Bihar Board Class 12 Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फ़िनॉल एवं ईथर Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.
BSEB Bihar Board Class 12 Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फ़िनॉल एवं ईथर
Bihar Board Class 12 Chemistry ऐल्कोहॉल, फ़िनॉल एवं ईथर Text Book Questions and Answers
पाठ्यनिहित प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 11.1
निम्नलिखित को प्राथमिक, द्वितीकय एवं तृतीयक ऐल्कोहॉल में वर्गीकृत कीजिए –
उत्तर:
प्राथमिक ऐल्कोहॉल (i), (ii), (iii)
द्वितीयक ऐल्कोहॉल (iv) तथा (v)
तृतीयक ऐल्कोहॉल (vi)
प्रश्न 11.2
उपर्युक्त उदाहरणों में से ऐलिलिक ऐल्कोहॉलों को पहचानिए।
उत्तर:
ऐलिलिक ऐल्कोहॉल (ii) तथा (vi)
प्रश्न 11.3
निम्नलिखित यौगिकों के आइ०यू०पी० ए०सी० (IUPAC) नाम पद्धति से नाम दीजिए –
उत्तर:
- 3 – क्लोरोमेथिल – 2 – आइसोप्रोपिल-पेन्टेन – 1 – ऑल
- 2, 5 – डाइमेथिलहेक्सेन – 1, 3 – डाइऑल
- 3 – ब्रोमोसाइक्लोहेक्सेन – 1 – ऑल
- हेक्स – 1 – ईन – 3 – ऑल
- 2 – ब्रोमो – 3 – मेथिलब्यूट – 2 – ईन – 1 – ऑल
प्रश्न 11.4
दर्शाइए कि मेथेनल पर उपर्युक्त ग्रीन्यार अभिकर्मक से अभिक्रिया द्वारा निम्नलिखित ऐल्कोहॉल कैसे विरचित किए जाते हैं?
उत्तर:
प्रश्न 11.5
निम्नलिखित अभिक्रिया के उत्पादों की संरचना लिखिए –
उत्तर:
2. NaBH4 एक दुर्बल अपचायक है, यह कीटोन समूह को द्वितीयक ऐल्कोहालिक समूह में अपचयित कर सकता है, परन्तु एस्टर को नहीं।
प्रश्न 11.6
यदि निम्नलिखित एल्कोहॉल क्रमशः
(क) HCl – ZnCl2
(ख) HBr
(ग) SOCl2 से अभिक्रिया करें तो आप अपेक्षित उत्पादों की संरचनाएँ दीजिए।
(i) ब्यूटेन – 1 – ऑल
(ii) 2 – मेथिलब्यूटेन – 2 – ऑल
उत्तर:
(क) HCl – ZnCl2 (ल्यूकास अभिकर्मक) के साथ [With HCl – ZnCl2 (Lucas reagent)]:
(ख) HBr के साथ (With HBr):
प्रश्न 11.7
- 1 – मेथिलसाइक्लोहेक्सेनॉल और
- ब्यूटेन – 1 – ऑल के अम्ल उत्प्रेरित निर्जलन के मुख्य उत्पादों की प्रागुक्ति कीजिए।
उत्तर:
1. 1 – मेथिलसाइक्लोहेक्सेनॉल अम्ल द्वारा उत्प्रेरित निर्जलन पर दो उत्पाद, I तथा II देता है। चूंकि उत्पाद (I) अधिक प्रतिस्थापित है, अत: सेजफ नियम से यह मुख्य उत्पाद है।
2. ब्यूटेन – 1 – ऑल का अम्ल उत्प्रेरित निर्जलन पर ब्यूटेन – 2 – ईन मुख्य उत्पाद देता है। ऐल्कोहॉलों का निर्जलन कार्बोकैटायन माध्यमिकों के द्वारा होता है। अत: यह दो प्रोटॉन निकालकर ब्यूट – 2 – ईन या ब्यूट – 1 – ईन बनाता है। सेजफ के नियम से मुख्य उत्पाद ब्यूट – 2 – ईन है क्योंकि यह अधिक स्थाई है।
प्रश्न 11.8
ऑर्थो तथा पैरा-नाइट्रो फीनॉल, फीनॉल से अधिक अम्लीय होती हैं। उनके संगत फीनॉक्साइड आयनों की अनुनादी संरचनाएँ बताइए।
उत्तर:
O – नाइट्रोफीनॉक्साइड आयन की अनुनादी संरचनाएँ
p – नाइट्रोफीनॉक्साइड आयन की अनुनादी संरचनाएँ
नाइट्रो प्रतिस्थापित फिनॉक्साइड की अनुनादी संरचनाओं में ऋणात्मक आवेश उस कार्बन परमाणु पर है जिससे इलेक्ट्रॉन लेने वाला नाइट्रो समूह जुड़ा है। अतः ये अम्लीय प्रकृति अन्य अनुनादी संरचनाओं भी अधिक होती है। फलत: अर्थों तथा पैरा नाइट्रोफीनॉल से अधिक अम्लीय होते हैं।
प्रश्न 11.9
निम्नलिखित अभिक्रियाओं में सम्मिलित समीकरण लिखिए –
- राइमर – टीमैन अभिक्रियाओं
- कोल्बे अभिक्रिया
उत्तर:
1. रीमर तथा टीमैन अभिक्रिया (Reimer and Tiemann’s Reaction):
यह हाइड्राक्सी ऐल्डिहाइड्रों और अम्लों के बनाने की प्रमुख विधि है। -CHO तथा -COOH समूह OH समूह से O – तथा p – स्थानों पर प्रवेश करता है। इस अभिक्रिया में फिनोल को क्लोरोफार्म व जलीय NaOH के साथ गर्म करने पर सेलिसिलिक ऐल्डिहाइड या सौलिसिलिक अम्ल बनते हैं।
2. कोल्बे अभिक्रिया (Kolbe Reaction):
यह हाइड्राक्सी बनाने की अभिक्रिया है। फीनॉल के बेन्जीन न्यूक्लियस -OH समूह के O – तथा p – स्थानों पर -COOH प्रवेश करता है। जब शुष्क सोडियम फार्मेट को 140°C पर अधिक दाब पर CO2 के साथ गर्म करने पर सैलिसिलिक अम्ल बनता है।
प्रश्न 11.10
एथेनॉल एवं 3-मेथिलपेन्टेन-2-ऑल से प्रारम्भ कर 2-एथॉक्सी-3-मेथिलपेन्टेन के विलियमसन संश्लेषण की अभिक्रिया लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 11.11
1-मेथॉक्सी-4-नाइट्रोबेन्जीन के विरचन के लिए निम्नलिखित अभिकारकों में से कौन-सा युग्म उपलब्ध है और क्यों?
उत्तर:
1. प्रथम युग्म 1-मेथाक्सी-4-नाइट्रोबेन्जीन के विचारण के लिए उपयुक्त नहीं है क्योंकि अनुनाद के कारण C = Br के मध्य द्विआबन्ध गुण विद्यमान होता है जिससे इसका टूटना कठिन है।
2. दूसरे युग्म में मेथिल ब्रोमाइड पर 4-नाइट्रोफिनाक्सॉइड आयन द्वारा नाभिकरागी क्रिया से ईथर बनता है।
विलयमसन संश्लेषण से बना उत्पाद निम्न है।
अतः इस विचरण के लिए दूसरा युक्त उपयुक्त है।
प्रश्न 11.12
निम्नलिखित अभिक्रियाओं से प्राप्त उत्पादों का अनुमान लगाइए –
1. CH3 – CH2 – CH2 – O – CH3 + HBr →
उत्तर:
1. ऑक्सीजन से जुड़े दोनों ऐल्किल समूह प्राथमिक हैं, इसलिए Br– आयन की अभिक्रिया छोटे ऐल्किल समूह (मेथिल समूह) से होगी तथा प्रोपेन-1-ऑल तथा ब्रोमोमेथेन का निर्माण होगा।
2. अनुनाद के कारण, C6H5 – O आबन्ध में कुछ द्विआबन्ध गुण विद्यमान होता है, इसलिए यह O – C2H5 आबन्ध से प्रबल होता है। अतः दुर्बल O – C2H5 आबन्ध का विदलन होता है तथा फीनॉल एवं ब्रोमोएथेन प्राप्त होते हैं।
3. इलेक्ट्रॉनरागी प्रतिस्थापन में, ऐल्कॉक्सी समूह ऐरोमैटिक वलय को सक्रिय बनाता है तथा प्रवेश करने वाले समूह को O – तथा p – स्थितियों की ओर निर्दिष्ट करता है। इसलिए एथॉक्सीबेन्जीन का नाइट्रीकरण 2-तथा 4-नाइट्रोएथॉक्सीबेन्जीन का मिश्रण देता है जिसमें 4-नाइट्रोएथॉक्सीबेन्जीन 2-स्थिति पर त्रिविमीय बाधा के कारण मुख्य उत्पाद होता है।
4. चूँकि एथिल काबोंकैटायन की तुलना में तृतीयक-ब्यूटिल कार्बोकैटायन अत्यधिक स्थायी होता है। इसीलिए अभिक्रिया \(\mathrm{S}_{\mathrm{N}^{1}}\) क्रियाविधि द्वारा होती है तथा तृतीयक-ब्यूटिल आयोडाइड एवं एथेनॉल निम्नलिखित प्रकार बनते हैं –
Bihar Board Class 12 Chemistry ऐल्कोहॉल, फ़िनॉल एवं ईथर Additional Important Questions and Answers
अभ्यास के प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 11.1
निम्नलिखित यौगिकों के आई०यू०पी० ए०सी (IUPAC) नाम लिखिए –
उत्तर:
- 2, 2, 4 – ट्राइमेथिलपेन्टेन-3-ऑल
- 5 – एथिलंहेप्टेन-2, 4-डाइऑल
- ब्यूटेन-2, 3-डाइऑल
- प्रोपेन-1, 2, 3-ट्राइऑल
- 2 – मेथिलफीनॉल
- 4 – मेथिलफीनॉल
- 2, 5 – डाइमेथिलफीनॉल
- 2, 6 – डाइमेथिलफीनॉल
- 1 – मेथॉक्सी-2-मेथिलप्रोपेन
- एथॉक्सीबेन्जीन
- 1 – फीनॉक्सीहेप्टेन
- 2 – एथॉक्सीब्यूटेन
प्रश्न 11.2
निम्नलिखित आई० यू० पी० ए० सी० (IUPAC) नाम वाले यौगिकों की संरचनाएँ लिखिए –
- 2 – मेथिलब्यूटेन-2-ऑल
- 1-फेनिलप्रोपेने-2-ऑल
- 3, 5-डाइमेथिलहेक्सेन-1, 3, 5-ट्राइऑल
- 2, 3-डाइएथिलफीनॉल
- 1-एथॉक्सीप्रोपेन
- 2-एथॉक्सी -3-मेथिलपेन्टेन
- साइक्लोहेक्सिलमेथेनॉल
- 3-साइक्लोहेक्सिलपेन्टेन-3-ऑल
- साइक्लोपेन्टेन-3-ईन-1-ऑल
- 3-क्लोरोमेथिलपेन्टेन-1-ऑल
उत्तर:
प्रश्न 11.3
- C5H12O आणविक सूत्र वाले ऐल्कोहॉलों के सभी समावयवों की संरचना लिखिए एवं उनके आई० यू० पी० ए० सी० (IUPAC) नाम दीजिए।
- प्रश्न 11.3 (i) के समावयवी ऐल्कोहॉलों को प्राथमिक, द्वितीकय एवं तृतीयक ऐल्कोहॉलों में वर्गीकृत कीजिए।
उत्तर:
2. प्राथमिक ऐल्कोहॉल – (क), (घ),(ङ),(छ)।
द्वितीयक ऐल्कोहॉल – (ख), (ग), (ज)।
तृतीयक ऐल्कोहॉल – (च)।
प्रश्न 11.4
समझाइए कि प्रोपेनॉल का क्वथनांक, हाइड्रोकार्बन ब्यूटेन से अधिक क्यों होता है?
उत्तर:
हाइड्रोकार्बन ब्यूटेन के अणु दुर्बल वाण्डरवाल्स आकर्षण बलों द्वारा जुड़े होते हैं, जबकि प्रापेनॉल में ये प्रबल अन्तराआण्विक हाइड्रोजन आबन्धन द्वारा जुड़े रहते हैं।
अतः प्रोपेनॉल का क्वथनांक (391 K) हाइड्रोकार्बन ब्यूटेन (309 K) से अधिक होता है।
प्रश्न 11.5
समतुल्य आण्विक भार वाले हाइड्रोकार्बनों की अपेक्षा ऐल्कोहॉल जल में अधिक विलेय होते हैं। इस तथ्य को समझाइए।
उत्तर:
चूँकि ऐल्कोहॉल अणु जल अणुओं के साथ हाइड्रोजन आबन्ध बना सकते हैं तथा इससे जल अणुओं में पहले से उपस्थित हाइड्रोजन-आबन्ध टूट जाते हैं। अतः ऐल्कोहॉल जल में विलेय होते हैं। दूसरी ओर हाइड्रोकार्बन जल अणुओं के साथ हाइड्रोजन आबन्ध नहीं बनाते, अत: जल में अघुलनशील होते हैं।
प्रश्न 11.6
हाइड्रोबोरॉनन-ऑक्सीकरण अभिक्रिया से आप क्या समझते हैं? इसे उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर:
हाइड्रोबोरॉनन-ऑक्सीकरण अभिक्रिया:
डाइबोरेन (BH3)2 ऐल्कीनों से अभिक्रिया करके एक योगज उत्पाद ट्राइऐल्किल बोरेन बनाता है जो जलीय सोडियम हाइड्रॉक्साइड की उपस्थिति में हाइड्रोजन परऑक्साइड द्वारा
ऑक्सीकृत होकर ऐल्कोहॉल देता है। यह अभिक्रिया हाइड्रोबोरॉनन-ऑकसीकरण अभिक्रिया कहलाती है।
द्विआबन्ध पर बोरेन का योजन इस प्रकार होता है कि बोरॉन परमाणु उस sp2 संकरित कार्बन परमाणु पर जुड़ता है जिस पर पहले से ही अधिक हाइड्रोजन परमाण उपस्थित होते हैं। इस प्रकार प्राप्त ऐल्कोहॉल ऐसा दिखता है जैसे कि यह ऐल्कोनों से मार्कोनीकॉफ के नियम के विपरीत जलयोजन से बना हो। इस अभिक्रिया में ऐल्कोहॉलों की लब्धि उत्तम होती है।
प्रश्न 11.7
आणविक सूत्र C7H8O वाले मोनोहाइड्रिक फीनॉलों की संरचनाएँ तथा आई०यू०पी०ए०सी० (IUPAC) नाम लिखिए।
उत्तर:
आण्विक सूत्र C7H8O वाले मोनोहाइड्रिक फीनॉल के तीन समावयवों की संरचनाएँ तथा IUPAC नाम निम्नांकित है –
प्रश्न 11.8
ऑर्थो तथा पैरा-नाइट्रोफीनॉलों के मिश्रण को भाप-आसवन द्वारा पृथक् करने में भाप-वाष्पशील समावयवी का नाम बताइए। इसका कारण दीजिए।
उत्तर:
ऑथों-नाइट्रोफीनॉल कीलेशन के कारण भाप-वाष्पशील है अतः जबकि p – नाइट्रोफीनॉल नहीं इसे p – नाइट्राफीनॉल से भाप-आसवन द्वारा पृथक्कृत किया जा सकता है; क्योंकि p – नाइट्रोफीनॉल अन्तराआण्विक हाइड्रोजन आबन्धन के कारण भाप-वाष्पशील नहीं है।
प्रश्न 11.9
क्यूमीन से फीनॉल बनाने की अभिक्रिया का समीकरण दीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 11.10
क्लोरोबेन्जीन से फीनॉल बनाने की रासायनिक अभिक्रिया लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 11.11
एथीन के जलयोजन से एथेनॉल प्राप्त करने की क्रियाविधि लिखिए।
उत्तर:
एथीन को सर्वप्रथम सान्द्र H2SO4 में प्रवाहित करने पर एथिल हाइड्रोजन सल्फेट बनता है।
एथिल हाइड्रोजन सल्फेट को जल के साथ उबालने पर एथेनॉल बनता है।
प्रश्न 11.12
आपको बेन्जीन, सान्द्र H2SO4 और NaOH दिए गए हैं। इन अभिकर्मकों के उपयोग द्वारा फीनॉल के विरचन की समीकरण लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 11.13
आप निम्नलिखित को कैसे संश्लेषित करेंगे? दर्शाइए।
- एक उपयुक्त ऐल्कीन से 1-फेनिल एथेनॉल
- \(\mathbf{S}_{\mathbf{N}} \mathbf{2}\) अभिक्रिया द्वारा ऐल्किल हैलाइड के उपयोग से साइक्लोहेक्सिल मेथेनॉल
- एक उपयुक्त ऐल्किल हैलाइड के उपयोग से पेन्टेन-1-ऑल।
उत्तर:
प्रश्न 11.14
ऐसी दो अभिक्रियाएँ दीजिए जिनसे फीनॉल की अम्लीय प्रकृति प्रदर्शित होती हो, फीनॉल की अम्लता की तुलना एथेनॉल से कीजिए।
उत्तर:
फीनॉल की अम्लीय प्रकृति प्रदर्शित करने वाली अभिक्रियाएँ निम्नवत् हैं –
1. सोडियम से अभिक्रिया (Reaction with sodium):
फीनॉल सक्रिय धातुओं; जैसे-सोडियम से अभिक्रिया करके हाइड्रोजन देता है।
2. NaOH से अभिक्रिया (Reaction with NaOH):
फीनॉल NaOH में घुलकर फोनॉक्साइड तथा जल बनाता है।
फीनॉल तथा एथेनॉल की अम्लता की तुलना:
फोनॉल की अम्लीय प्रकृति जलीय विलयन में मुक्त प्रोटॉन के कारण होती है जिसके कारण फोनॉक्साइड आयन अनुनाद द्वारा स्थायित्व प्राप्त कर लेता है, जबकि एथाक्साइड आयन स्थाई नहीं होता है।
प्रश्न 11.15
समझाइए कि ऑर्थो-नाइट्रोफीनॉल, ऑर्थो-मेथॉक्सीफीनॉल से अधिक अम्लीय क्यों होता है?
उत्तर:
नाइट्रो (NO2) समूह इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने वाला समूह है जबकि मेथॉक्सी (OCH3) समूह इलेक्ट्रॉन त्यागने वाला समूह है। अतः ऑर्थो-नाइट्रोफिनॉल में H+ आसानी से मुक्त हो जाता है और यह आथों-मेथॉक्सीफिनॉल में कठिन है। ऑर्थो-नाइट्रोफिनॉक्साइड आयन अनुनाद द्वारा स्थायित्व प्राप्त करके के आथों-नाइट्रोफिनॉल को प्रबल अम्ल बनाता है। इसके विपरीत एक प्रोटॉन निकल जाने के बाद आथोंमेथाक्सीफिनाक्सॉइड आयन अनुनाद द्वारा अस्थाई हो जाता है।
अतः ऑर्थो-नाइट्रोफिनॉल, ऑर्थो-मेथॉक्सीफिनॉल से अधिक अम्लीय है।
प्रश्न 11.16
समझाइए कि बेन्जीन वलय से जुड़ा – OH समूह उसे इलेक्ट्रॉनरागी प्रतिस्थापनों कैसे सक्रियित करता है?
उत्तर:
फीनॉल को निम्नांकित संरचनाओं का अनुनादी संकर माना जा सकता है –
अतः -OH समूह का +R प्रभाव, बेन्जीन वलय में इलेक्ट्रॉन घनत्व बढ़ा देता है जो इलेक्ट्रॉन अभिक्रिया को सरल कर देता है। दूसरे शब्दों में -OH समूह की उपस्थिति बेन्जीन वलय को इलेक्ट्रॉन प्रतिस्थापन अभिक्रियाओं के प्रति सक्रियित कर देती है। पुनः चूँकि दो ऑर्थो-तथा एक पैरा-स्थिति पर इलेक्ट्रान घनत्व उच्च होता है, इसलिए इलेक्ट्रॉनरागी प्रतिस्थापन मुख्यतया ऑथों- तथा पैरा-स्थितियों पर ही होता है।
प्रश्न 11.17
निम्नलिखित अभिक्रियाओं के लिए समीकरण दीजिए –
- प्रोपेन-1-ऑल का क्षारीय KMnO4 के साथ ऑक्सीकरण
- ब्रोमीन की CS2 में फीनॉल के साथ अभिक्रिया
- तनु HNO3 की फीनॉल से अभिक्रिया
- फीनॉल की जलीय NaOH की उपस्थिति में क्लोरोफॉर्म के साथ अभिक्रिया।
उत्तर:
1. CH3CH2CH2OH + 2[O]
प्रश्न 11.18
निम्नलिखित को उदाहरण सहित समझाइए –
- कोल्बे अभिक्रिया
- राइमर-टीमैन अभिक्रिया
- विलियमसन ईथर संश्लेषण
- असममित ईथर।
उत्तर:
1. तथा
2. के लिए पाठ्यनिहित प्रश्न 11.9 का उत्तर देखें।
3. विलियमसन ईथर संश्लेषण–यह सममित और असममित ईथरों को बनाने की एक महत्त्वपूर्ण प्रयोगशाला विधि: है। इस विधि से ऐल्किल हैलाइड की सोडियम ऐल्कॉक्साइड के साथ अभिक्रिया कराई जाती है।
प्रतिस्थापित (द्वितीयक अथवा तृतीयक) ऐल्किल समूह युक्त ईथर भी इस विधि द्वारा बनाई जा सकती हैं। इस अभिक्रिया में प्राथमिक ऐल्किल हैलाइड पर ऐल्कॉक्साइड आयन को (\(\mathbf{S}_{\mathbf{N}} \mathbf{2}\)) अक्रमण होता है।
यह ऐल्किल हैलाइड प्राथमिक होता है तो अच्छे परिणाम प्राप्त होते हैं। द्वितीयक एवं तृतीयक ऐल्किल हैलाइडों की अभिक्रिया में विलोपन, प्रतिस्पर्धा में प्रतिस्थापन से आगे होता है। यदि तृतीयक ऐल्किल हैलाइड का उपयोग किया जाए तो उत्पाद के रूप में केवल ऐल्कीन प्राप्त होती है तथा कोई ईथर नहीं बनती। उदाहरणार्थ – CH3ONa की (CH3)3C – Br के साथ अभिक्रिया द्वारा केवल 2 – मेथिलप्रोपीन प्राप्त होती है।
4. असममित ईथर-यदि ऑक्सीजन परमाणु से जुड़े ऐल्किल या ऐरिल समूह भिन्न-भिन्न हों तो ईथर को असममित ईथर कहते हैं। जैसे-एथिल मेथिल ईथर, मेथिल फेनिल ईथर आदि।
प्रश्न 11.19
एथेनॉल के अम्लीय निर्जलन से एथीन प्राप्त करने की क्रियाविधि लिखिए।
उत्तर:
क्रियाविधि एथेनॉल के अम्लीय निर्जलन से एथीन प्राप्त करने की क्रियाविधि निम्न प्रकार है –
प्रश्न 11.20
निम्नलिखित परिवर्तनों को किस प्रकार किया जा सकता है?
- प्रोपीन → प्रोपेन-2-ऑल
- बेन्जिल क्लोराइड → बेन्जिल ऐल्कोहॉल
- एथिल मैग्नीशियम क्लोराइड → प्रोपेन1-ऑल
- मेथिल मैग्नीशियम ब्रोमाइड → 2- मेथिलप्रोपेन-2-ऑल
उत्तर:
प्रश्न 11.21
निम्नलिखित अभिक्रियाओं में प्रयुक्त अभिकर्मकों के नाम बताइए –
- प्राथमिक ऐल्कोहॉल का कार्बोक्सिलिक अम्ल में ऑक्सीकरण
- प्राथमिक ऐल्कोहॉल का ऐल्डिहाइड में ऑक्सीकरण
- फीनॉल का 2, 4, 6-ट्राइब्रोमोफीनॉल में ब्रोमीनन
- बेन्जिल ऐल्कोहॉल से बेन्जोइक अम्ल
- प्रोपेन-2-ऑल का प्रोपीन में निर्जलन
- ब्यूटेन-2-ऑन से ब्यूटेन-2-ऑल।
उत्तर:
- अम्लीय या उदासीन K2Cr2O7, अम्लीय या क्षारीय KMnO4
- पिरिडीन क्लोरोक्रोमेट (Pcc) या पिरिडीन डाइक्रोमेट
- ब्रोमीन जल (Br2/H2O)
- अम्लीय या क्षारीय KMnO4
- 373 K पर 60% H2SO4
- क्षारीय NaBH4 या LiAlH4
प्रश्न 11.22
कारण बताइए कि मेथॉक्सीमेथेन की तुलना में एथेनॉल का क्वथनांक उच्च क्यों होता है?
उत्तर:
एथेनॉल विद्युतऋणात्मक ऑक्सीजन परमाणु से जुड़े हाइड्रोजन की उपस्थिति के कारण अन्तराआण्विक हाइड्रोजन आबन्धन प्रदर्शित करता है। जबकि मेथाक्सी मेथेन हाइड्रोजन आबन्ध नहीं बनाता है।
इन हाइड्रोजन आबन्धों को तोड़ने के लिए अत्यधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है, अतः एथेनॉल का क्वथनांक मेथॉक्सीमेथेन की तुलना में उच्च होता है।
प्रश्न 11.23
निम्नलिखित ईथरों के आई० यू० पी० ए० सी० (IUPAC) नाम दीजिए –
उत्तर:
- 1-एथॉक्सी-2-मेथिलप्रोपेन
- 2-क्लोरो-1-मेथॉक्सीएथेन
- 4-नाइट्रोऐनिसॉल
- 1-मेथॉक्सीप्रोपेन
- 1-एथॉक्सी-4, 4-डाइमेथिलसाइक्लोहेक्सेन
- एथॉक्सीबेन्जीन
प्रश्न 11.24
निम्नलिखित ईथरों को विलियमसन संश्लेषण द्वारा बनाने के लिए अभिकर्मकों के नाम एवं समीकरण लिखिए –
- 1-प्रोपॉक्सीप्रोपेन
- एथॉक्सीबेन्जीन
- 2-मेथॉक्सी-2-मेथिलप्रोपेन
- 1-मेथॉक्सीएथेन
उत्तर:
प्रश्न 11.25
कुछ विशेष प्रकार के ईथरों को विलियमसन संश्लेषण द्वारा बनाने की सीमाओं को उदाहरणों से समझाइए।
उत्तर:
विलियमसन संश्लेषण को तृतीयक ऐल्किल हैलाइडों को बनाने में प्रयुक्त नहीं किया जा सकता है क्योंकि इससे ईथर के स्थान पर ऐल्कीन प्राप्त होते हैं। उदाहरणार्थ – CH3ONa की (CH3)3C – Br के साथ अभिक्रिया द्वारा केवल 2-मेथिलप्रोपीन प्राप्त होती है।
ऐसा इसलिए होता है; क्योंकि ऐल्कॉक्साइड न केवल नाभिकरागी होते हैं, अपितु प्रबल क्षारक भी होते हैं। वे ऐल्किल हैलाइडों के साथ विलोपन अभिक्रिया करते हैं।
प्रश्न 11.26
प्रोपेन-1-ऑल से 1-प्रोपॉक्सीप्रोपेन को किसी प्रकार बनाया जाता है? इस अभिक्रिया की क्रियाविधि लिखिए।
उत्तर:
प्रोपेन-1-ऑल से 1-प्रोपॉक्सीप्रोपेन को निम्नलिखित दो विधियाँ द्वारा बनाया जा सकता है –
(क) विलियमसन संश्लेषण द्वारा –
1. 3CHCH, CH2OH + PBr3 →
प्रोपेन-1-ऑल
प्रश्न 11.27
द्वितीयक तथा तृतीयक ऐल्कोहॉलों के अम्लीय निर्जलन द्वारा ईथरों को बनाने की विधि उपयुक्त नहीं है। कारण बताइए।
उत्तर:
प्राथमिक ऐल्कोहॉल के अम्लीय निर्जलन द्वारा ईथर बनाने की अभिक्रिया \(\mathrm{S}_{\mathrm{N}} 2\) क्रियाविधि से होती है जिसमें प्रोटॉनित ऐल्कोहॉल अणु पर ऐल्कोहॉल अणु की नाभिकरागी अभिक्रिया होती है।
यद्यपि इन परिस्थितियों के अन्तर्गत द्वितीयक तथा तृतीयक ऐल्कोहॉल ईथरों के स्थान पर ऐल्कीन देते हैं। इसका कारण यह है कि त्रिविमीय बाधा के कारण प्रोटॉनित ऐल्कोहॉल अणु पर ऐल्कोहॉल अणु की नाभिकरागी अभिक्रिया नहीं होती है। इसके स्थान पर द्वितीयक तथा तृतीयक ऐल्कोहॉल एक जल-अणु निकालकर स्थायी द्वितीयक तथा तृतीयक कार्बोकैटायन बनाते हैं। ये कार्बोकैटायन एक प्रोटॉन निकालकर ऐल्कीन बनाने को वरीयता देते हैं न कि ऐल्कोहॉल अणु की अभिक्रिया द्वारा ईथर बनाना।
इसी प्रकार तृतीयक ऐल्कोहॉल ऐल्कीन देते हैं, ईथर नहीं।
प्रश्न 11.28
हाइड्रोजन आयोडाइड की निम्नलिखित के साथ अभिक्रिया के लिए समीकरण लिखिए –
- 1-प्रोपॉक्सीप्रोपेन
- मेथॉक्सीबेन्जीन तथा
- बेन्जिल एथिल ईथर।
उत्तर:
प्रश्न 11.29
ऐरिल ऐल्किल ईथरों में निम्नलिखित तथ्यों की व्याख्या कीजिए –
- ऐल्कॉक्सी समूह बेन्जीन वलय को इलेक्ट्रॉनरागी प्रतिस्थापन के प्रति सक्रियित करता है तथा
- यह प्रवेश करने वाले प्रतिस्थापियों को बेन्जीन वलय की ऑर्थों एवं पैरा स्थितियों की ओर निर्दिष्ट करता है।
उत्तर:
1. ऐरिल ऐल्किल ईथरों में ऐल्कॉक्सी समूह (-OR) का + R-प्रभाव बेन्जीन वलय में इलेक्ट्रॉन घनत्व बढ़ा देता है जिससे बेन्जीन वलय इलेक्ट्रॉनरागी प्रतिस्थापन के प्रति सक्रियित है।
2. इलेक्ट्रॉनरागी प्रतिस्थापन अभिक्रियाएँ मुख्यतया O – तथा p – स्थितियों पर ही होती हैं। क्योंकि m – स्थितियों की तुलना में दो O – तथा एक p – स्थिति पर इलेक्ट्रॉन घनत्व अधिक बढ़ जाता है।
ऐरोमैटिक ईथर फ्रीडेल-क्राफ्ट ऐल्किलीकरण तथा ऐसिलीकरण अभिक्रियाएँ भी देते हैं।
उदाहरणार्थ –
प्रश्न 11.30
मेथॉक्सीमेथेन की HI के साथ अभिक्रिया की क्रियाविधि लिखिए।
उत्तर:
मेथॉक्सीमेथेन की HI के साथ अभिक्रिया की क्रिया विधि निम्नलिखित है – ईथर अणु आरम्भ में HI द्वारा प्रोटॉनीकृत होता है जो टूट कर I– आयन देता है।
फिर प्रोटॉनीकृत ईथर पर हैलाइड आयन (I–) द्वारा आक्रमण किया जाता है जो नाभिक स्नेही की भाँति कार्य करता है।
जब अभिक्रिया HI अधिकता में तथा उच्च ताप पर होती है तब बना मेथेनॉल निम्नलिखित क्रिया विधि से मेथिल आयोडाइड बनता है।
प्रश्न 11.31
निम्नलिखित अभिक्रियाओं के लिए समीकरण लिखिए –
- फ्रीडेल-क्राफ्ट अभिक्रिया-ऐनिसोल का ऐल्किलन
- ऐनिसोल का नाइट्रीकरण
- एथेनोइक अम्ल माध्यम में ऐनिसोल का ब्रोमीनन
- ऐनिसोल का फ्रीडेल-क्राफ्ट ऐसीटिलन।
उत्तर:
1. फ्रीडेल-क्राफ्ट अभिक्रिया:
ऐनिसोल फ्रीडेल-क्राफ्ट अभिक्रिया देता है अर्थात् ऐलुमीनियम क्लोराइड (एक लुईस अम्ल) की उपस्थिति में ऐल्किल हैलाइड तथा ऐसिल हैलाइड से अभिक्रिया से ऐल्किल और ऐसिल समूह ऑर्थो तथा पैरा स्थितियों पर निर्देशित होते हैं। उदाहरण –
2. ऐनिसोल का नाइट्रीकरण:
ऐनिसोल के नाइट्रीकरण से ऑथों तथा पैरा-नाइट्रोऐनिसोल का मिश्रण बनता हैं।
3. एथेनोइक अम्ल माध्यम में ऐनिसोल का ब्रोमीनन (हैलोजेनीकरण):
फेनिल ऐल्किल ईथर बेन्जीन वलय में हैलोजेनीकरण दिखाते हैं। जैसे-ऐनीसोल आयरन (II) ब्रोमाइड उत्प्रेरक की अनुपस्थिति में भी एथेनोइक अम्ल माध्यम में ब्रोमीन के साथ ब्रोमीनन प्रदर्शित करता है।
4. ऐनिसोल का फ्रीडेल-क्राफ्ट ऐसीटिलन-इससे 2-मेथाक्सी ऐसीटोफीनॉन तथा 4-मेथाक्सी ऐसीटोफीनॉन प्राप्त होते हैं।
प्रश्न 11.32
उपयुक्त ऐल्कीनों से आप निम्नलिखित ऐल्कोहॉलों का संश्लेषण कैसे करेंगे?
उत्तर:
अम्लीय माध्यम में ऐल्कीन के जल योजन द्वारा सभी ऐल्कोहॉलों का संश्लेषण कर सकते हैं। ऐल्कीन से H2O का अम्ल-उत्प्रेरित योग मार्कोनीकॉफ नियम के अनुसार होता है।
प्रश्न 11.33
3-मेथिलब्यूटेन-2-ऑल को HBr से अभिकृत कराने पर निम्नलिखित अभिक्रिया होती है –
इस अभिक्रिया की क्रियाविधि दीजिए।
उत्तर:
दी हुई अभिक्रिया की क्रिया विधि निम्नलिखित है –