Bihar Board Class 12th Political Science Notes Chapter 15 लोकतांत्रिक व्यवस्था का संकट
→ 1980 के दशक को स्वायत्तता की माँग के दशक के रूप में देखा जा सकता है। भारत सरकार ने लोगों की मांगों को दबाने के लिए जवाबी कार्रवाई की।
→ भारत ने विविधता के प्रश्न पर लोकतान्त्रिक दृष्टिकोण अपनाया। लोकतन्त्र में क्षेत्रीय आकांक्षाओं की राजनीतिक अभिव्यक्ति की अनुमति है और लोकतन्त्र क्षेत्रीयता को राष्ट्र विरोधी नहीं मानता।
→ स्वतन्त्रता के तुरन्त बाद जम्मू-कश्मीर का मसला सामने आया। यह केवल भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष का मामला नहीं था। कश्मीर घाटी के लोगों की राजनीतिक आकांक्षाओं का सवाल भी इससे जुड़ा हुआ है।
→ अलगाव के आन्दोलनों के अलावा देश में भाषा के आधार पर राज्यों के गठन की माँग करते हुए जन-आन्दोलन चले। मौजूदा आन्ध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र और गुजरात ऐसे ही आन्दोलनों वाले राज्य हैं।
→ जम्मू-कश्मीर में जारी हिंसा के कारण अनेक लोगों की जान गई और सैकड़ों परिवारों का विस्थापन हुआ। कश्मीर मुद्दा भारत और पाकिस्तान के बीच एक बड़ा मुद्दा रहा है।
→ सन् 1947 से पहले जम्मू एवं कश्मीर में राजशाही थी। इसके हिन्दू शासक हरिसिंह भारत में शामिल नहीं होना चाहते थे और इन्होंने अपने स्वतन्त्र राज्य के लिए भारत और पाकिस्तान के साथ समझौता करने की कोशिश की। अन्ततः कश्मीर का भारत में विलय हुआ।
→ भारत जम्मू एवं कश्मीर की स्वायत्तता को बरकरार रखने पर सहमत हो गया। इसे संविधान की धारा-370 का प्रावधान करके संवैधानिक दर्जा दिया गया। उस समय से जम्मू-कश्मीर की राजनीति सदैव विवादग्रस्त एवं संघर्षयुक्त रही।
→ धारा-370 में जम्मू-कश्मीर को भारत के अन्य राज्यों के मुकाबले ज्यादा स्वायत्तता दी गई है। जम्मू-कश्मीर राज्य का अपना संविधान है। भारतीय संविधान की सारी व्यवस्थाएँ इस राज्य में लागू नहीं होतीं। संसद द्वारा पारित कानून राज्य में उसकी सहमति के बाद ही लागू होता है।
→ जम्मू-कश्मीर में सन् 1987 के विधानसभा चुनाव के बाद फारुख अब्दुल्ला मुख्यमन्त्री बने।
→ 1980 के दशक में पंजाब में कई बड़े परिवर्तन आए। बाद में इसके कुछ हिस्सों से हरियाणा और हिमाचल प्रदेश नामक राज्य बनाए गए। सन् 1966 में पंजाबी-भाषी प्रान्त का निर्माण हुआ।
→ 1970 के दशक में अकालियों के एक वर्ग ने पंजाब के लिए स्वायत्तता की माँग उठाई।
→ जून 1984 में भारत सरकार ने ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ चलाया। यह अमृतसर के स्वर्ण मन्दिर में की गई सैन्य कार्रवाई का कूट नाम था।
→ तत्कालीन प्रधानमन्त्री इन्दिरा गांधी की हत्या उन्हीं के अंगरक्षकों ने उनके आवास के बाहर 31 अक्टूबर, 1984 को कर दी। ये अंगरक्षक सिक्ख थे और ऑपरेशन ब्लू स्टार का बदला लेना चाहते थे। इस घटना के बाद भारत के उत्तरी भाग में सिक्ख समुदाय के विरुद्ध हिंसा भड़क उठी।
→ पूर्वोत्तर में क्षेत्रीय आकांक्षाएँ 1980 के दशक में एक निर्णायक मोड़ पर आ गई थीं। पूर्वोत्तर क्षेत्र में सात राज्य हैं जिन्हें ‘सात बहनों के नाम से जाना जाता है।
→ नागालैण्ड को सन् 1960 में; मेघालय, मणिपुर और त्रिपुरा को सन् 1972 में तथा अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम को सन् 1987 में राज्य का दर्जा दिया गया।
→ सन् 1986 में राजीव गांधी और लालडेंगा के बीच एक शान्ति समझौता हुआ। समझौते में मिजोरम को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला और उसे कुछ विशेष अधिकार दिए गए। लालडेंगा मुख्यमन्त्री बने।
→ सन् 1979 से सन् 1985 तक चला असम आन्दोलन बाहरी लोगों के विरुद्ध चले आन्दोलनों का सबसे अच्छा उदाहरण है।
→ क्षेत्रीय आकांक्षाएँ लोकतान्त्रिक राजनीति का अभिन्न अंग है।
→ क्षेत्रीय आकांक्षाएँ-क्षेत्रीय आकांक्षाएँ, लोकतन्त्र में क्षेत्रीय आकांक्षाओं की अभिव्यक्ति की अनुमति है और लोकतन्त्र क्षेत्रीयता को राष्ट्र-विरोधी नहीं मानता। विभिन्न दल और समूह क्षेत्रीय पहचान, आकांक्षा अथवा किसी विशेष क्षेत्रीय समस्या को आधार बनाकर लोगों की भावनाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं।
→ नेशनल कॉन्फ्रेंस-नेशनल कॉन्फ्रेंस जम्मू एवं कश्मीर की एक प्रमुख राजनीतिक पार्टी है। शेख मुहम्मद अब्दुल्ला इसके प्रमुख नेता थे। नेशनल कॉन्फ्रेंस एक धर्मनिरपेक्ष संगठन था और इसका कांग्रेस के साथ काफी समय तक गठबन्धन रहा।
→ धारा-370 का प्रावधान-कश्मीर को संविधान में धारा-370 के अन्तर्गत विशेष दर्जा दिया गया है। धारा-370 के तहत जम्मू एवं कश्मीर को भारत के अन्य राज्यों की अपेक्षा अधिक स्वायत्तता दी गई है। राज्य का अपना संविधान है। भारतीय संविधान की समस्त व्यवस्थाएँ इस राज्य में लागू नहीं होती। संसद द्वारा पारित कानून राज्य में उसकी सहमति के बाद ही लागू हो सकते हैं।
→ आजाद कश्मीर-सन् 1947 में जम्मू एवं कश्मीर राज्य में पाकिस्तान ने कबायली हमला करवाया था इसके फलस्वरूप राज्य का हिस्सा पाकिस्तानी नियन्त्रण में आ गया। भारत ने दावा किया कि यह क्षेत्र का अवैध अधिग्रहण है। पाकिस्तान ने इस क्षेत्र को ‘आजाद कश्मीर’ कहा।
→ अकाली दल-सिक्खों की राजनीतिक शाखा के रूप में 1920 के दशक में अकाली दल का गठन हुआ था। मास्टर तारा सिंह अकाली आन्दोलन के प्रमुख नेता थे। अकाली दल को पंजाब के हिन्दुओं के बीच कुछ विशेष समर्थन हासिल नहीं था। सन् 1980 में अकाली दल ने पंजाब तथा पड़ोसी राज्यों के बीच पानी के बँटवारे के मुद्दे पर एक आन्दोलन चलाया।
→ ऑपरेशन ब्लू स्टार-जून 1984 में भारत सरकार ने ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ चलाया। यह अमृतसर के स्वर्ण मन्दिर में की गई सैन्य कार्रवाई का कूट नाम था। इस सैन्य अभियान में सरकार ने उग्रवादियों को सफलतापूर्वक मार भगाया लेकिन सैन्य कार्रवाई से ऐतिहासिक स्वर्ण मन्दिर को भी क्षति पहुंची।
→ राजीव गांधी-लोंगोवाल समझौता-अकाली दल के तत्कालीन अध्यक्ष हरचन्द सिंह लोंगोवाल के साथ जुलाई 1985 में एक समझौता हुआ। इसे राजीव गांधी-लोंगोवाल अथवा पंजाब समझौता कहा जाता है। समझौता पंजाब में शान्ति स्थापित करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम था।
→ पूर्वोत्तर के सात राज्य अथवा सात बहनें-पूर्वोत्तर में सात राज्य हैं-अरुणाचल प्रदेश, असम, नागालैण्ड, मणिपुर, मिजोरम, मेघालय, त्रिपुरा। इन राज्यों को ‘सात बहनें’ कहा जाता है।
→ ई० वी० रामास्वामी नायकर-पेरियार के नाम से प्रसिद्ध। इन्होंने द्रविड़ कणकन की स्थापना की तथा हिन्दी व उत्तर भारतीय वर्चस्व का विरोध किया।
→ शेख मुहम्मद अब्दुल्ला–भारत में विलय के बाद जम्मू-कश्मीर के प्रधामन्त्री बने। इन्होंने जम्मू-कश्मीर की स्वायत्तता एवं धर्म-निरपेक्षता का समर्थन किया।
→ मास्टर तारा सिंह-सिक्खों के प्रमुख धार्मिक एवं राजनीतिक नेता। इन्होंने स्वतन्त्रता के बाद अलग पंजाब राज्य के निर्माण का समर्थन किया तथा अकाली आन्दोलन का नेतृत्व किया।
→ लालडेंगा-मिजो नेशनल फ्रंट के संस्थापक व नेता। इन्होंने भारत के विरुद्ध दो दशक तक सशक्त संघर्ष का नेतृत्व किया तथा नव-निर्मित मिजोरम राज्य के मुख्यमन्त्री बने।
→ अंगमी जाप फिजो-नागालैण्ड के स्वतन्त्रता आन्दोलन के नेता। इन्होंने भारत सरकार के विरुद्ध सशस्त्र संघर्ष की शुरुआत की।
→ काजी लैंदुप दोरजी खांगसरपा–सिक्किम के लोकतन्त्र बहाली आन्दोलन के नेता। इन्होंने सिक्किम के भारत में विलय का समर्थन किया।