Bihar Board Class 7 Social Science Civics Solutions Chapter 1 लोकतंत्र में समानता

Bihar Board Class 7 Social Science Solutions Civics Samajik Aarthik Evam Rajnitik Jeevan Bhag 2 Chapter 1 लोकतंत्र में समानता Text Book Questions and Answers, Notes.

BSEB Bihar Board Class 7 Social Science Civics Solutions Chapter 1 लोकतंत्र में समानता

Bihar Board Class 7 Social Science लोकतंत्र में समानता Text Book Questions and Answers

पाठगत प्रश्नोत्तर

प्रश्नों के उत्तर दें-

प्रश्न 1.
वोट देने का अधिकार किसे कहते है ?
उत्तर-
देश का हर वह नागरिक जिसकी उम्र 18 वर्ष या उससे अधिक हो वोट देने का अधिकारी होता है। वोट देने वाले के माता-पिता भारत के नागरिक तथा यहाँ के निवासी होने चाहिए। वेट देने के लिए जात-पात कोई मायने नहीं रखता है। वोट देने वाला व्यक्ति किस जाति का है, वह अमीर है या गरीब है, शिक्षित है या अशिक्षित इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। वोट देने वालों के बीच समानता का भाव होता है।

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प्रश्न 2.
कतार में खड़ा होकर क्या कहीं पनम को समानता का अनुभव हो रहा है, कैसे?
उत्तर-
पूनम ज्योति के यहाँ चौका-बर्तन का काम करती है। फिर भी वोट देने के लिए लाईन में वह ज्योति से आगे खड़ी थी। वहाँ उसे किसी ने यह नहीं कहा कि तुम नौकरानी का काम करती हो, इसलिए तुम पीछे जाकर

खड़ी हो । वहाँ उसे यह भी सुनने को नहीं मिला कि नौकरानी होकर तुम आगे खड़ी हो और तुम्हारी मालकिन तुम्हारे पीछे खड़ी है। जबकि रोजमर्रा के जीवन में अगर कोई नौकरानी अपनी मालकिन के आगे चलें तो ऐसे वाक्य सुनने को मिलते हैं। उससे यहाँ यह भी नहीं कहा गया कि तुम अशिक्षित हो और गरीब हो तो आगे क्यों खड़ी हो। इस वजह से कतार में खड़े होकर पूनम को समानता का अहसास हो रहा है।

प्रश्न 3.
वोट देने के अधिकार में क्या आपका काम, शिक्षा, पैसे या धर्म व जाति से कोई फर्क पड़ता है ? चर्चा करें।
उत्तर-
वोट देने के अधिकार में हमारे काम, शिक्षा, पैसे या धर्म व जाति से कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि वोट देने में लोगों के बीच समानता का भाव होता है। किसी भी जाति-धर्म, अमीर-गरीब, शिक्षित-अशिक्षित कोई भी व्यक्ति वोट देने का अधिकारी हो सकता है।

प्रश्न 4.
फोटो पहचान-पत्र की जरूरत और कहाँ-कहाँ हो सकती है ?
उत्तर-
फोटो पहचान पत्र में हमारे फोटो के साथ ही हमारा पता, हमारी उम्र भी लिखी हुई होती है। फोटो पहचान पत्र दिखाने पर ही हमें वोट देने की अनुमति मिलती है, अगर यह हमसे खो जाए तो हमें वोट नहीं देने दिया जाए।

इसके अलावा फोटो-पहचान पत्र की जरूरत हमें राशन कार्ड बनवाते समय, बैंक में खाता खुलवाने समय, पासपोर्ट बनवाते समय, ड्राइविंग लाइसेंस बनवाते समय, किसी भी कानूनी पंजीकरण के समय हमें इसकी आवश्यकता होती हैं।

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प्रश्न 5.
अब तक रमा स्कूल क्यों नहीं गई?
उत्तर-
रमा एक गरीब घर की लड़की है। उसकी माँ नौकरानी का काम करती है, इसलिए उसकी आमदनी भी कम है। अपनी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के कारण रमा की माँ उसे प्राइवेट स्कूल में नहीं पढ़ा सकती और सरकारी स्कूल उसके घर से बहुत दूर है। इसी वजह से रमा अब तक स्कूल नहीं गई।

प्रश्न 6.
पूनम को असमानता का अहसास क्यों होता है?
उत्तर-
पूनम को असमानता का अहसास इसलिए होता है, क्योंकि चाहकर भी अपनी बेटी को स्कूल नहीं भेज सकती, इसकी वजह है सरकारी स्कूल का उसके घर से दूर होना । सरकारी स्कूल घर से दूर होने के कारण, प्राइवेट स्कूल में बच्चे को पढ़ाना उसकी मजबूरी है, लेकिन प्राइवेट स्कूल में बच्चे को पढ़ाने के लिए उसके पास पैसे नहीं है।

प्रश्न 7.
आपके आसपास किस-किस प्रकार के स्कूल हैं?
उत्तर-
मेरे आसपास में सरकारी और प्राइवेट दोनों प्रकार के स्कूल हैं। जिनमें कुछ प्राइवेट स्कूल छोटे तो कुछ बहुत बड़े हैं।

प्रश्न 8.
अच्छा स्कूल आप किसे मानेंगे? आपस में चर्चा करें।
उत्तर-
अच्छा स्कूल वही होता है, जहाँ बच्चों को अच्छे से पढ़ाया जाता है उसे आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। उनके शारीरिक विकास के लिए स्कूलों में खेल-कूद की भी उचित व्यवस्था होनी चाहिए। बच्चों को एक अच्छा इंसान बनाने में स्कूलों की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है।

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प्रश्न 9.
बाल संसद के लिए चुनाव करवाना क्यों जरूरी है?
उत्तर-
बाल संसद में चुनाव करवाने से बच्चों को अपने मत का प्रयोग करने का मौका मिलता है। उनमें अपने अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में जागरूकता आएगी। उनमें निर्णय करने की क्षमता का विकास होगा और उन्हें अपनी इच्छा से अपना प्रतिनिधि चुनने का मौका मिलेगा।

प्रश्न 10.
यदि शिक्षक द्वारा प्रतिनिधि मनोनीत कर दिया जाता, तो क्या फर्क पड़ता?
उत्तर-यदि शिक्षक द्वारा प्रतिनिधि मनोनीत कर दिया जाता, तो बच्चा को अपने मतों को प्रयोग करने का मौका नहीं मिलता। वे अपने पसंद से अपने

प्रतिनिधि का चुनाव नहीं कर पाते, उनमें अपने अधिकारों और अपने कर्तव्यों को जानने की जिज्ञासा नहीं होती और निर्णय करने की क्षमता का विकास नहीं होता।

प्रश्न 11.
क्या चुनाव प्रक्रिया में एक व्यक्ति एक मत’ के सिद्धान्त का प्रयोग हुआ है ? समझाएँ।
उत्तर-
हाँ, चुनाव प्रक्रिया में एक व्यक्ति एक मत के सिद्धान्त का प्रयोग हुआ है। किसी एक व्यक्ति को एक बार ही मतदान करने का अधिकार दिया गया है। कोई भी व्यक्ति एक ही बार एक ही जगह पर मतदान कर सकता है। कोई व्यक्ति बार-बार अलग-अलग जगहों पर जाकर मतदान करेगा, तो इससे सही प्रतिनिधि का चुनाव नहीं हो पाएगा।

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प्रश्न 12.
एक व्यक्ति एक मत’ के नियम से क्या लाभ है? ।
उत्तर
एक व्यक्ति एक मत’ के नियम से सबसे बड़ा लाभ यह है कि इससे उसकी सार्थकता साबित होती है। जनता जिसे सबसे अधिक मत देती है, वही जनता का प्रतिनिधि बनता है और जनता की तरफ से उनकी मांगों को सरकार के सामने रखता है।

प्रश्न 13.
आपके विद्यालय में बाल संसद ने क्या काम किया और क्या कर सकती है? अपनी राय लिखें।
उत्तर-
बाल संसद ने हमें आचरण में रहना सीखाया। बाल संसद और – हमलोगों ने मिलकर स्कूल में फुलवारी लगाई। उनलोगों के द्वारा बच्चों के – खेलने के लिए झूले लगवाए गए। उनलोगों ने हमें हमारा हक बताया। उनलोगों ने हमें हमारे मत के महत्त्व के बारे में बताया।

प्रश्न 14.
दक्षिण अफ्रीका में रेल यात्रा के दौरान गाँधीजी के गरिमा को किस प्रकार ठेस पहुँची?
उत्तर-
गाँधीजी जब दक्षिण अफ्रीका गए हुए थे तब वहाँ पर रंग भेद चरम पर था। एक बार गाँधीजी ट्रेन के द्वारा डरबन से प्रिटोरिया जा रहे थे उनके पास प्रथम श्रेणी का टिकट था और वे प्रथम श्रेणी में यात्रा कर रहे थे। ट्रेन के मारीटजवर्ग पहुँचने पर कुछ रेल कर्मचारी उस डब्बे में आए जिसमें गाँधीजी यात्रा कर रहे थे।

इन लोगों ने गाँधीजी से तृतीय श्रेणी के डब्बे में जाने को कहा, पर गाँधीजी ने उनलोगों को प्रथम श्रेणी का टिकट दिखाते हुए तृतीय श्रेणी के डिब्बे में जाने से इनकार किया। लेकिन रेल कर्मचारियों को एक अश्वेत व्यक्ति को रेल के प्रथम श्रेणी के डिब्बे में यात्रा करना पसंद नहीं आया और उनलोगों ने पुलिस को बुलवाकर गाँधीजी के सामान को बाहर फेंकवा दिया और गाँधीजी भी ट्रेन से जबरदस्ती नीचे उतार दिये गये। अपने साथ हुए इस व्यवहार से गाँधीजी की गरिमा को बहुत ठेस पहुँची।

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प्रश्न 15.
आपबीती के लेखक को अपने संबंधी के यहाँ किन बातों से ठेस पहुँची होगी, चर्चा करें।
उत्तर-
आपबीती के लेखक साधारण परिवार से ताल्लुक रखते हैं। एक बार उन्हें अपने निकट के संबंधी के यहाँ एक विवाह समारोह में शामिल होने जाना था। उनके रिश्तेदार आर्थिक रूप से काफी संपन्न थे।

उनके यहाँ विवाह समारोह में शामिल होने जितने भी लोग आए थे, वे सभी समाज के धनी लोग थे। उन सबों ने काफी महंगे सूट-बूट पहन रखे थे और काफी बड़ी-बड़ी गाड़ियों से आ रहे थे। पर एक साधारण परिवार से होने की वजह से लेखक ने न तो महंगे सूट पहने थे और न ही उनके पास गाड़ी थी। इसलिए वहाँ लेखक ने खुद को अपेक्षित महसूस किया, उन्हें वहाँ न तो बैठने के लिए पूछा गया न खाने के लिए पूछा गया और रात भर वे ठीक से सो भी नहीं पाए, “क्योंकि वहाँ उन्हें मच्छर काट रहे थे। अपने रिश्तेदारों द्वारा ऐसा व्यवहार किए जाने पर लेखक को बहुत ठेस लगी।

प्रश्न 16.
क्या आपके साथ ऐसी कोई घटना हई है जिसमें आपकी गरिमा को ठेस पहुंची हों?
उत्तर-
हाँ, मेरे साथ ऐसी घटना हुई है जब मेरी गरिमा को भी ठेस पहुंची थी। एक बार मैं अपने एक रिश्तेदार के घर जन्मदिन के समारोह में शामिल होने गयी थी। मेरे रिश्तेदार भी आर्थिक रूप संपन्न हैं और मैं एक साधारण परिवार से हूँ।

उनके घर जाने पर मुझे भी यह महसूस हुआ की वे लोग अपने बराबरी वालों लोगों के साथ जैसा व्यवहार कर रहे थे हमारे साथ उनका ऐसा व्यवहार नहीं था। वे लोग अपने बराबरी वाले लोगों के साथ अच्छे पेश आ रहे थे, उन्हें बहुत प्यार से बैठने और खाने के लिए कहा जा रहा था पर मेरे साथ उनका व्यवहार औपचारिकतापूर्ण था। मेरे साथ किए गए व्यवहार में वह प्यार और अपनापन नहीं था जिससे मेरे गरिमा को भी ठेस पहुंची और – मुझे बहुत बुरा भी लगा।

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प्रश्न 17.
इन विज्ञापनों में जाति एवं अन्य सामाजिक असमानता के सूचक शब्दों को रेखांकित करें।।
उत्तर-
दिए गए विज्ञापनों में जाति एवं अन्य सामाजिक असमानता के सूचक शब्द हैं, जैसे हमें विवाह के लिए निम्न जाति की ही वर-वधू चाहिए। क्योंकि यहाँ दिया गया विज्ञापन वैवाहिक विज्ञापन हैं।

प्रश्न 18.
मध्याह्न भोजन योजना का उद्देश्य क्या है?
उत्तर-
मध्याह्न भोजन योजना के शुरू होने से स्कूलों में बच्चों की संख्या में वृद्धि हुई है। कई ऐसे बच्चे होते हैं जो खाली पेट ही स्कूल चले आते हैं, जिस वजह से पढ़ाई में उनका मन नहीं लगता। कितने बच्चे तो स्कूल की आधी छुट्टी में भोजन करने जाते हैं और फिर वापस स्कूल नहीं आते

कितने बच्चों की माताओं को अपने बच्चों के लिए भोजन बनाने के लिए अपने काम को छोड़कर वापस आना पड़ता था। उन्हें अब इस योजना के शुरू होने के बाद ऐसा नहीं करना पड़ता है। मध्याह्न भोजन योजना के अन्तर्गत बच्चों को भोजन के साथ-साथ उनके बीच की सामाजिक दूरियों को मिटाने का प्रयास भी किया जाता है। सभी बच्चों को एक साथ बैठाकर एक ही प्रकार का भोजन कराया जाता है, चाहे उनकी जाति कोई भी हो। भोजन बनाने के लिए किसी भी जाति के लोगों को नियुक्त किया जा सकता है चाहे वे दलित हो या महादलित ।

प्रश्न 19.
मध्याह्न भोजन और विद्यालय से संबंधित अंशों से समानता दशनि वाले वाक्य चुनो और लिखो?
उत्तर-
मध्याह्न भोजन और विद्यालय से संबंधित अंशों से समानता दर्शाने वाले वाक्य इस प्रकार हैं

  1. सभी बच्चों को एक जगह बैठाकर एक प्रकार का भोजन करवाना चाहे उनकी जाति कोई भी हो।
  2. भोजन बनाने के लिए किसी भी जाति के लोग को नियुक्त करना, . चाहे वे दलित हो या महादलित।

प्रश्न 20.
क्या आपने कभी मध्याह्न भोजन के दौरान असमानता का अनुभव किया है, अगर हाँ तो कैसे?
उत्तर-
नहीं, मैंने कभी मध्याह्न भोजन के दौरान असमानता का अनुभव नहीं किया है।

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प्रश्न 21.
बाल संसद समानता के लिए क्या कर सकती है? चर्चा कीजिए।
उत्तर-
बाल संसद समानता के लिए काफी कुछ कर सकती हैं। वे सभी बच्चों को एक जैसा मौका देकर उनके बीच के भेद-भाव को दूर करते हैं। सभी बच्चों के साथ एक जैसा बर्ताव कर वे बच्चों के भेद-भाव को दूर कर सकते हैं। सभी बच्चों को आगे बढ़ने का अवसर देना चाहिए और उन्हें प्रोत्साहित करना चाहिए। सभी को एक जगह बैठाकर एक जैसा भोजन करवाने से बच्चों के बीच की असमानता भी दूर होती है।

अभ्यास के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
अपने आस पड़ोस से समानता और असमानता दर्शाने वाले किन्हीं । तीन व्यवहारों का उल्लेख करें। समानता के व्यवहार

1. ………….. 2. ……………. 3. ………….
असमानता के व्यवहार
1. …………….. 2. …………… 3. ………..
उत्तर-
समानता के व्यवहार-

  1. मतदान।
  2. एक ही स्कूल में विभिन्न संप्रदाय से आए बच्चों का एक साथ पढ़ना।
  3. किसी जगह सभी जातियों के लोगों का एक साथ काम करना ।

असमानता के व्यवहार-

  1. घर में नौकरों के साथ किया गया दुर्व्यवहार ।
  2. नौकरी के आवेदनों में किसी खास वर्ग के लोगों को प्रधानता दना ।
  3. दलितों के साथ छुआ-छूत का व्यवहार ।

प्रश्न 2.
क्या आपने कभी किसी के साथ असमान व्यवहार किया है? यदि हाँ तो कब और क्यों?
उत्तर-
नहीं, मैंने कभी किसी के साथ असमान व्यवहार नहीं किया है। हम सभी बच्चे स्कूल में बैठकर एक साथ अपना लंच करते हैं, एक साथ

खेलते हैं, एक साथ एक ही छत के नीचे बैठकर पढ़ाई करते हैं। पर उस वक्त
हम यही नहीं सोचते कि हमारी जातियाँ अलग है। क्योंकि जात-पात भगवान द्वारा नहीं, हम इंसानों के द्वारा बनाया गया है और कोई भी इंसान अपने जाति ” से नहीं अपने कर्मों से बड़ा बनता है।

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प्रश्न 3.
क्या आपको किसी के व्यवहार से ठेस पहुंची है?
उत्तर-
हाँ, मैं एक बार अपने एक रिश्तेदार के घर किसी समारोह में शामिल होने गयी थीं। वे लोग आर्थिक रूप से काफी संपन्न थे, पर हमारा परिवार एक साधारण परिवार है। उनके घर जाने पर मुझे ऐसा महसूस हुआ कि उनका व्यवहार हमारे लिए वैसा नहीं था, जैसा अन्य लोगों के साथ था। वे लोग हमारे साथ एक औपचारिकतापूर्ण व्यवहार निभा रहे थे। हमारे लिए उनके व्यवहार में अपनापन नहीं था। उनके इस व्यवहार से मुझे बहुत ठेस पहुंची।

प्रश्न 4.
यदि आप रोजा पार्क्स की जगह दक्षिण अफ्रिका में रहते तो क्या करते?
उत्तर-
अगर मैं रोजा पार्क्स की जगह होती तो वही करती जो पार्क्स ने किया था। क्योंकि श्वेत और अश्वेत लोगों में फर्क करना गलत है। कोई इन्सान काला और गोरा खुद से नहीं बनता, यह भगवान का दिया हुआ रंग-रूप होता है।

फिर इस रंग-रूप को लेकर इंसानों के बीच भेद-भाव क्यों होता है। मैं भी रोजा पार्क्स की तरह अपनी जगह उस श्वेत व्यक्ति को नहीं देती क्योंकि जिस तरह से वह व्यक्ति काम करके थका था उसी तरह रोजा पास भी काम करके थकी हुई थी और फिर वह बस में चढी भी पहले थी।

प्रश्न 5.
क्या कभी आपने पंक्ति में खड़े लोगों से बाद में आने के बावजूद आगे होने का प्रयास किया है ? यदि हाँ तो क्यों ?
उत्तर-
नहीं, मैंने बाद में आने के बावजूद पंक्ति में आगे खड़े होने की कोशिश नहीं की है। क्योंकि यह गलत होता है, जो लोग हमसे पहले से पक्ति में खड़े हैं, उनका काम पहले होना चाहिए। हो सकता किसी व्यक्ति के लिए कोई काम कराना बहुत जरूरी हो पर हमारे बीच में आ जाने से उनका काम देर से हो और उन्हें कुछ नुकसान हो जाए।

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प्रश्न 6.
असमानता के कई रूप हैं। यह कैसे कह सकते हैं?
उत्तर-
असमानता के कई रूप होते हैं, समाज में हम इन्हें विभिन्न रूपों में देखते हैं जैसे

  1. विवाह के संदर्भ में दिए गए विज्ञापनों में जाति प्रधानता का प्रमुख होना।
  2. किसी नौकरी के आवेदन में किसी खास वर्ग को प्रधानता देना।
  3. अमीर घर के बच्चों के द्वारा गरीब बच्चों के साथ किया गया व्यवहार ।
  4. दलितों के साथ किया गया छुआ-छूत का भेदभाव ।
  5. उच्च जाति वाले का निम्न जाति वालों के साथ किया गया व्यवहार।
  6. निम्न जाति वालों के लिए किया गया आरक्षण की माँग।

Bihar Board Class 7 Social Science लोकतंत्र में समानता Notes

पाठ का सार संक्षेप

पहचान-पत्र हमारे लिए महत्त्वपूर्ण होता है। बहुत सारे कामों में हमें इसकी आवश्यकता होती है। फोटो पहचान-पत्र से सरकार द्वारा हमें यह ‘अधिकार दिया जाता है कि हम अपना मतदान कर सकते हैं। जहाँ पर फोटो-पहचान पत्र बनाने का काम होता है, वहाँ पर लोगों की लम्बी कतार लगी रहती है और सभी अपनी बारी का इंतजार करते हैं। यहाँ कतार में खड़े लोगों में किसी बात की असमानता नहीं होती है, सभी बिल्कुल समान रूप में खड़े होते हैं। यहाँ यह नहीं देखा जाता कि कतार में खड़े लोगों में कौन अमीर हैं और कौन गरीब हैं, कौन शिक्षित हैं और कौन अशिक्षित हैं।

Bihar Board Class 7 Social Science Civics Solutions Chapter 1 लोकतंत्र में समानता

यहाँ कतार में खड़े होकर सभी लोगों को समानता का अहसास होता है, जबकि रोजाना के जीवन में कुछ अलग-सा महसूस होता है । गरीबी की वजह से कुछ लोग अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाने के लिए पैसे नहीं जुटा पाते । पर सरकारी स्कूल दूर होने की वजह से प्राइवेट स्कूलों में बच्चों को · पढ़ाना उनकी मजबूरी बन जाती है। हमारे लोकतंत्र के लिए एक समस्या यह

है कि यहाँ वोट देने के अधिकार में समानता है, पर रोजमर्रा के जीवन में कई प्रकार की असमानताएँ हैं। …

बाल संसद और समानता–इसमें कक्षाओं को पहले पाँच समूहों में बाँट दिया जाता है। प्रत्येक समूह में सभी कक्षाओं के छात्र-छात्राओं को शामिल किया जाता है। फिर इसमें पाँच समूह तैयार कर लिए जाते हैं, जिसमें सभी कक्षाओं के छात्र-छात्राएं शामिल हों। फिर इन पाँचों समूहों में से दो-दो प्रतिनिधियों का चुनाव किया जाता है।

मध्याह्न भोजन और विद्यालय मध्याह्न भोजन के शुरू होने से स्कूलों में बच्चों की संख्या में वृद्धि हुई है। कई बच्चे खाली पेट ही स्कूल आते थे जिस वजह से पढ़ाई में उनका मन नहीं लगता था । पर मध्याह्न भोजन योजना से उन्हें भोजन भी मिलता है और उनके बीच की सामाजिक दरियों को कम करने का प्रयास भी किया जाता है। यहाँ सभी बच्चे एक साथ बैठकर एक ही प्रकार का भोजन करते हैं,

चाहे उनकी जाति कोई भी हो । पेट भरा होने की वजह से बच्चों को पढाई में भी मन लगता है। है गरीबी एवं बेरोजगारी-गरीबी और बेरोजगारी में हमें असमानता का सबसे भयानक स्वरूप नजर आता है। बिहार में आज भी ऐसे बहुत सारे परिवार है जिन्हें रोजाना भरपेट भोजन नहीं मिल पाता है। यहाँ सबसे ज्यादा गरीब खेतिहर मजदूर है।

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ज्यादातर ये लोग भूमिहीन होते हैं या फिर उनके पास बहुत थोड़ी-सी जमीन होती है जिनसे इनका गुजारा नहीं हो पाता है। ये लोग दूसरों की खेती में मजदूरी करके अपना और अपने परिवार का पेट पालते हैं। पर इन्हें वर्ष भर काम भी नहीं मिलता । ये ज्यादातर मजदूर दलित परिवार के होते हैं, इस वजह से इन्हें दोहरी असमानता का सामना करना पड़ता है एक. तो बेरोजगारी और दूसरी सामाजिक भेदभाव ।