Bihar Board Class 8 Social Science Solutions History Aatit Se Vartman Bhag 3 Chapter 9 महिलाओं की स्थिति एवं सुधार Text Book Questions and Answers, Notes.
Bihar Board Class 8 Social Science History Solutions Chapter 9 महिलाओं की स्थिति एवं सुधार
Bihar Board Class 8 Social Science महिलाओं की स्थिति एवं सुधार Text Book Questions and Answers
अभ्यास-प्रश्न
प्रश्न 1.
सही विकल्प को चुनें
प्रश्न (i)
स्त्रियों की असमानता की स्थिति पर पहली बार किसके द्वारा प्रश्नचिह्न लगाया गया?
(क) अंग्रेजों के द्वारा
(ख) भारतीय शिक्षितों के द्वारा
(ग) महिलाओं के द्वारा
(घ) निम्न वर्ग के प्रणेताओं के द्वारा
उत्तर-
(क) अंग्रेजों के द्वारा
प्रश्न (ii)
शिक्षा किस वर्ग की महिलाओं तक सीमित रहा? .
(क) निम्न वर्ग
(ख) मध्यम वर्ग
(ग) उच्च वर्ग
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(ग) उच्च वर्ग
प्रश्न (iii)
कानून के द्वारा सती प्रथा का अंत कब हुआ?
(क) 1826
(ख) 1827
(ग) 1828
(घ) 1829
उत्तर-
(घ) 1829
प्रश्न (iv)
विधवा पुनर्विवाह के प्रति किसने अपना जीवन समर्पित कर दिया ?
(क) ईश्वरचन्द्र विद्यासागर
(ख) दयानन्दन सरस्वती
(ग) राजाराम मोहन सय
(घ) सैयद अहमद खाँ
उत्तर-
(क) ईश्वरचन्द्र विद्यासागर
प्रश्न (v)
बाल विवाह निषेध अधिनियम किस वर्ष पारित हुआ ?
(क) 1926
(ख) 1927
(ग) 1928
(घ) 1929
उत्तर-
(घ) 1929
आइए विचार करें
प्रश्न (i)
महिलाओं में असमानता की स्थिति मुख्यतः किन कारणों से थी ?
उत्तर-
धर्म और संस्कृति के नाम पर महिलाओं के साथ भेदभाव किया जाता था। उन्हें शिक्षा से वंचित रखा जाता था। रूढ़िवादी एवं संकुचित विचारधारा केवल शिक्षा के द्वारा समाप्त की जा सकती थी, अत: सामाजिक सुधारकों ने महिला शिक्षा पर बल दिया। अशिक्षित व्यक्ति अपने अधिकारों के लिए आवाज नहीं उठा सकता ।
वह अपने साथ हो रहे किसी भी असमानता के खिलाफ सशक्त विरोध नहीं कर सकता । अत: महिलाओं में असमानता की स्थिति मुख्यत: उनके अशिक्षित रहने के कारण थी। फिर धर्म व संस्कृति का हवाला देकर उन्हें पर्दे में रखा जाता था । वे सामाजिक जीवन में भाग नहीं ले सकती थीं। विधवाओं को दुबारा विवाह करने की इजाजत नहीं थी। मृत पति के साथ उन्हें भी सती होना यानी पति के संग जलकर मरना पड़ता था।
प्रश्न (ii)
सती प्रथा पर किस प्रकार का विवाद रहा ? सती विरोधी एवं सती समर्थक विचारों को लिखें।
उत्तर-
उन्नीसवीं शताब्दी के हिन्दू समाज में विधवा महिला को अपने जीवन में भारी कष्टों का सामना करना पड़ता था। जिसमें सबसे कठोर सती प्रथा थी। इसमें विधवा को उनके पति के साथ चिता पर बाँधकर जिंदा जला दिया जाता था। इसी बात को ध्यान में रखकर सती प्रथा का विरोध प्रारंभ हुआ। दुर्भाग्यवश कुछ लोग समझते थे कि इस अमानवीय परंपरा को धार्मिक
मान्यता प्राप्त थी। जबकि वास्तव में यह विधवा स्त्रियों को संपत्ति एवं उत्तराधिकार के अधिकारों से वंचित करने का एक उपाय था।
जहां सती प्रथा के विरोधी महिलाओं के साथ हो रही बर्बरता को बंद करवाना चाहते थे वहीं सती समर्थक धर्म के नाम पर इस प्रथा को, अपने निजी स्वार्थ के लिए जारी रखने के पक्ष में थे। पर अंततः राजा राममोहन राय के प्रयासों से अंग्रेजों ने 1829 ई. में कानून बनाकर सती प्रथा का अंत कर दिया
प्रश्न (iii)
राजा राममोहन राय के द्वारा महिलाओं से संबंधित किस समस्या के खिलाफ आवाज उठाया गया ?
उत्तर-
राजा राममोहन राय आधुनिक युग के प्रणेता थे। उन्होंने ब्रह्म सभा और ब्रह्म समाज जैसे संगठन स्थापित किए। ब्रह्म समाज संगठन के द्वारा महिलाओं की स्थिति में सुधार की प्रक्रिया अपनाई गई। जैसे सती प्रथा पर रोक, महिलाओं की शिक्षा पर बल, विधवा पुनर्विवाह को प्रोत्साहन, अंतर्जातीय विवाह को समर्थन, बाल विवाह का विरोध इत्यादि । समाज में स्त्रियों की स्थिति सुधारने के लिए उन्होंने अथक प्रयास किए, शिक्षा के प्रसार के लिए कार्य किया एवं संपत्ति का उत्तराधिकार महिलाओं को मिले, इसके लिए आंदोलन किया।
प्रश्न (iv)
ईश्वरचन्द्र विद्यासागर के महिला सुधार में योगदानों की चर्चा करें।
उत्तर-
प्रसिद्ध समाज सुधारक ईश्वरचन्द्र विद्यासागर के नेतृत्व में विधवा विवाह के पक्ष में आंदोलन चलाया गया। इसके लिए उन्होंने प्राचीन ग्रंथों का हवाला दिया । ऐसा करते हुए वह वास्तव में ऐसे सामाजिक प्रचलन को समाप्त करना चाहते थे जिस पर धर्म की मुहर लगा दी गई थी।
राजा राममोहन राय की तरह ईश्वरचन्द्र विद्यासागर ने भी धर्म के वास्तविक रूप को इन सुधारों का आधार बनाने का प्रयास किया ताकि ये सामाजिक बदलाव धर्म विरोधी नहीं लगे।
राजा राममोहन राय की तरह ईश्वरचन्द्र विद्यासागर ने भी धर्म के … वास्तविक रूप को इन सुधारों का आधार बनाने का प्रयास किया ताकि ये – सामाजिक बदलाव धर्म विरोधी नहीं लगे।
ईश्वरचन्द्र विद्यासागर के द्वारा विधवा पुनर्विवाह को मान्यता प्रदान करवाने का श्रेय दिया जाता है। अंग्रेज सरकार ने उनके सझाव को मानते हए वर्ष 1856 में विधवा विवाह के पक्ष में एक कानन पारित कर दिया।
ईश्वरचन्द्र विद्यासागर के प्रयासों के कारण ही बाद में ‘ऐज ऑफ कन्सेंट’ (सहमति आयु विधेयक) कानून लागू हुआ जिसके परिणामस्वरूप – बाद में ‘नेटिव मैरेज एक्ट’ पारित हुआ। इसके तहत लड़कियों के लिए विवाह की न्यूनतम आयु 14 वर्ष एवं लड़कों के लिए 18 वर्ष तय हुई।
प्रश्न (v)
स्वामी विवेकानन्द ने महिला उत्थान के लिए कौन-कौन से उपाय सुझाए?
उत्तर-
स्वामी विवेकानन्द ने महिला उत्थान के लिए महिलाओं की । अशिक्षा को जिम्मेदारी माना । उन्होंने महिलाओं को शिक्षित करने के लिए प्रेरित किया । शिक्षा के प्रसार से ही वह महिलाओं की गरिमा को बनाए रखना चाहते थे, जिससे भारतीय संस्कृति का आदर पश्चिमी जगत में स्थापित हो
सके।
आइए करके देखें
प्रश्न (i)
महिलाओं में साक्षरता बढ़ाने के लिए आपके विचार से क्या प्रयास किये जाने चाहिए? वर्ग में सहपाठियों से चर्चा करें।
संकेत
स्वयं चर्चा करें।
प्रश्न (ii)
महिला उत्थान के लिए चलाये जाने वाले सरकारी कार्यक्रमों की जानकारी एकत्र कर उसकी एक सूची बनाएँ।
संकेत
शिक्षक के सहयोग से स्वयं करें।