BSEB Bihar Board 12th Chemistry Important Questions Short Answer Type Part 5 are the best resource for students which helps in revision.
Bihar Board 12th Chemistry Important Questions Short Answer Type Part 5
प्रश्न 1.
निम्नलिखित परिवर्तन आप कैसे करेंगे ?
(i) 2-ब्युटाइल क्लोराइड से 2-ब्यूटेनॉल (ii) नाइट्रोबेंजीन से एनीलिन (iii) इथेन से मिथेन (iv) मिधेन से इथेन (v) मिथेन से ऐसीटिलीन (vi) इथाइल एल्कोहॉल से आयोडोफॉर्म (vii) इथाइल एल्कोहॉल से ऐसीटिक अम्ल (viii) मिथाइल सायनाइड (मिथाइल नाइदाइल) से ऐसीटिक अम्ल (ix) ऐसीटिलीन से बेंजीन (x) बेंजीन से फेनॉल (xi) ऐसीटिक अम्ल से इथाइल ऐसीटेट (xii) ऐसीटिक अम्ल से मिथाइल एमीन (xiii) इथाइल आयोडाइड से युटेन (xiv) इथाइल आयोडाइड से प्रोपायोनिक अम्ल (xv) इथाइल आयोडाइड से इथाइल मैग्नेशियम आयोडाइड (xvi) इथाइल एल्कोहॉल से ईथर (xvii) फॉर्मिक अम्ल से ऐसीटल्डिहाइड (xviii) इथिलीन से इथाइल एल्कोहॉल।
उत्तर:
(i) 2-ब्युटाइल क्लोराइड की प्रतिक्रिया आर्द्र सिल्वर ऑक्साइड के साथ कराने पर 2-ब्युटेनॉल बनता है।
(ii) नाइट्रोबेंजीन को टिन और हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के साथ गर्म करने पर एनिलीन बनता है।
(iii) सूर्य के विसरित प्रकाश में इथेन की प्रतिक्रिया ब्रोमीन के साथ कराने पर इथाइल ब्रोमाइड बनता है। इसे AgOH के साथ गर्म करने पर इथाइल एल्कोहॉल बनता है। इथाइल एल्कोहल का ऑक्सीकरण अम्लीय K2Cr2O7 के द्वारा करने पर ऐसीटिक अम्ल बनता है। उसे सोडियम लवण को सोडालाइम के साथ गर्म करने पर मिथेन बनता है।
(iv) सूर्य के विसरित प्रकाश में मिथेन की प्रतिक्रिया ब्रोमीन के साथ कराने पर मिथाइल ब्रोमोइड बनता है। इसके ईथर में बने घोल को सोडियम धातु के साथ गर्म करने पर इथेन बनता है।
(v) मिथेन की प्रतिक्रिया सूर्य के विसरित प्रकाश में ब्रोमीन के साथ कराने पर मिथाइल ब्रोमाइड बनता है। उसके ईथर में बने घोल को सोडियम धातु के साथ गर्म करने पर इथेन बनता है। इथेन की प्रतिक्रिया सूर्य से विसरित प्रकाश में कराने पर इथाइल ब्रोमाइड बनता है। इसे जब एल्कोहलीय KOH घोल के साथ गर्म किया जाता है तो इथिलीन बनता है जो ब्रोमीन के साथ प्रतिक्रिया कर इथिलीन डाइब्रोमाइड बनाता है। इसे जब ऐल्कोहलीय KOH के साथ गर्म किया जाता है तो ऐसीटिलीन बनता है।
(vi) इथाइल ऐल्कोहल को आयोडीन एवं सोडियम हाइड्रॉक्साइड के साथ गर्म करने पर आयोडोफॉर्म बनता है।
(vii) इथाइल एल्कोहॉल को अम्लीय K2Cr2O7 के द्वारा ऑक्सीकरण करने पर पहले ऐसीटल्डिहाइड बनता है जो ऑक्सीकृत होकर ऐसीटीक अम्ल देता है।
(viii) मिथाइल सायनाइड (मिथाइल नाइट्राइल) क्षार के द्वारा जल अघटित होकर ऐसीटिक अम्ल देता है।
(ix) ऐसीटिलीन को जब 400°C तक गर्म ताम्र नली से प्रवाहित किया जाता है तो बेंजीन बनता है।
(x) फेरिक क्लोराइड उत्प्रेरक की उपस्थिति में बेंजीन की प्रतिक्रिया क्लोरीन के साथ कराने पर क्लोरोबेंजीन बनता है। क्लोरोबेंजीन को जलीय NaOH के साथ ऊँचे दाब तथा 300°C गर्म करने पर फेनॉल बनता है।
(xi) ऐसीटिक अम्ल को सान्द्र गन्धकाम्ल की उपस्थिति में इथाइल एल्कोहॉल के साथ गर्म करने पर इथाइल ऐसीटेट बनता है ।
(xii) ऐसीटिक अम्ल की प्रतिक्रिया अमोनिया के साथ कराने पर अमोनियम ऐसीटेट बनता है जो गर्म करने पर एसीटामाइड देता है। इसे KOH की उपस्थिति में KBr के साथ गर्म करने पर मिथाइल ऐमीन बनता है।
(xiii) इथाइल आयोडाइड के ईथर में बने घोल को सोडियम के साथ गर्म करने पर ब्युटेन बनता है।
(xiv) इथाइल आयोडाइड की प्रतिक्रिया ऐल्कोहलीय पोटैशियम सायनाइड के साथ कराने पर इथाइल सायनाइड बनता है। उसकी प्रतिक्रिया क्षार के साथ कराने पर प्रोपायोनिक अम्ल बनता है।
(xv) इथाइल आयोडाइड के शुष्क ईथर में बने घोल को प्रतिक्रिया मैग्नीशियम के साथ कराने पर इथाइल मैग्नीशियम आयोडाइड बनता है।
(xvi) इथाइल ऐल्कोहल को सान्द्र गन्धकाम्ल के आधिक्य में 140°C तक गर्म करने पर ईथर बनता है।
(xvii) फॉर्मिक अम्ल की प्रतिक्रिया Ca(OH)2 के साथ कराने पर कैल्सियम फॉर्मेट बनता है। कैल्सियम फॉर्मेट को कैल्सियम ऐसीटेट के साथ शुष्क स्रवण करने पर ऐसीटल्डिहाइड बनता है।
(xviii) इथिलीन की प्रतिक्रिया हाइड्रोआयोडिक अम्ल के साथ 100°C पर प्रतिक्रिया कर इथाइल आयोडाइड बनाता है। इसे जब आई सिल्वर ऑक्साइड के साथ गर्म किया जाता है तो इथाइल ऐल्कोहल बनता है।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित पदों का वर्णन करें
(a) अयस्क (b) खनिज (c) गेंग (d) फ्लक्स (e) धातुमल (f) निस्तापन (g) जारण तथा (h) विधुत-विच्छेदन द्वारा शुद्धिकरण।
उत्तर:
(a) अयस्क जिस खनिज से धातुओं का आकर्षण सुगमतापूर्वक तथा कम खर्च में हो सके उसे अयस्क कहते हैं। अतः स्पष्ट है कि सभी खनिज अयस्क नहीं होते हैं। लेकिन सभी अयस्क खनिज हो सकते हैं।
आयरन पाइराइट (FeS2) : आयरन एक खनिज है। इस खनिज से कम खर्च में तथा सुगमता-पूर्वक Fe नहीं प्राप्त किया जा सकता है। अतः FeS2 आयरन अयस्क नहीं है। कुछ धातुओं के अयस्क हैं-
(i) बॉक्साइट (Al2O3), (ii) साल्ट पीटर (NaNO3)
(b) खनिज वह प्राकृतिक पदार्थ जिसमें एक मुख्य रासायनिक अवयव (ता, या यौगिकः, उपस्थित हो, खनिज कहलाता है। खनिज प्रायः कार्बोनेट, सल्फेट, नाइट्रेट, सल्फाइड, सिलिकेट, फॉसेट, क्लोराइड इत्यादि रूपों में प्राप्त होते हैं।
जैसे-हेमाटाइड एक खनिज है जिसका मुख्य अवयव Fe2O3 है।
(c) गेंग अयस्क में उपस्थित अशुद्धियों को गेंग कहते हैं।
अयस्कों में साधारणतः सिलिका (SiO2), चूना पत्थर (CaCO3) आदि पदार्थ अशुद्धि के रूप में रहते हैं। अतः ये पदार्थ गेंग कहलाते हैं। कॉपर के अयस्क कॉपर पाइराइट (CuFeS2) में (Fes) अशुद्धि के रूप में वर्तमान रहते हैं।
अतः यहाँ Fes गेंग कहलाएंगें।
(d) फ्लक्स : अयस्क में उपस्थित अशुद्धियों को हटाने के लिए अयस्क के साथ जो बाहरी पदार्थ मिलाये जाते हैं, फ्लक्स कहलाते हैं। जैसे-Cao, SiO2 आदि।
फ्लक्स दो प्रकार के होते हैं-
1. अम्लीय फ्लक्स 2. क्षारीय फ्लक्स।
जब अयस्क में क्षारीय अशुद्धियाँ अम्लीय हों तो क्षारीय फ्लक्स व्यवहत होते हैं।
अम्लीय फ्लक्स के उदाहरण SiO2 तथा बोरेक्स आदि हैं तथा क्षारीय फ्लक्स के उदाहरण CaCO3, MgCO3 तथा Cao आदि हैं।
(e) स्लैग : वह हल्का द्रवणशील पदार्थ है जो अयस्क में उपस्थित अशुद्धियों तथा फ्लक्स के संयोग से बनता है, स्लैग कहलाता है।
यदि आयरन में गेंग Cao हो तो इसमें SiO2 फ्लक्स मिश्रित कर गर्म करते हैं। प्रतिक्रिया के फलस्वरूप CaSiO2 एवं द्रवणशील हल्का पदार्थ बनता है। इस हल्का पदार्थ को स्लैग कहा जाता है।
(f) निस्तापन (Calcination) : इस विधि द्वारा अयस्क से संयुक्त नमी और वाष्पशील पदार्थ दूर किये जाते हैं। इसके लिए सांद्रित अयस्क को इतना गर्म किया जाता है कि अयस्क द्रवित हों। परन्तु इससे संलग्न सम्पूर्ण जलवाष्प, कार्बनिक तथा वाष्पशील पदार्थ निकल जाएँ। इस विधि का प्रयोग मुख्यतः कार्बोनेट या हाइड्रेटेड ऑक्साइडों के लिए किया जाता है।
(g) जारण (Roasting) : इस विधि में अयस्क को अकेला या अन्य पदार्थों के साथ इसके द्रवणांक से नीचे तक हवा में गर्म किया जाता है। इसमें रासायनिक प्रतिक्रिया होती है और अयस्क ऑक्साइड या अन्य यौगिक में परिवर्तन होता है।
2ZnS + 3O2 = 2 ZnO + 2 SO2 ……. (i)
Fe2O3 + 2Al = 2Fe + Al2O3 ……. (ii)
CuS + 2O2 = CuSO4 ……. (iii)
AgS + 2NaCl = 2AgCl + Na2S ……. (iv)
पहली प्रतिक्रिया को ऑक्सीकरण जारण, दूसरी प्रतिक्रिया को अवकरण जारण, तीसरी को सल्फेटिंक जारण, तथा चौथी प्रतिक्रिया को क्लोरिडाइजिंग जारण कहते हैं। जारण में प्रतिक्षेपी भट्ठी का प्रयोग किया जाता है।
(h) विद्मत विच्छेदन द्वारा शुद्धिकरण : इस विधि में शुद्ध धातु विद्युत-विच्छेदन द्वारा प्राप्त किये जाते हैं। इसके लिए एक विद्युत घट में धातु के लवण का जलीय घोल लिया जाता है। अशुद्ध धातु के प्लेट को एनोड तथा शुद्ध धातु की एक पतली प्लेट को कैथोड बनाया जाता है।
विद्युत-धारा प्रवाहित करने पर शुद्ध धातु कैथोड पर एकत्रित होती है तथा अशुद्धियाँ एनोड के नीचे जमा होती हैं। इस विधि का उपयोग Cu, Ag, Au तथा Cr के शुद्धिकरण में किया जाता है।
उदाहरणार्थ : CuFeS2 से प्राप्त कॉपर में Fe तथा Ag अशुद्धि के रूप में वर्तमान रहते हैं। इसे अशुद्ध Cu कहा जाता है। इससे शुद्ध Cu प्राप्त करने के लिए इसे एनोड बनाया जाता है। शुद्ध Cu का Cathode लिया जाता है। फिर इन दोनों को CuSO4 के घोल में रखकर विद्युत-विच्छेदन किया जाता है जिससे Cathode पर शुद्ध Cu प्राप्त होता है। Fe तथा Ag घोल में ही रह जाते हैं।
Cu→ Cu++ + 2e एनोड पर
Cu++ + 2e → Cu कैथोड पर (धातु)
प्रश्न 3.
निम्न समीकरणों को पूरा कर संतुलित करें-
उत्तर:
प्रश्न 4 (a).
हेनरी नियम क्या है ?
उत्तर:
1805 ई० William Henry ने प्रायोगिक अध्ययन के आधार पर नियत ताप पर द्रव घोलक में गैस की घुलनशीलता पर दाब के प्रभाव के संबंध में एक नियम दिया, जिसे Henry’s Law से जाना जाता है। इस नियम के अनुसार-
नियम ताप पर, द्रव विलयन में गैस का मोल प्रभाज (घुलनशीलता) उसके दाब के समानुपाती होती है।
प्रश्न 4 (b).
Henry’s Law constant (K) की इकाई क्या है?
उत्तर:
Henry’s Law constant (KH) की इकाई atm या bar होती है।
प्रश्न 5.
Azeo tropes क्या है?
उत्तर:
ऐसे Solutions जिनका द्रव तथा वाष्प अवस्था में संगठन समान तथा क्वथनांक नियत होता है। तो उसे Azeo tropes Mixture कहा जाता है।
(The solutions which Possessed Same composition of Components in Liquid as well as in its vapour Phase. and bails at Constant Temperature known as Azeotropre Mixture or Azetropes).
प्रश्न 6.
Ideal Solution ( आदर्श घोल) एवं Non-Ideal solution (अनादर्श घोल) में अन्तर बतावें।
उत्तर:
प्रश्न 7.
निम्नलिखित में प्रत्येक के एक-एक उदाहरण दें।
(क) जेल (ख) एयरोसॉल
उत्तर:
(क) जेल – मक्खन, या पनीर,
(ख) एयरोसॉल – धुआँ या धूलकण।
प्रश्न 8.
वर्धक (Promoter), उत्प्रेरक विष (Catalyst Poisions) संदमक से क्या समझते हैं :-
उत्तर:
वर्धक (Promotor)- ऐसे रासायनिक पदार्थ जो स्वयं अभिक्रिया के लिए उत्प्रेरक नहीं होते हैं किन्तु स्वयं की उपस्थिति द्वारा उत्प्रेरक की सक्रियता (activity) में वृद्धि करते हैं। वर्धक कहलाते है। जैसे- Haber विधि द्वारा NH3 के उत्पादन में Fe उत्प्रेरक होता है। लेकिन Mo उसकी Catalytic activity में वृद्धि करता है। अत: Mo वर्धक होता है।
अन्प्रेरक विष (Catalytic Poisions)-
ऐसे रासायनिक पदार्थ जो किसी उत्प्रेरक की उत्प्रेरय सक्रियता को कम या नष्ट करते हैं, उत्प्रेरक विष कहलाते हैं।
Examples :Hober’s process द्वारा NH3 के निर्माण में Fe-Catalyst के लिए H2O विष (Poison) का कार्य करता है।
संदमक (Inbibitors) : ऐसे रासायनिक पदार्थ जो किसी रासायनिक अभिक्रिया की गति को मंद या कम कर देती है। तो उसे संदमक कहा जाता है।
Examples H2O2 का विघटन की गति Acetamide या Glycerine की उपस्थिति में मंद (slow) हो जाती है। अत: Acetamide या Glycive को संदमक कहा जाता है।
प्रश्न 9.
Enzymes तथा Catalysts में अन्तर बतावें।
उत्तर:
प्रश्न 10.
डेनियल सेल का अर्धसेल अभिक्रिया एवं मेल अभिक्रिया लिखे-
उत्तर:
अर्धसेल अभिक्रिया
प्रश्न 11.
निम्नलिखित समीकरणों को पूरा करें-
(क) CHl3 + alcKOH + C6H5NH2 →
(ख) CH3CH2OH + I2 + NaOH →
उत्तर:
(क) CHCl3 +3alc·KOH + C6H5NH2 → C6H5NC + 3kcl + 3H2O
(ख) CH3CH2OH + 4I2 + NaOH → CHI3 + 5HI + HCOONa
प्रश्न 12.
नाइट्रेट आयन (NO3 –) की जाँच-
उत्तर:
Nitration की उपस्थिति की जांच वलय परीक्षा (Ring-test) द्वारा किया जाता है। एक Test Tube में तत्काल निर्मितFesox FeSO4 के जलीय घोल को नाइट्रेट युक्त लवण के विलयन में मिश्रित कर Test Tube की दीवार से सावधानी पूर्वक सान्द्र H2SO4 अम्ल डालने पर दोनों द्रवों के मिलन बिन्दु पर Dark Brown Ring का निर्माण होता है। जिससे No3- की उपस्थिति की जाँच हो जाती है।
प्रश्न 13.
निम्न यौगिकों के IUPAC नाम लिखें-
उत्तर:
प्रश्न 14.
What is meant by PH, POH and pKw. How are they related to each ohter.
(pH, pOH तथा pKw से क्या समझते हैं ? ये किस प्रकार आपस में सम्बन्धित हैं ?)
उत्तर:
pH तथा pOH मान : किसी घोल का pH मान उसमें उपस्थित हाइड्रोजन आयनों सान्द्रण (मोल-लिटर में) के ऋणात्मक लघुगुणक (आधार 10 मानकर) के बराबर होता है। अतः
pH = -log10[H+] …………(1)
किसी घोल का pH मान जितना कम होता है, वह घोल उतना ही अधिक अम्लीय होता है। जिस प्रकार pH द्वारा घोल की अम्लीयता की मात्रा या H+ आयन की सान्द्रता की जाती है उसी तरह POH की उपयोग क्षारीयता की मात्रा या OH– आयन की सान्द्रता व्यक्त करने के लिए किया जाता है।
pH की भांति POH को भी निम्न प्रकार परिभाषित किया जाता है-किसी घोल का pOH मान उसमें उपस्थित OH– आयनों के सान्द्रण (मोल/लिटर में) के ऋणात्मक लघुगुणक (आधार 10 मानकर) के बराबर होता है। अतः
pOH = -log10[OH–] ……….(2)
pK नोटेशन (pK. notation) : किसी अम्ल या क्षार के विघटन स्थिरांक (या आयनन स्थिरांक) या जल के आयनिक गुणनफल के ज्ञान से इसके pK मान को निम्न प्रकार व्यक्त किया जाता है।
pK = -log10[pK] ……….(3)
यदि K जल के आयनिक गुणनफल Kw हो तो
pKw = log10[Kw] ……….(4)
इसी प्रकार, यदि K किसी दुर्बल अम्ल का विघटन स्थिरांक Ka या किसी दुर्बल क्षार का विघटन स्थिरांक Kb हो तो
pKa = -log10[Ka] ………..(5)
pKb = log10[Kb] …………(6)
PH, POH तथा pKw में सम्बन्ध-
हम जानते हैं कि
Kw = [H+] [OH–]
दोनों ओर लघु गणक (आधार 10 मानकर) लेने पर-
logo Kw = log10[H+] + log10[OH–]
या, -log10 Kw = – log10[H+] – log10[OH–]
या, pKw = pH + pOH ………..(7)
समीकरण (7) pH, POH तथा pKw में सम्बन्ध स्थापित करता है।
प्रश्न 15.
Write short notes on the following :
(निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें )
(1) First law of thermodynamirs (ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम ), (2) Intrinsic energy (आन्तरिक ऊर्जा), (3) Velocity constant ( वेग स्थिरांक ), (4) Equilibrium constant (साम्य स्थिरांक), (5) Isotonic solution ( समपरिमारक दाब)।
उत्तर:
(1) ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम (First law of thermodynamics) : चिर स्थायी गति वाली मशीन (ऐसी मशीन जो प्रयुक्त ऊर्जा से अधिक यांत्रिक कार्य कर सके) के निर्माण की असफलता से ऊर्जा संरक्षण के सिद्धांत का उदय हुआ। इसके अनुसार, ऊर्जा का न तो सृजन किया जा सकता है और न विनाश किया जा सकता है, इसे केवल एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित किया जा सकता है।
इस तथ्य के आधार पर ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम को सर्वप्रथम 1842 ई० में राबर्ट मेयर ने प्रतिपादित किया जिसे 1847 में हैल्म होल्टज ने अधिक यथार्थ रूप में परिभाषित किया। इसके अनुसार, “किसी विलगित तंत्र की कुल ऊर्जा सदा स्थिर रहती है, यद्यपि ऊर्जा का एक रूप से दूसरे रूप में रूपांतर हो सकता है।”
उपरोक्त परिभाषा से स्पष्ट है कि तंत्र में जब भी ऊर्जा की कोई निश्चित मात्रा उत्पन्न होती है तो तंत्र द्वारा ऊर्जा की समतुल्य मात्रा किसी अन्य रूप में खर्च हो जाती है।
यह नियम व्यापक सत्य पर आधारित है। अभी तक चिरस्थायी गति वाली मशीन नहीं बनाई जा सकी है। अतः इस मशीन की कल्पना साकार न होने की दशा में इस नियम को सत्य माना जायेगा।
ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम की गणितीय व्याख्या :
माना कोई तंत्र प्रारंभिक अवस्था A में है जिसमें उसकी आंतरिक ऊर्जा EA है। यह तंत्र कुछ सष्मा (q) का अवशोषण करके अवस्था B में चला जाता है जिसमें तंत्र की आंतरिक ऊर्जा का मान EB होता है।
अतः तंत्र की कुल ऊर्जा EA + q
यदि इस परिवर्तन के दौरान तंत्र द्वारा सम्पादित कार्य Wहो तो परिवर्तन के बाद तंत्र की कुल ऊर्जा = EB + W
अतः ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम के अनुसार-
EA + q = EB + w;
या, q = (EB – EA) + W
या, q = ΔE + W ……… (1)
अतिसूक्ष्म परिवर्तन होने पर भी समीकरण (1) को निम्नांकित प्रकार से व्यक्त किया जाता है-
dq = dE + dW ………(2)
जहाँ dq = तंत्र द्वारा अवशोषित. अति सूक्ष्म ऊष्मा, dE = आंतरिक ऊर्जा में अतिसूक्ष्म परिवर्तन तथा, dW = तंत्र द्वारा किया गया अति सूक्ष्म कार्य।
समीकरण (1) और (2) ऊष्मागति की के प्रथम नियम का गणितीय रूप है। अर्थात्, ऊष्मागतिकी के पहले नियम को हम निम्नांकित प्रकार से व्यक्त कर सकते हैं-“तंत्र द्वारा अवशोषित ऊष्मा तंत्र की आन्तरिक ऊर्जा में वृद्धि तथा तंत्र द्वारा सम्पादित कार्य दोनों के योगफल के बराबर होती है।”
अब (a) किसी विलगित तंत्र के लिए, dq = 0
∴ O = dE + dw या, dW = -dE
अर्थात् विलगित तंत्र में, द्वारा सम्पादित कार्य उसकी आंतरिक ऊर्जा में उत्पन्न ह्रास के बराबर होता है।
(b) चक्रीय प्रक्रिया के लिए dE = 0
∴ dq = dw
अर्थात् तंत्र द्वारा अवशोषित ऊष्मा सम्पादित कार्य के बराबर होता है।
(2) आन्तरिक ऊर्जा (Intrinsic Energy) :
प्रत्येक पदार्थ (तत्त्व या यौगिक) में, किसी विशेष बाह्य अवस्था में ऊर्जा की एक निश्चित मात्रा वर्तमान रहती है, इस ऊर्जा को आंतरिक ऊर्जा कहते हैं । इसे E द्वारा सूचित करते हैं तथा यह पद्धति में किसी पदार्थ की मात्रा पर आधारित है। अत: किसी पदार्थ की आंतरिक ऊर्जा पदार्थ का वह गुण है जो पदार्थ की मात्रा पर निर्भर करती है।
अतः यह पदार्थ का मात्रात्मक गुण (extensive property) है।
यौगिक की आंतरिक ऊर्जा को परिभाषित करने के लिए निम्नांकित समीकरण पर विचार करें:-
C + 2H2 – CH4 + 18,8000 cals.
यहाँ मिथेन की गठन की ऊष्मा 18,800 cals है।
ऊर्जा की अनश्वरता के सिद्धांत के अनुसार,
EC + 2EH = ECH4 + 18,000 cals
∴ ECH4 = (EC + 2ECH4) – 18,800 cals.
इससे स्पष्ट होता है कि मिथेन की आन्तरिक ऊर्जा उसके अवयवी तत्वों (एक अणु C तथा दो अणु हाईड्रोजन) की आंतरिक ऊर्जाओं के योगफल से 18,800 cals कम है या 18,800 कैलोरी अधिक है। ऊर्जा की यह मात्रा (अर्थात्-18,800 कैलोरी) यौगिक की आपेक्षिक आंतरिक ऊर्जा कहलाती है और इसका मान यौगिक की गठन की ऊष्मा में चिह्न बदल देने से प्राप्त होती है।
अर्थात् यौगिक की आन्तरिक ऊर्जा = यौगिक के गठन की ऊष्मा। अतः “किसी यौगिक की आन्तरिक ऊर्जा कैलोरी में ऊष्मा की वह मात्रा है जो उसके एक ग्राम-अणु में उसके अवयवी तत्त्वों से अधिक होती है।”
(3) वेग स्थिरांक (Velocity constant) :
द्रव्यमान-क्रिया के नियम से हम जानते हैं कि रासायनिक प्रतिक्रिया का वेग प्रतिकारक पदार्थों के सक्रिय द्रव्यमानों के गुणनफल के समानुपाती होता है।
उदाहरणस्वरूप, निम्नांकित उत्क्रमणीय प्रतिक्रिया पर विचार करें-
∴ प्रतिक्रिया का वेग ∝ [A] [B]
= Kf[A] [B].
जहाँ Kf एक स्थिरांक है, जिसे अग्रिम प्रतिक्रिया का वेग स्थिरांक या विशिष्ट प्रतिक्रिया वेग कहते हैं।
यदि [A] = 1 तथा [B] = 1 हो, तो
Kf = प्रतिक्रिया का वेग (अग्रिम प्रतिक्रिया के लिए)
अतः “वेग स्थिरांक उस प्रतिक्रिया का वेग है जिसके प्रतिकारकों के सक्रिय द्रव्यमान का मान एक होता है।”
(4) साम्य स्थिरांक (Equilibrium constant) :
माना कि एक उत्क्रमणीय प्रतिक्रिया निम्नांकित समीकरण के अनुसार हो रही है-
अतः द्रव्यमान-क्रिया के नियमानुसार,
अग्रिम प्रतिक्रिया का वेग ∝ [A] [B]
Kf [A] [B]
जहाँ Kf एक स्थिरांक है, जिसे अग्रिम प्रतिक्रिया का वेग स्थिरांक कहते हैं।
इसी प्रकार, विपरीत प्रतिक्रिया का वेग ∝ [C] [D]
= Kb[C] [D]
जहाँ Kb एक दूसरा स्थिरांक है जिसे विपरीत प्रतिक्रिया का वेग स्थिरांक कहते हैं।
साम्यावस्था में, अग्रिम प्रतिक्रिया का वेग = विपरीत प्रतिक्रिया का वेग
जहाँ K एक स्थिरांक है, जिसे साम्य स्थिरांक कहते हैं। अतः “किसी उत्क्रमणीय प्रतिक्रिया के दो विपरीत प्रतिक्रियाओं के वेग स्थिरांकों के अनुपात को साम्य स्थिरांक कहते हैं।”
इसे निम्न प्रकार भी व्यक्त किया जा सकता है-“साम्यावस्था में किसी उत्क्रमणीय रासायनिक प्रतिक्रिया में प्रतिफलों के सक्रिय द्रव्यमानों का गुणनफल एवं प्रतिकारकों के सक्रिय द्रव्यमानों का गुणनफल के अनुपात को साम्य स्थिरांक कहते हैं।”
(5) समपरिसारक घोल (Isotonic solution) :
“ऐसे घोल जिसके परिसारक दाब समान हों समपरिसारक घोल कहलाते हैं।”
जन समान परिसारक दाब वाले दो घोलों को किसी अर्द्धपारगम्य झिल्ली एक-दूसरे से अलग- अलग रखा जाय तो इनमें परिसरण की क्रिया नहीं होगी। सोडियम क्लोराइड का 0.84% घोल का परिसारक दाब मानव-रक्त के परिसारक दाब के बराबर होता है। अर्थात् 0.84% NaCl का घोल मानव-रक्त के समपरिसारी होता है। सोडियम क्लोराइड के इस शक्ति के घोल को “नॉर्मल सेलाइन” (Normal Saline) कहते हैं।
प्रश्न 16.
Schottky Defect एवं Frenkel Defect में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर:
Schottky एवं Frenkel Defect में अन्तर निम्न है-
Schottky Defect:
- यह Defect Crystalline Solid के अवयवी धनायन एवं ऋणायन अपने Lattice site से निष्कासन से उत्पन्न होती है।
- इस Defect के कारण Crystal के घनत्व में कमी होती है।
- Crystal का dielectric constant अप्रभावित रहता है।
- Ions का Co-ordination Number उच्च होती है।
Frenkel Defect:
- यह defect crystalline Solid के अवयवी धनायन अपने Interstitial site में विस्थापन से उत्पन्न होती है।
- इस Defect से Crystal के घनत्व में परिवर्तन नहीं होती है।
- Crystal के Dielectric constant वृद्धि होती है।
- Ions का Co-ordination Number low होती है।
प्रश्न 17.
Adsorption (अधिशोषित ) एवं Absorption (अवशोषण) में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर:
Adsorption एवं Absorption में अन्तर निम्न प्रकार से की जाती है-
Adsorption ( अधिशोषण):
- Adsorption furface Phenomenon है जो ठोस या द्रव के पृष्ठ होता है।
- इसमें Adsorbate के कणों का वितरण पृष्ठ तथा Bulk में असमान होता है।
- प्रारंभ में Adsorption दर उच्च तथा साम्यावस्था में कम होता है।
Absorption (अवशोषण):
- Absorption Bulk Phenomenon है। जो ठोस या द्रव के Bulk (भीतरी भाग) में होती है।
- इसमें Adsorbate के कणों का वितरण पृष्ठ एवं Bulk (अन्तःस्थ) दोनों में समान होता है।
- Absorption-दर सदैव नियत एवं समान होता है।
प्रश्न 18.
लिथियम bcc रवा बनाता है। अगर लिथियम के इकाई सेल के एक तरफ की लम्बाई 351 P.M. है। उसके त्रिज्या की गणना करें।
उत्तर:
दिया हुआ है, a = 351 P.M.
माना कि B.C.C. के पमाणु त्रिज्या r है।
सूत्र से ज्ञात है
प्रश्न 19.
रिक्त स्थानों की पूर्ति करें-
उत्तर:
प्रश्न 20.
पूर्ण प्रतिक्रिया लिखें-
उत्तर: