Bihar Board Class 6 Social Science Civics Solutions Chapter 6 स्थानीय सरकार

Bihar Board Class 6 Social Science Solutions Civics Samajik Aarthik Evam Rajnitik Jeevan Bhag 1 Chapter 6 स्थानीय सरकार Text Book Questions and Answers, Notes.

BSEB Bihar Board Class 6 Social Science Civics Solutions Chapter 6 स्थानीय सरकार

Bihar Board Class 6 Social Science स्थानीय सरकार Text Book Questions and Answers

पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
संजना की बहन जिसकी उम्र 22 वर्ष है। शादी के बाद पास के गाँव में रहती है। क्या उसका नाम मतदातासूची में लिखा जाएगा?
उत्तर-
नहीं, संजना की बहन का नाम मतदान सूची में नहीं लिखा जाएगा। क्योंकि वह पास के गाँव में रहती है। उसका नाम उस गाँव के वार्ड सदस्य के पास लिखा जाएगा।

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प्रश्न 2.
मतदाता सूची की आवश्यकता क्यों है?
उत्तर-
ग्राम पंचायत के चुनाव होनेवाले हैं। इसलिए इस पंचायत के वोट डालने वाले लोगों के नामों को लिखने के लिए इन नामों की सूची को मतदान सूची की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 3.
आरक्षण व्यवस्था क्यों आवश्यक है? कक्षा में शिक्षक के साथ चर्चा करें।
उत्तर-
छात्र शिक्षक की सहायता से स्वयं करें।

प्रश्न 4.
पंचायत के क्षेत्र को वार्डों में क्यों बाँटा जाता है?,
उत्तर-
प्रत्येक ग्राम पंचायतों को क्षेत्रों में बाँट दिया जाता है। “अगर सभी वार्ड सदस्य एक ही टोले/मोहल्ले के हो जाएँ, तो दूसरे मोहल्ले/टोले के बारे में कौन ध्यान देगा?” इसलिए पंचायत के क्षेत्र को वार्डों में बाँट दिया जाता है।

प्रश्न 5.
मुखिया का चुनाव कैसे होता है?
उत्तर-
ग्राम पंचायत का प्रधान मुखिया होता है। बिहार पंचायती राज अधिनियम के अनुसार मुखिया का चुनाव वयस्क मतदाताओं द्वारा प्रत्यक्ष रूप से होता है । मुखिया का कार्यकाल भी 5 वर्ष का होता है। वार्ड सदस्य अपने ही सदस्यों में से एक को ही उपमुखिया चुनते हैं। मुखिया के परामर्श के अनुसार उपमुखिया सभी कार्य कर सकता है।

प्रश्न 6.
शहर कैसे बनते हैं ? आसपास के उदाहरण के साथ चर्चा करें।
उत्तर-
शहर में जनसंख्या के आधार पर प्रशासन का निर्माण किया जाता है। शहर बनने की जनसंख्या चालीस हजार से दो लाख के बीच होती है। उसी प्रकार छोटे शहर जो गाँव से शहर का रूप लेने लगते हैं वहाँ अधिकांश लोग अपनी जीविका कृषि से नहीं बल्कि व्यापार, नौकरी, उद्योग आदि करते

बिहार में पटना नगर निगम की स्थापना 1952 में की गई थी। बिहार के अन्य शहरों मुजफ्फरपुर, भागलपुर, दरभंगा, गया, आरा और बिहार शरीफ में भी नगर निगम की स्थापना की गई है।

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प्रश्न 7.
नगर पंचायत और नगर निगम में क्या अंतर है ? पता करें।
उत्तर-
नगर पंचायत-छोटे शहर जो गाँव से शहर का रूप लेने लगते हैं वहाँ नगर पंचायत बनाई जाती है। यह नगर पंचायत इन शहरों के कार्य करते नगर निगम-नगर निगम आबादी के अनुसार कई भागों में बाँटा गया है जिसे वार्ड कहते हैं। यह नगर निगम अधिकांश कार्यों को करती है।

प्रश्न 8.
पार्षद को चुनाव द्वारा क्यों चुना जाता है ?
उत्तर-
नगर को आबादी के अनुसार कई भागों में बाँटा गया है जिसे . वार्ड कहा जाता है। पटना नगर 72 क्षेत्रों में बाँटा गया है। सभी वाडों से एक-एक व्यक्ति चुनकर आते हैं, वे वार्ड काउंसलर या पार्षद कहलाते हैं। सभी पार्षदों का चुनाव पाँच वर्षों के लिए होता है।

प्रश्न 9.
नगर निगम के पार्षद और कर्मचारी के काम में क्या अंतर
उत्तर-
नगर निगम के पार्षद के प्रशासन के लिए एक नगर आयुक्त होता है, जो आमतौर पर भारतीय प्रशासनिक सेवा स्तर का पदाधिकारी होता है। नगर आयुक्त, नगर निगम का मुख्य प्रशासक है। नगर निगम परिषद एवं समितियों द्वारा लिए गए निर्णयों के तहत कार्य संपादन करना आयुक्त एवं कर्मचारियों का काम है। उदाहरण के लिए जल व्यवस्था, विकास संबंधी कार्य, सार्वजनिक सुविधा के कार्य इत्यादि ।

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प्रश्न 10.
अलग-अलग समितियाँ बनाने की जरूरत क्यों है?
उत्तर-
अलग-अलग समितियों के द्वारा ही हम अपने कार्यों को सुव्यवस्थित तरीके से कर सकते हैं और वह कार्य आसानी स किया जा सकता है। निगम ‘परिषद एवं समितियों द्वारा ही कार्य को संपादन किया जाता है।

प्रश्न 11.
क्या इन परिषदों से स्थानीय समस्याओं का हल हो सकता है? अपने इलाके के उदाहरण से समझाएँ।
उत्तर-
हाँ, इन परिपदों से स्थानीय समस्याओं का हल हो सकता है। उदाहरण-हमारे नगर में पानी की व्यवस्था नहीं हो पा रही थी तो वहाँ नगर निगम परिपद ने अपने तरीके से जल मुहैया कराया जिससे अब जल की व्यवस्था सही रहती है।

प्रश्न 12.
ग्राम एवं नगर दोनों जगह वार्ड बनाये गये हैं। ऐसे क्यों ? चर्चा करें।
उत्तर-
ग्राम एवं नगर दोनों जगह वार्ड बनाये जाते हैं। ताकि ग्राम की समस्या और उसका निदान गाँव के वार्ड आपसी सहयोग और प्रशासनिक उणयों के द्वारा कर सकें।

प्रश्न 13.
आपके आसपास के शहरों में सफाई की सुविधा कैसी है ? आपस में चर्चा करें।
उत्तर-
हमारे आसपास के शहरों में सफाई की सुविधा बहुत अच्छी नहीं है। नगर-निगम समय-समय पर सभी सविधाओं का ध्यान रखती है जिससे किसी तरह की असुविधा का सामना नहीं करना पड़ता है । लेकिन कई जगहों पर सड़कों एवं नालियों की सफाई करना जरूरी है। वहाँ से गंदगी नहीं निकलने से बीमारियां का भी सामना करना पड़ता है। जल, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा संबंधी भी सुविधाओं को ध्यान में रखना चाहिए।

प्रश्न 14.
कर की आवश्यकता क्यों है?
उत्तर-
नगर निगम को अपने कार्य करने के लिए देश को आगे बढ़ाकर उन्नित करने के लिए इतने सार काम करने के लिए बहुत सारा पैसा चाहिए। निगम यह राशि अलग-अलग तरीकों से इकट्ठा करता है। इस राशि का बड़ा भाग सरकार द्वारा अनुदान से आता है। जो लोग कर देते हैं उसी से सरकार इस राशि को उपलब्ध कराती है।

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प्रश्न 15.
पता करें कि नगर निगम/नगर परिषद/नगर पंचायत को लोगों द्वारा.कर के रूप में आय उपलब्ध हो पाता है या नहीं?
उत्तर-
छात्र शिक्षक की सहायता से स्वयं करें।

अभ्यास

प्रश्न 1.
अपने क्षेत्र या अपने पास के ग्रामीण क्षेत्र में पंचायत द्वारा किये गये किसी एक कार्य का उदाहरण दीजिए और उसके बारे में निम्न बातें पता कीजिए।

प्रश्न (i)
यह काम क्यों किया गया?
उत्तर-
गाँव की सफाई करना यह काम गाँव की सुरक्षा के लिए किया गया।

प्रश्न (ii)
पैसा कहाँ से आया?
उत्तर-
पैसा ग्राम पंचायत में दिये गये अनुदान से आया।

प्रश्न (iii)
काम पूरा हुआ या नहीं?
उत्तर-
काम पूरा हो गया, क्योंकि पूरे ग्राम पंचायत के लोगों में एकता थी।

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प्रश 2.
पंचायत सचिव कौन होता है? पंचायत सचिव और ग्राम-पंचायत के प्रमुख के कार्यों में क्या अन्तर है?
उत्तर-
ग्राम पंचायत का एक सचिव होता है, जो ग्राम सभा का भी सचिव होता है। उसे पंचायत सचिव कहा जाता है। सचिव का चुनाव नहीं होता है यह सरकार द्वारा नियुक्त किया जाता है।

पंचायत सचिव का कार्य ग्राम सभा एवं ग्राम पंचायत की बैठक बुलाना एवं चर्चा में उठे बिन्दुओं को एक रजिस्टर पर अंकित करना तथा उनका रिकार्ड रखना होता है । वह ग्राम पंचायत के रोकड़, पास बुक, अभिलेख एवं पंजियों का संधारण करता है। वह ग्राम पंचायत के सभी कार्यों का कार्यन्वयन करने में मुखिया को सहयोग करता है।

ग्राम पंचायत कृषि, पशुपालन, सिंचाई, मछली पालन आदि को बढ़ावा देना । ग्रामीण आवास, बिजली की व्यवस्था का प्रबंध करना। सहकारिता, कृषि भंडारण तथा बिक्री की व्यवस्था करना।

प्रश्न 3.
गाँव में भूमि विवाद है लेकिन आपस में झगड़ा नहीं हो। इसके लिए इस विवाद को कैसे सुलझायेंगें ? इसमें हल्का कर्मचारी की क्या भूमिका होगी?
उत्तर-
गाँव के जमीन को नापना और उसका अभिलेख रखना हल्का कर्मचारी का काम होता है । यह जमीन का लेखा-जोखा रखने वाले कर्मचारी को हल्का कर्मचारी कहते हैं। अगर गाँव में भूमि विवाद है तो इसे आपस में बिना झगड़े के हल्का कर्मचारी शांतिपूर्वक बिना मुकर्मो के सुलझा सकता है। कर्मचारी नक्शे के आधार पर जमीन को नापकर देखता है जिससे पता चलता है कि किसके तरफ जमीन अधिक है किसके तरफ कम है। ।

इस प्रकार गाँव के भूमि विवाद को हल्का कर्मचारी अपनी भूमिका के द्वारा भृमि विवाद मामलों को सुलझा जा सकता है।

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प्रश्न 4.
‘एक बिटिया की चाह’ कविता में किस मुद्दे को उठाने की कोशिश की गई है? क्या आपको यह मुद्दा महत्वपूर्ण लगता है ? क्यों?
उत्तर-
एक बिटिया की चाह’ कविता में यह मुद्दे के बारे में बताया जा रहा है कि बेटी की भी चाह है कि उसे भी अपना एक घर है। भले ही इसके बदले उसे कोई दहेज में मिलनेवाली चीजें लेने का अरमान नहीं है। पर उसे एक अपना घर मिलना चाहिए । वह अपने पिता से एक घर अपना जो केवल उसी का हो ।

इसमें दहेज प्रथा की कुरीतियों के बारे में कहा जा रहा है । दहेज प्रथा के विरुद्ध आवाज लगायी जा रही है। जिससे सभी बेटियों को समान अधिकार मिलने का अवसर प्राप्त हो । यह मुद्दा सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा है। इसी पर सभी बेटियों का भविष्य निर्धारित है। उसे भी समान अधिकार प्राप्त होना चाहिए।

प्रश्न 5.
नगर परिषद् एवं नगर पंचायत में क्या अन्तर हैं?
उत्तर-
नगर परिषद-जिस शहर की जनसंख्या 5 लाख से अधिक हो उसकी नगरीय स्वशासन इकाई को नगर परिषद् कहते हैं। निगम परिषद् के काम करने के लिए अलग-अलग समितियाँ बनाई जाती हैं। जैसे–शिक्षा, स्वास्थ्य, चिकित्सा, लोक निर्माण, उद्यान आदि ।

नगर पंचायत-छोटे, कस्बाई शहरों के लिए वहाँ नगर पंचायत बनाई – जाती है। नगर पंचायत के भी कई कार्य होते हैं। वह उन कार्यों को करते हैं। वे अपनी जीविका व्यापार, नौकरी उद्योग आदि से चलाते हैं। यह नगरपंचायत इन शहरों के काम करते हैं। जैसे – शिक्षा, स्वास्थ्य, चिकित्सा आदि ।

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प्रश्न 6.
नगर निगम के आयुक्त की नियुक्ति कौन करता है और उसके कार्य क्या हैं?
उत्तर-
निगम परिषद् के काम करने के लिए अलग-अलग समितियाँ बनाई जाती है। नगर निगम के प्रशासन के लिए एक नगर आयुक्त की नियुक्ति की जाती है। जो आमतौर पर भारतीय प्रशासनिक सेवा स्तर का पदाधिकारी होता है। नगर आयुक्त, नगर-निगम का मुख्य प्रशासक है। निगम परिषद् एवं समितियों द्वारा लिए गये निर्णयों के तहत कार्य संपादन करना आयुक्त एवं कर्मचारियों का काम है

  1. जल, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा संबंधी कार्य ।
  2. सार्वजनिक सुविधा के कार्य । जैसे – सडक साफ करना, कचरा उठाने की व्यवस्था करना एवं नालियों की सफाई, सार्वजनिक शौचालय की व्यवस्था आदि ।
  3. विकास संबंधी कार्य जैसे-सड़क बनाना, नालियाँ खुदवाना, सड़कों पर प्रकाश व्यवस्था करना।
  4. शिक्षा संबंधी कार्य।
  5. प्रशासनिक कार्य । जैसे-जन्म-मृत्य पंजीयन आदि।
  6. अपातकालीन कार्य । जैसे – आग लगने पर बुझाना ।
  7. पर्यावरण सुरक्षा । जैसे-वृक्षारोपण एवं देखभाल करना।

प्रश्न 7.
एक ग्रामीण क्षेत्र है, दूसरा नगरीय क्षेत्र है, इनको आप। किन-किन रूपों में अन्तर करते हैं ! शिक्षक के साथ चर्चा करें।
उत्तर-
छात्र शिक्षक की सहायता से स्वयं करें।

प्रश्न 8.
ग्राम पंचायत और नगर प्रशासन का मुख्य कार्य क्या-क्या हैं ? अपने अनुभव के आधार पर दो-दो उदाहरण देकर समझायें।
उत्तर-
ग्राम पंचायत के मुख्य कार्य ग्रामीण आवास, परिवार कल्याण, स्वास्थ्य सेवा, अनुसूचित और पिछड़ी जनजातियों के कल्याण के लिए, कार्य करना । कृषि भूमि-सुधार, सिंचाई, ग्रामीण एवं कुटीर उद्योग आदि। नगर प्रशासन का मुख्य कार्य स्वास्थ्य एवं चिकित्सा संबंधी कार्य, सार्वजनिक सुविधा का कार्य, पशु चिकित्सा का कार्य, विकास संबंधी कार्य, शिक्षा सम्बंधी कार्य, जन कल्याण, प्रशासनिक कार्य, अपातकालीन कार्य आदि ये सभी कार्य नगर प्रशासन अपनी देख-रेख में करते हैं।

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प्रश्न 9.
ग्राम पंचायत और नगर निगम के आय के कौन-कौन से साधन हैं, सूची बनायें।
उत्तर-
ग्राम पंचायत के आय के साधन निम्न हैं

  1. ग्राम पंचायत निधि।
  2. सरकार द्वारा लगाए गए कर ।
  3. केन्द्र एवं राज्य सरकार से प्राप्त अनुदान ।

नगर निगम के आय के साधन निम्न हैं

  1. कर।
  2. सरकार से प्राप्त अनुदान ।।
  3. आवश्यकता पड़ने पर नगर प्रशासन कर्ज भी ले सकता है।
  4. अन्य विभिन्न तरीकों से लिए जाने वाले शुल्क । जैसे-होर्डिंग, मोबाईल टॉवर आदि।

Bihar Board Class 6 Social Science स्थानीय सरकार Notes

पाठ का सारांश

गाँव की समस्या का समाधान स्थानीय सरकार के द्वारा किया जाता है। इसकी सर्वोच्च संस्था पंचायत होती है। पंचायत का अर्थ होता है । पाँच पंचों की समिति । पंचायत का मुख्य उद्देश्य गाँवों की समस्याओं को दूर कर उन्हें उन्नत एवं आत्मनिर्भर बनाना । सार्वजनिक चीजों की देख-रेख कौन करेगा? ये जब खराब हो जाएँगे तो कौन ठीक करवायेगा ? इनकी सुरक्षा कौन करेगा? कोई व्यक्ति जबरदस्ती करे तो समस्या को कौन सुलझाएगा? इसलिए इस प्रकार की समराओं के निदान के लिए ग्राम स्तर पर ग्राम पंचायत की स्थापना की जाती है।

बिहार राज्य में पंचायत की स्थापना जनसंख्या के घनत्व के अधार पर की जाती है। वहाँ की जनसंख्या कम से कम 7.000 या उससे अधिक हो। पंचों का चुनाव का काम राज्य निर्वाचन आयोग करता है । गाँव में एक मतदाता सूची होती है जिनमें उन्हीं लोगों के नाम होते हैं जो कम-से-कम 18 साल के हों तथा कम-से-कम 180 दिन तक उस क्षेत्र में रह रहे हों ।

मतदान ही वार्ड सदस्य, मुखिया पंचायत समिति सदस्य, जिला परिषद् सदस्य, पंच या सरपंच का चुनाव करते हैं। ग्राम पंचायत की बैठक हर तीन माह पर एक आम सभा की तरह होती है जो मुखिया के द्वारा बुलाई जाती है। यह बैठक पंचायत भवन में बुलाई जाती हैं। ग्राम पंचायत द्वारा स्थानीय स्तर पर विभिन्न प्रकार के कार्य किये जाते हैं। उनमें से कुछ प्रमुख निम्न हैं

  • ग्रामीण विकास योजनाओं का ग्राम सभा द्वारा चर्चा के बाद क्रियान्वयन करना।
  • कृषि, पशुपालन, सिंचाई, मछली पालन, आदि को बढ़ावा देना।
  • ग्रामीण आवास पेयजल, सड़क, घाट, बिजली की व्यवस्था, बाजार एवं मेला इत्यादि का समुचित प्रबंध करना ।
  • स्वास्थ्य सेवा, परिवार कल्याण, विकलांग कल्याण की योजनाओं में मदद करना।
  • कुआँ, तालाबों, पोखरों आदि का निर्माण।
  • सहकारिता, कृषि भंडारण तथा बिक्री की व्यवस्था करना।

ग्राम पंचायत के आय के साधन – ग्राम पंचायत के आय के दो प्रमख स्रोत हैं। एक कर के रूप में जो वह खद लगाती है और दूसरा अनुदान के रूप में, जो सरकार द्वारा उसे मिलता है। उदाहरण के लिए पंचायत अपनी क्षेत्र की दुकानदारों से कर वसूल करती है। इसका खुद का स्रोत हैं और पंचायत के किसी भी जरूरी काम पर इसे खर्च किया जा सकता है। ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम के लिए या आवास योजना के लिए पंचायत को सरकार द्वारा पैसे प्राप्त होते हैं।

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हमारे देश में 6 लाख से भी अधिक गाँव हैं। उनकी समस्याओं को सुलझाना आसान काम नहीं है। गाँव में भी बेहतर व्यवस्था के लिए एक प्रशासन होता है। प्रत्येक पुलिस थाना का एक क्षेत्र होता है जिसमें चोरी, दुर्घटना, मारपीट, झगड़े आदि का केश (रपट) दर्ज करके थाना प्रशासनिक कार्रवाई करता है। गाँव के जमीन को नापना और उसका अभिलेख रखना हल्का कर्मचारी की नियुक्ति राज्य सरकार करती है। हल्का कर्मचारी किसानों की भूमि कर कर जमा करवाता है तथा सरकार को अपने क्षेत्र में उगने वाले फसलों के बारे में जानकारी देता है। इसका काम अवलोकन कई लोग करते

बिहार राज्य कई जिलों में बँटा हुआ है। जमीन का लेखा-जोखा रखने हेतु जिलों को भी प्रखण्ड और अनुमण्डल में बाँटा गया है। जिला में सबसे ऊपर जिलाधिकारी उसके बाद उपसमाहर्ता (भूमि सुधार) अंचलाधिकारी, अंचल निरीक्षक और अंत में हल्का कर्मचारी होता है।

नगर प्रशासन -गाँव की अपेक्षा शहरों की आबादी अधिक होती है इसलिए उनकी समस्याएँ भी अधिक होती हैं। शहरों में जनसंख्या के आधार पर स्थानीय प्रशासन का निर्माण किया जाता है। महानगरों के लिए महानगर. निगम, बड़े शहरों के लिए नगर निगम एवं छोटे शहरों के लिए नगरपालिकाएँ तथा कस्बाई शहरों के लिए पंचायत की स्थापना की गई है । हमारे बिहार राज्य । में कंवल नगर निगम, नगरपालिकाएँ तथा नगर-पंचायतें ही हैं।

बिहार में पटना नगर निगम की स्थापना 1952 में की गई थी। भागलपुर, दरभंगा, आरा तथा बिहार शरीफ में नगर-निगम की स्थापना 2006 में की गई थी। नगर की आबादी के अनुसार कई भागों में बाँटा गया है, जिसे वार्ड कहते हैं।

पटना नगर को 72 वार्डों में बाँटा गया है। सभी वार्डों में एक व्यक्ति चुनकर आते हैं जो वार्ड काउंसलर कहलाते हैं। इनका चुनाव 5 वर्षों के लिए होता है। इसकी बैठक प्रत्येक माह होती है। निगम परिपद अपने सदस्यों में से एक महापौर एवं एक उपमहापौर चुनता है। इनका कार्यकाल 5 वर्षों तक का होता है ।

महापौर की अनुपस्थिति में उपमहापौर ही सारे कार्य को संभालता है। दूसरा अंग स्थायी समिति है जिसमें 7 सदस्य होते हैं। यह समिति अधिकांश कार्यों का करती है। तीसरा अंग परामर्शदाता समितियाँ हैं जो सभी विषयों पर सलाह देती हैं। चौथा अंग नगर आयुक्त होता है जो नगर निगम के कर्मचारियों की देखभाल तथा नियुक्ति करता है।

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पटना नगर-निगम के मुख्य कार्य

  • जल, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा संबंधी कार्य जैसे -पानी की व्यवस्था ।
  • सार्वजनिक सुविधा के कार्य । जैसे – सड़क साफ करना, कचरा उठाने की व्यवस्था करना, सार्वजनिक शौचालय की व्यवस्था आदि ।
  • विकास संबंधी कार्य । जैसे – सड़क बनाना, नालियाँ खुदवाना, सडकों पर प्रकाश व्यवस्था एवं वाहन ठहराव की व्यवस्था करना।
  • शिक्षा संबंधी कार्य।
  • प्रशासनिक कार्य। जैसे-जन्म-मृत्य पंजीयन आदि के कार्य ।
  • अपातकालीन कार्य । जैसे – आग लगने पर बुझाना. बाद आने पर रोकने के प्रयास करना.।
  • पर्यावरण सुरक्षा।
  • विविध कार्य । जैसे-जमीन एवं मकान का सर्वेक्षण एवं नक्शा बनाना, जनगणना की व्यवस्था आदि । इसी प्रकार अन्य शहरों में भी नगर परिषद् या नगर पंचायत परिषद् बनाकर काम किया जाता है।

इतने सारे कामों को करने के बहुत सारा पैसा चाहिए। निगम यह राशि अलग-अलग तरीकों से इकट्ठा करता है। इस राशि का बड़ा भाग सरकार द्वारा अनुदान से आता है। लोग जो कर (Tax) देते हैं। वह सरकार इस राशि को उपलब्ध कराती है।

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अतः नगर-निगम के आय के साधन इस प्रकार हैं

  • मकान एवं दुकान तथा अन्य आदि से प्राप्त कर ।
  • सरकार द्वारा प्राप्त होने वाले अनुदान ।
  • अन्य विभिन्न तरीकों से लिए जानेवाले शुल्क जैसे-होर्डिंग, मोबाइल टॉवर आदि।
  • नगर-निगम कर्ज भी ले सकती है।