपने माता-पिता के प्रति आरम्भ में मधुर सम्बन्ध नहीं होता। नव किशोर माता-पिता द्वारा ऐसे व्यवहार की अपेक्षा नहीं करता जैसे उसके बचपन में वे उससे करते रहे हैं। माता-पिता यदि किशोर की आवश्यकताओं या समस्याओं को ठीक प्रकार से न समझें तो किशोर माता-पिता को चिढ़ाने वाली सभी करतूतें करता है।

जैसे-सबसे तर्क करना, सबकी बातों की नुक्ताचीनी करते रहना, कर्त्तव्यों का पालन न करना, माता-पिता की आज्ञाओं का उल्लंघन करना आदि। इस कारण माता-पिता उसे टोकते हैं, या बिना सजा दिये स्वीकार नहीं कर पाते। परिणामस्वरूप किशोरावस्था में संघर्ष और अधिक बढ़ जाता है। माता-पिता व नवकिशोर के सम्बन्ध तनावपूर्ण हो जाते हैं। परन्तु यदि अभिभावक समझदारी का रवैया अपनाएँ तो किशोरों की उन्नति का :मार्ग स्वयं ही प्रशस्त हो जाता है।

प्रश्न 8.
भोजन नियंत्रण के कारण किशोर में हुई दो कठिनाइयों के बारे में बताइए। अत्यधिक भार को कम करने के लिए किशोर को दो उपाय समझाइए।
उत्तर:

  • ऊर्जा का ह्रास (Loss of Energy)
  • कमी के रोग (Defficiency Disease)
  • तनाव (Depression)।

सुझाव (Suggestion)

  • संतुलिता 4769 (Balanced Diet)
  • व्यायाम (Exercise)।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
किशोरावस्था में व्यायाम के महत्त्व को समझाएं।
उत्तर:
किशोरावस्था तीव्र व असमान वृद्धि की अवधि है जिसमें शरीर अत्यन्त तीव्र गति से बढ़ोत्तरी करता है। अतः इस अवस्था में व्यायाम का महत्त्व भी बढ़ जाता है। आधुनिक युग में जब हाथों द्वारा कम व मशीनों द्वारा अधिक काम किया जाता है, तब उचित व्यायाम द्वारा ही शारीरिक स्वस्थता को बनाये रखा जा सकता है। शारीरिक व्यायाम तीन प्रभावों के कारण जीवन में महत्त्व रखता है –
(क) पुष्टिकर प्रभाव
(ख) सुधारात्मक प्रभाव
(ग) विकासात्मक प्रभाव (Health Effect)

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(क) पुष्टिकर प्रभाव: नियमित रूप से व्यायाम करने से शरीर के समस्त अंग समान रूप से पुष्ट होते हैं। शरीर में शीघ्र ऊष्मा उत्पन्न होने के कारण रक्त प्रवाह में तीव्रता आती है। तन्तुओं को ऑक्सीजन अधिक मात्रा में मिलते हैं, परिणामस्वरूप मांसपेशियों में दृढ़ता आती है। इतना ही नहीं पाचन संस्थान, शक्ति संस्थान शक्तिशाली होता है जिससे भोजन के पाचन, अवशोषण और निष्कासन में तीव्रता आती है।

(ख) सुधारात्मक प्रभाव (Improvemental Effect): व्यायाम से मानसिक थकान कम होती है। अनुचित आसन की आदत में सुधार होता है। व्यायाम से अनुचित शरीर जैसे कन्धों का झुका होना, पैर की हड्डी का झुकाव इत्यादि में सुधार लाया जा सकता है।

(ग) विकासात्मक प्रभाव (Developmental Effect): निरन्तर व्यायाम से चहुँमुखी विकास पर प्रभाव पड़ता है। शारीरिक वृद्धि सामान्य होती है, मानसिक शक्ति बढ़ती है, इच्छाओं पर नियन्त्रण होता है और व्यक्ति नियमों का पालन कर अनुशासित होकर जीना सीखता है।

प्रश्न 2.
किशोरावस्था को कितने भागों में बाँटा जा सकता है ? – [B.M. 2009A]
उत्तर:
से 18 वर्ष के बीच के अवस्था को किशोरावस्था कहते हैं। हर व्यक्ति के जीवन में अवस्था सर्वाधिक मा.त्वपूर्ण होती है। जी स्टेनेल हॉल ने इसे तूफान और तनाव की अवस्था कहा है। किशोरावस्था के अध्ययन करने के लिए इसे तीन अवधियों में बाँटा जा सकता है।

  • पूर्व किशोरावस्था
  • मध्य किशोरावस्था
  • उत्तर किशोरावस्था

1. पूर्व किशोरावस्था-पूर्व किशोरावस्था 12 से 15 वर्ष की आयु की व्युवटि पिरीयड कहते है इस अवधि में शारीरिक परिवर्तन शुरू होता है क्या किशोर इन परिवर्तन के कारण सजग हो जाते है। इस अवस्था में हार्मोनल परिवर्तन के कारण लैंगिक परिपक्वता आरंभ होती है। लड़कों की अपेक्षा लड़कियों का विकास तीव्र गति से होता है। यही कारण कि वे लड़कों के मुकाबले बड़ी होती है।

पूर्व किशोरावस्था को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं –

  • अंत:स्रावी ग्रंथियों की क्रियाएँ
  • अनुवांशिक
  • पोषक एवं स्वास्थ्य
  • सामाजिक स्तर,
  • आर्थिक स्तर,
  • क्षेत्र का तापमान
  • व्यक्तिगत भिन्नता

2. मध्य किशोरावस्था: 15 से 16 वर्ष की आयु को मध्य किशोरावस्था कहते हैं। इस अवस्था में हो रहे परिवर्तन को जल्दी स्वीकार नहीं किया जाता है। इस अवस्था को. ‘टिन्स’ अवस्था भी कहते हैं। टीन्स अवस्था में हो रहे परिवर्तन का असर किशोरों की सोच सामाजिक संबंध पर पड़ता है। यह उनके नए व्यक्तित्व की नींव का आधार बनता है।

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3. उत्तर किशोरावस्था: इस अवस्था में किशोर की आयु 16 से 18 वर्ष की होती है तथा परिवर्तन लगभग पूर्ण हो जाते हैं। इस आयु में सभी प्रकार के विकास, शारीरिक मानसिक, संवेगात्मक विकास एक साथ चलते हैं। 16 से 18 वर्ष की आयु को ‘सुनहरी अवस्था’ भी कहतें हैं। लड़कियों के परिपक्व होने की अधिकतम आयु सीमा 18 वर्ष एवं लड़कों की 21 वर्ष निध रिक्त की गई है।

प्रश्न 3.
किशोरावस्था की दैनिक पौष्टिक आवश्यकताएँ क्या हैं?
उत्तर:
किशोरावस्था की दैनिक पौष्टिक आवश्यकताएँ निम्नलिखित हैं:

किशोरावस्था की. दैनिक पौष्टिक आवश्यकताएँ –
(Daily Nutritional Requirement of Adolescent)
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1. ऊर्जा की आवश्यकता (Requirement of Energy): किशोरावस्था में शारीरिक वृद्धि एवं अधिक क्रियाशीलता के लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। 13-14 वर्ष के लड़कों को 2450 कैलोरी तथा 16-18 वर्ष के लड़कों को 2640 कैलोरी की आवश्यकता होती है। लड़कियों को लड़कों की अपेक्षा कम ऊर्जा की आवश्यकता होती है। किशोर लड़कियों को केवल 2060 कैलोरी की आवश्यकता होती है।

2. प्रोटीन की आवश्यकता (Requirement of Protein): किशोरावस्था में प्रोटीन की आवश्यकता अत्यधिक होती है। 13-15 वर्ष के लड़कों को 70 ग्राम तथा 16-18 वर्ष के लड़कों को 78 ग्राम प्रोटीन की आवश्यकता होती है। 13-15 वर्ष की लड़कियों के लिए 65 ग्राम प्रोटीन की आवश्यकता होती है, जो 16-18 वर्ष की लड़कियों के लिए घट कर 63 ग्राम हो जाती है।

3.विटामिनों की आवश्यकता (Requirement of vitamins): ‘बी’ समूह के विटामिनों के अतिरिक्त अन्य विटामिनों की आवश्यकता किशोरों को वयस्कों के समान होती है। किशोरावस्था में कैलोरी की मात्रा बढ़ने के कारण थायमिन, राइबोफ्लेविन एवं निकोटिनिक अम्ल की आवश्यकता बढ़ जाती है।

4. खनिज लवणों की आवश्यकता (Requirement of Minerals): किशोरावस्था में लड़के और लड़कियाँ दोनों के लिए कैल्शियम की आवश्यकता अधिक होती है। हड्डियों के बढ़ने, दांतों की पुष्टता और अनेक शारीरिक क्रियाओं के लिए उचित मात्रा में कैल्शियम की प्राप्ति अनिवार्य है। ऐसा विश्वास किया गया है कि किशोरों में मानसिक द्वन्द्व एवं तनावों के कारण शरीर में कैल्शियम संचित नहीं हो पाता है। अतः आहार में प्रतिदिन कैल्शियमयुक्त पदार्थ सम्मिलित करना अति आवश्यक है।

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13-15 वर्ष के किशोरों को 600 मिग्रा कैल्शियम तथा 1618 वर्ष के किशोरों को 500 मिग्रा कैल्शियम की आवश्यकता होती है। कैल्शियम की पूर्ति के साथ फास्फोरस की पूर्ति स्वतः हो जाती है। न किशोरावस्था में ऊतकों के निर्माण एवं रक्त की बढ़ोत्तरी के लिए लोहे की आवश्यकता वयस्कों से अधिक होती है।

किशोर लड़के को लड़कियों की अपेक्षा अधिक लोहे की आवश्यकता होती है क्योंकि इनमें शारीरिक वृद्धि तीव्र गति से होती है। 13-15 वर्ष के लड़कों को 41 मिग्रा. तथा 16-18 वर्ष के लड़कों को 50 मिग्रा. लोहे की आवश्यकता होती है। इसी प्रकार 13-15 वर्ष की लड़कियों को 28 मिग्रा. तथा 16-18 वर्ष की लड़कियों को 30 मिग्रा. लोहे की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 4.
मनोरंजन द्वारा व्यक्तित्व का निर्माण कैसे होता है ?
उत्तर:
मनोरंजन द्वारा व्यक्तित्व का निर्माण (Personality development through entertainment)

  1. मनोरंजन द्वारा मानसिक संतुष्टि मिलती है जिससे व्यक्ति अपने तनावों इत्यादि को भूलता है।
  2. शारीरिक खेलों द्वारा मनोरंजन करने से शारीरिक व्यायाम भी हो जाता है।
  3. कार्य करने की नई शक्ति तथा क्षमता मिलती है।
  4. मनोरंजन द्वारा अपने मित्रों, बड़ों तथा छोटों से सम्बन्ध बनाने में सहायता मिलती है।
  5. मानसिक खेलों जैसे चेस (Chess) आदि द्वारा मनोरंजन करने से मानसिक व्यायाम हो . जाता है।
  6. विषमलिंगियों से सम्बन्ध बनाने में सहायता मिलती है।
  7. मनोरंजन के लिए किताबें पढ़ने, टी.वी. देखने, अखबार पढ़ने तथा रेडियो सुनने से ज्ञान भी बढ़ता है।
  8. मनोरंजन की विभिन्न स्थितियों द्वारा विभिन्न लोगों से मिलना-जुलना तथा समाज के नियमों और कानूनों जैसे चौराहे पर लाल बत्ती (Red light) को जानने का अवसर मिलता है।
  9. अकेले रहकर मनोरंजन करनेवाले किशोरों को एकांत की महत्ता का ज्ञान होता है और वे कम आयु में अधिक विचारने वाले और अधिक दार्शनिक प्रवृत्ति के हो जाते हैं।
  10. मनोरंजन से किशोरों की कुंठाएं (Frustration) दूर होती हैं और वे फिर से अपनी सामान्य अवस्था में आ जाते हैं।
  11. मनोरंजन किशोरों के बहुमुखी विकास के लिए एक महत्त्वपूर्ण टॉनिक (Tonic) का कार्य करता है।

प्रश्न 5.
शारीरिक व्यायाम का शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर:
शारीरिक व्यायाम का प्रभाव (Effect of Physical exercise):
(क) पुष्टिकर प्रभाव
(ख) सुधारात्मक प्रभाव
(ग) विकासात्मक प्रभाव

(क) पुष्टिकर प्रभाव (Health Effect): नियमित रूप से व्यायाम करने से शरीर के समस्त अंग समान रूप से पुष्ट होते हैं। इससे शरीर में शीघ्र ही ऊष्मा उत्पन्न हो जाती है। हृदय गति तीव्र हो जाती है। इस प्रकार रक्त प्रवाह में तीव्रता आ जाती है। समस्त शरीर के तन्तुओं को ऑक्सीजन और ग्लाइकोजन अधिक मात्रा में प्राप्त होता रहता है। परिणामस्वरूप मांसपेशियों में दृढ़ता आती है।

व्यायाम करते समय श्वास की गति तेज हो जाती है जिससे फेफड़े अधिक स्वस्थ रहते हैं और शरीर की शक्ति में वृद्धि होती है। शरीर अधिक मात्रा में श्वसन द्वारा ऑक्सीजन ग्रहण करता है तथा अशुद्धियों का कार्बन डाइऑक्साइड के रूप में निष्कासन करता है। व्यायाम से पाचन संस्थान शक्तिशाली होता है, पाचन शक्ति बढ़ती है तथा शरीर के मल निष्कासन में सहायता मिलती है और अपच, कब्ज आदि रोग दूर हो जाते हैं।

(ख) सुधारात्मक प्रभाव (Improvement Effect): व्यायाम से मानसिक थकान कम होती है, अनुचित आसन की आदत में सुधार होता है और शारीरिक विकृतियों जैसे झुके कन्धे, रीढ़ की हड्डी का झुकाव व चपटे पैर आदि में पूर्णतः सुधार लाया जा सकता है।

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(ग) विकासात्मक प्रभाव (Development Effect): निरन्तर नियमित रूप से व्यायाम करने से मांसपेशियों के आकार तथा शक्ति में विकास होता है और मांसपेशियों पर इच्छा-शक्ति का नियंत्रण बढ़ जाता है।

व्यायाम सम्बन्धी कुछ नियम (Laws of Exercise):
व्यायाम सम्बन्धी निम्नलिखित नियमों का पालन करना आवश्यक है –

  • व्यायाम ऐसा होना चाहिए जिससे शरीर के समस्त अंग जिन्हें विकास की आवश्यकता हो, समान रूप से लाभ उठा सकें।
  • व्यायाम धीरे-धीरे सरल से कठिन की ओर करने चाहिए । अत्यन्त कठिन व्यायाम नहीं करने चाहिए क्योंकि इससे हृदय पर जोर पड़ने का भय पाता है। व्यायाम की मात्रा धीरे-धीरे नित्य प्रति बढ़ानी चाहिए।
  • व्यायाम करने के कम-से-कम एक घण्टा पश्चात् पसीना सूखने पर स्नान अवश्य करना चाहिए । पसीना सूखने पर त्वचा पर मैल जमा रह जाता है जिसे स्वच्छ करना अत्यन्त आवश्यक
  • व्यायाम नियमित रूप से खुले हवादार स्थान में करना चाहिए जिससे फेफड़ों में शुद्ध वायु द्वारा ऑक्सीजन अधिक मात्रा में पहुँचे।
  • अस्वस्थ व्यक्तियों को व्यायाम नहीं करना चाहिए।
  • व्यायाम के बाद थोड़ी देर आराम करना आवश्यक है।
  • मानसिक कार्य करने वालों को हल्के व्यायाम करने चाहिए जैसे टेनिस, फुटबॉल, बॉलीवल आदि खेलना उनके लिए उचित व्यायाम है।
  • व्यायाम करने से पूर्व भोजन नहीं करना चाहिए या भोजन करने के तुरत बाद व्यायाम नहीं करना चाहिए।
  • व्यायाम करने का सर्वोत्तम समय प्रात:काल का है। सायंकाल खेलकूदों में भाग लेकर व्यायाम किया जा सकता है।
  • व्यायाम हर आयु के व्यक्ति के लिए भिन्न होना चाहिए। बालकों, किशोरों, प्रौढ़ों तथा वृद्धों का व्यायाम अलग-अलग प्रकार का होना चाहिए। किशोर बालकों तथा प्रौढ़ों की अपेक्षा तेज व्यायाम कर सकते हैं।

प्रश्न 6.
माता-पिता द्वारा किशोरों को समझे जाने की आवश्यकता क्यों है ?
उत्तर:
माता-पिता द्वारा समझे जाने की आवश्यकता (Understanding of Parents)किशोरों के पूर्ण व्यक्तित्व के विकास के लिए यह अति आवश्यक है कि माता-पिता उसे भली प्रकार समझें और उसके विकास में सहायक हों।

1. माता-पिता द्वारा किशोरों की समस्याओं को समझना (Understanding the problems of adolescents by the parents): किशोरों की समस्याओं का समाधान केवल तभी सम्भव है जब माता-पिता उनकी समस्याओं को समझें तथा उनके समाधान में सहायता करें।

किशोरावस्था में किशोरों को अनेक प्रकार की शारीरिक, मानसिक व सामाजिक समस्याएँ घेरती हैं जिनका उचित समाधान करना आवश्यक है। माता-पिता ही अपने बच्चों के सबसे बड़े शुभचिन्तक होते हैं और वे ही उनकी समस्याओं को भली प्रकार समझकर उनका समाधान निकाल सकते हैं। कई बार माता-पिता की नासमझी के कारण किशोर अपनी समस्याओं के समाधान हेतु गलत व्यक्तियों का सहरा लेते हैं और अनेक उलझनों में फंस जाते हैं।

Bihar Board Class 11 Home Science Solutions Chapter 7 किशोरों को कुछ विशेष आवश्यकताएँ

2. माता-पिता को किशोरों के मित्रों व उसके समूह को समझना (Understanding the friends and their group of adolescents): माता-पिता के लिए आवश्यक है कि वह किशोरों के मित्रों के बारे में पूर्ण जानकारी रखें तथा उस गुट की भी जानकारी रखें जिसमें किशोर उठता-बैठता है और अपने अवकाश का समय बिताता है । कई बार किशोर गलत मित्रों का चयन करके अनेक असामाजिक तत्त्वों से प्रभावित हो जाते हैं जिससे उनमें अपराध की प्रवृत्ति आती है। किशोर-अपराध को रोकने के लिए माता-पिता को अपने किशोरों की आवश्यकताओं को समझना अति आवश्यक है।

3. माता-पिता द्वारा किशोरों की रुचियों, अभिवृत्तियों एवं विश्वासों को समझना (Understanding the interest, taste and confidence of adolescents): माता-पिता को अपने किशोर बच्चों की रुचियों एवं विश्वासों को भली प्रकार समझना बहुत आवश्यक है क्योंकि इन्हीं के आधार पर किशोर अपने भविष्य का निर्माण करता है।

कई बार माता-पिता बिना सोचे-समझे किशोरों के भविष्य के बारे में ऐसे निर्णय ले लेते हैं जो उनकी रुचियों, अभिवृत्तियों आदि से भिन्न होते हैं जिससे किशोरों के सामने समायोजन की समस्याएँ आती हैं। उदाहरण के लिए कई बार विज्ञान में रुचि न होते हुए भी माता-पिता की नासमझी के कारण बच्चे को विज्ञान पढ़ना पड़ता है जिससे किशोर कक्षा में पिछड़ा हुआ रहता है तथा हीनभावना से ग्रस्त भी हो सकता है।

माता-पिता को किशोरों की शारीरिक, मानसिक व सामाजिक आवश्यकताओं की जानकारी प्राप्त करके उन्हें उनकी सभी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु ऐसा घर व वातावरण प्रयुक्त करवाना चाहिए जिसमें परिवार के सदस्यों में परस्पर स्नेह, मैत्री, सभी के अधिकारों व आवश्यकताओं को समझने की क्षमता हो, जिससे उनके व्यक्तित्व का विकास हो सके। घर ऐसा होना चाहिए जिसमें प्रजातांत्रिक वातावरण तथा माता-पिता के मध्य उचित समायोजन हो।