Bihar Board Class 6 Sanskrit Solutions Amrita Bhag 1 Chapter 7 शश-सिंह कथा Text Book Questions and Answers, Summary.
BSEB Bihar Board Class 6 Sanskrit Solutions Chapter 7 शश-सिंह कथा
Bihar Board Class 6 Sanskrit शश-सिंह कथा Text Book Questions and Answers
अभ्यासः
मौखिक –
प्रश्न 1.
निम्न शब्दों के अर्थ बताएँ –
(भयंकरः, भोजनाय, पशवः, भीताः, तदा, विलम्बेन, आगतः, सर्वान्, अरक्षत्, बलम्)
उत्तर-
- भयंकरः – भयानका
- भोजनाय – भोजन के लिए।
- पशवः – सभी पशु
- भीताः – डरा हुआ।
- तदा – उस समय।
- विलम्बेन – विलम्ब से।
- आगतः – आया।
- सर्वान् – सबों को।
- अरक्षत् – रक्षा किया।
- बलम् – बल।
प्रश्न 2.
इच्छानुसारेण’ के समान इन शब्दों को जोड़कर बताएँ –
- नियम + अनुसारेण
- कर्म + अनुसारेण
- विद्या + आलयः
- समय + अनुसारेण
- धर्म + अनुसारेण।
उत्तर-
- नियमानुसारेण
- कर्मानुसारेण
- विद्यालयः
- समयानुसारेण
- ध नुसारेण ।
प्रश्न 3.
इन शब्दों का पंचमी एकवचन में रूप बताएँ –
- सिंह
- शश
- शरीर
- कूप
- बल
उत्तर-
- सिंहात्श
- शात्श
- रीरात
- कूपात
- बलात्
प्रश्न 4.
‘तत्र’ शब्द से युक्त पाँच वाक्य बोलें ।
उत्तर-
- तत्र विद्यालयः अस्ति
- तत्र मम् गहं अस्ति
- तत्र रमेशः अपि पठति
- तत्र गणेशपूजनं अस्ति
- तत्र पुष्पाणि सन्ति।
लिखितः
प्रश्न 5.
इन वाक्यों में रिक्त स्थानों को सही शब्दों से भरें
- एकस्मिन् ………… एक: भयंकरः सिंहः वसति स्म ।
- सर्वे पशवः …………… अभवन् ।
- तदा सिंहः ……………. इति अवदत् ।
- सः विलम्बेन सिंहसमोपम् ………….. ।
- …………. बलं तस्य ।
उत्तर-
- एकस्मिन् वने एक: भयंकरः सिंहः वसति स्म ।।
- सर्वे पशवः भीताः अभवन् ।
- तदा सिंहः आम इति अवदत् ।
- सः विलम्बेन सिंहसमीपम् अगच्छत् ।
- बुद्धिर्यस्य बलं तस्य ।
प्रश्न 6.
संस्कृत में अनुवाद करें
- जंगल में एक सिंह था। (आसीत्)
- वह इच्छानुसार भोजन करता है। (भोजनं करोति)
- गुस्सा मत करो। (कुरू)
- वह गुफा में रहता है। (तिष्ठति)
- जिसके पास बुद्धि है उसी के पास बल है।
उत्तर-
- वने एकः सिंहः आसीत्।
- सः इच्छानुसारेण भोजनं करोति।
- क्रोधं मा कुरू।
- सः गुहायाम् तिष्ठति ।
- यस्य बुद्धिः तस्य बलम् ।
प्रश्न 7.
इन शब्दों से वाक्य बनाएँ –
- भयंकरः
- सिंहः
- तदा
- वने
- बुद्धिमान
- कुत्र।
उत्तर-
- भयंकर – भयंकरः सिंहः वने वसति।
- सिंह – सिंहः भयंकरः आसीत् ।
- तदा – तदा सः वनं अगच्छत् ।
- वने – वने पशवः वसन्ति ।
- बुद्धिमान् – बुद्धिमानः विजयी भवति ।
- कुत्र – कुत्र त्वम् गच्छसि?
प्रश्न 8.
इस कहानी से क्या शिक्षा मिलती है ? पाँच वाक्यों में लिखें।
उत्तर-
खरगोश और सिंह की कहानी से शिक्षा मिलती है कि
- जिसके पास बुद्धि है उसी के पास बल है।
- जहाँ बल से काम नहीं हो वहाँ बुद्धि का प्रयोम करना चाहिए।
- छोटे शरीर वाले भी यदि बुद्धिमान हों तो बलशाली पर विजय प्राप्त कर सकता है।
- बल का घमण्ड नहीं करना चाहिए।
- गुस्सा करने से बुद्धि मारी जाती है।
प्रश्न 9.
इस कहानी के आधार पर कोई कहानी लिखें।
उत्तर-
किसी पेड़ पर कौवा-कौवी की जोड़ी रहता था। उसी पेड़ के खोखड़ में एक भयंकर काला सौंप भी रहता था। वह साँप कौवा-कौवी के अण्डे को खा जाता था। .. एक रोज कौवी ने कौवा से बोली- नाथ! हमदोनों इस पेड़ को छोड़कर अन्यत्र चलें। क्योंकि यहाँ हमदोनों के बच्चे का जीवन सुरक्षित नहीं है। काला साँप हमारे बच्चे को खा जाता है। कौवा बोला – डरो मत। मैंने उसके अपराध को बहुत सह लिया है। अब नहीं सहूँगा। कौवी बाली – उतने बलवान के साथ कैसे झगड़ा करोगे ।
कौवा बोला- चिन्ता मत करो, यहाँ के तालाब में राजकुमार स्नान करते समय अपना वस्त्र और सोने का सिकरी पत्थर पर रख देता है। जब वह पानी में स्नान के लिए प्रवेश करेगा. तब उसके सोने की सिकरी को चोंच से उठाकर खोखड़ में डाल दूँगा। सिपाही मेरे पीछे दौड़ते हुए खोखड़ के पास आयेंगे । वहाँ साँप को मारकर मिकरी ले जायेंगे । दूसरे दिन कौवा ने वैसा ही किया। साँप मारा गया। कौवी-कौवा निर्भय होकर पेड़ पर रहने लगे। अत: सही कहा गया है – बुद्धि से जो काम होता है वह बल से नहीं हो सकता है।
प्रश्न 10.
निम्नलिखित शब्दों का वर्ण-विच्छेद करें –
जैसे- वने – व + अ + न + अ + ए ।
प्रश्न (क)
वसति …….. ।
उत्तर-
व् + अ + स + अ + त+इ।
प्रश्न (ख)
गच्छतु …….. ।
उत्तर-
ग् + अ + च् + छ + अ + त् + उ ।
प्रश्न (ग)
क्रमश: ……… ।
उत्तर-
क् + र् + अ + म् + अ +श् +अ ।
प्रश्न (घ)
एकस्मिन् …….. ।
उत्तर-
ए + क् + अ + स् + म् ।
प्रश्न (ङ)
राजन् ……….. ।
उत्तर-
र् + आ + ज् + अ + न् ।
प्रश्न 11.
इनका सुमेल करें –
- सिंहः – (क) भीताः
- शशः – (ख) गर्जति
- पशवः – (ग) लघुः पशुः
- पशूनां संख्या – (घ) बलम्
- बुद्धिः – (ङ) क्षीणा
उत्तर
- सिंहः – (ख) गर्जति
- शशः – (ग) लघुः पशुः
- पशवः – (क) भीताः
- पशूनां संख्या – (ङ) क्षीणा
- बुद्धिः – (घ) बलम्
Bihar Board Class 6 Sanskrit शश-सिंह कथा Summary
(खरगोश और शेर की कहानी)
पाठ – एकस्मिन् वने एक: भयंकरः सिंहः वसति स्म । स वने इच्छानुसारेण पशून भोजनाय मारयति स्म। अतः सर्वे पशवः
भीताः अभवन् । ते मिलित्वा विचारम् अकुर्वन् –
अर्थ – एक वन में एक भयंकर सिंह रहता था। वह जंगल में इच्छा अनुकूल पशुओं को भोजन के लिए मारता था। अत: सभी पशु भयभीत हो गये । उन सबों ने मिलकर विचार किया
पाठ – प्रतिदिनम् एकैकः पशुः सिंहस्य भोजनाय स्वयं गच्छतु । स्वविचारं ते सिंहस्य समीपं अस्थापयत् । तदा सिंहः “आम्” इति अवदत् ।
अर्थ – प्रतिदिन एक-एक पशु सिंह के भोजन के लिए स्वयं जाय। अपना विचार वे सभी सिंह के समीप रखा। तब सिंह ने “हाँ” कह दिया।
पाठ – एवम् एकैकः पशुः सिंहस्य भोजनकाले प्रतिदिनम् अगच्छत्।वने पशव: निश्चिन्ताः अभवन् । किन्तु एव पशूनी संख्या क्रमशः क्षीणा अभवत् ।
अर्थ – इस प्रकार एक-एक पशु सिंह के भोजन के समय प्रतिदिन जाते थे। वन में सभी पशु निश्चिन्त हो गये। किन्तु इससे पशुओं की संख्या दिन-प्रतिदिन घटती गई।
पाठ – एकस्मिन् दिवसे एकस्य शशस्य वारः आसीत्। सः विलम्बेन सिंहसमीपम् अगच्छत् । तस्य अल्पशरीरेण, विलम्बेन आगमने च सिंहः कुपितः अभवत् । सः अवदत्रे दुष्ट ! कथं त्वम् एकाकी विलम्बेन च आगतः ? बुद्धिमान् शशः अवदत्- राजन् ! कोपं न कुरू । एक: अन्यः सिंहः मार्गे मिलितः। स गुहायां तिष्ठति ।
अर्थ – एक दिन एक खरगोश की बारी थी। वह विलम्ब से सिंह के समीप गया। उसके छोटे शरीर देखकर और देर से आने के कारण सिंह गुस्सा में आ गया। वह बोला -रे दुष्ट! क्यों तुम अकेले और विलम्ब से आया है? बुद्धिमान खरगोश कहा- हे राजन! गुस्सा नहीं करें। एक अन्य शेर रास्ते में मिला। वह गुफा में रहता है।
पाठ – सिंहः अवदत्-कुत्र सः ? नय मां तत्र । हनिष्यामि तं – दुष्टम् । शशः सिंह कूपसमीपम् अनयत् । तत्र कूपे स्वच्छायाम् सिंह अपश्यत् । अन्यं सिंह मत्वा कोपेन सः कूपे अकूर्दत् । तत्र स कालेन मृतः एवं शशस्य बुद्धिः सर्वान् पशून् अरक्षत् । अतः कथयन्ति-बुद्धिर्यस्य बलं तस्य।
अर्थ – शेर बोला- कहाँ है वह ? मझे वहाँ ले चलो। मैं उस दृष्ट को मार दूंगा। खरगोश सिंह को कुआँ के समीप ले गया। वहाँ कुआँ में अपनी छाया सिंह ने देखा। दूसरा शेर मानकर गुस्सा से वह कुआँ में कूद गया। उसी समय वह मर गया। इस प्रकार खरगोश की बुद्धि ने सभी पशुओं की रक्षा की । इसलिए कहा गया है- जिसके पास बुद्धि है उसी के पास बल है।
शब्दार्थाः– एकस्मिन् – एक (वस्तु) में। वसति स्म – निवास करता था। पशुन् – पशुओं को। भीता अभवन – डर गये थे। मिलित्वा – मिलकर। भोजनाय – भोजन के लिए। गच्छतु – जाय। क्षीणा – कम(नष्ट)। वारः – बारी, पारी। एकाकी – अकेला। विलम्बेन – विलम्ब से। कुपितः – क्रोध से भरा हुआ। अभवत् – हो गया (हुआ)। अवदत् – बोला। कथम् क्यों/कैसे। कुरु – करो। मार्गे – रास्ते में। हनिष्यामि – मार दूंगा । तं दुष्टम् – उस दृष्ट को। कूप-समीपम् – कुएँ के पास । अनयत् – ले गया। स्वच्छायाम् – अपनी परिछाई को । अपश्यत् – देखा । मत्वा – समझकर, कोपेन – गुस्सा से, अकूर्दत् -कूद गया । सर्वान् – सभी को। कथयन्ति – कहते/कहती हैं। बुद्धिर्यस्य (बुद्धिः + यस्य)- जिसके पास बुद्धि है। बलंतस्य – उसी के पास बल
व्याकरणम्
एकस्मिन् – एक (सप्तमी एकवचन (पुं./नपुं.) ।
इच्छानुसारेण – इच्छा + अनुसोरण(तृतीय एकवचन)
- एकैक: – एक + एक:।
- निश्चिन्ताः – निः + चिन्ताः ।
- बुद्धिर्यस्य – बुद्धिः + यस्य ।
- आसीत् – अस् + लड्. लकार ।
- हनिष्यामि – हन् + लृट् लकार ।
- अकूर्दत् – कुर्द + लड् लकार ।
- अगच्छत् गम् + लड् लकार ।
- अपश्यत् – दृश + लड्लकार।