Bihar Board Class 11 Home Science Solutions Chapter 9 जनसंख्या शिक्षा

Bihar Board Class 11 Home Science Solutions Chapter 9 जनसंख्या शिक्षा Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 11 Home Science Solutions Chapter 9 जनसंख्या शिक्षासमस्याएँ

Bihar Board Class 11 Home Science जनसंख्या शिक्षा Text Book Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
आज भारतवर्ष में कितनी जनसंख्या गरीबी रेखा के नीचे है। [B.M.2009A]
(क) 20%
(ख) 40%
(ग) 15%
(घ) 50% से अधिक
उत्तर:
(घ) 50% से अधिक

प्रश्न 2.
‘गरीबी रेखा’ इनमें से किस पर आधारित है। [B.M.2009A]
(क) कल्पित रेखा
(ख) कम-से-कम कैलोरीज पर
(ग) सामाजिक एवं सांस्कृतिक मतभेद
(घ) आर्थिक स्थिति
उत्तर:
(ख) कम-से-कम कैलोरीज पर

प्रश्न 3.
भारत में लड़कियों की संख्या घटने का मुख्य कारण [B.M.2009A]
(क) दहेज प्रथा
(ख) पुत्र की लालसा
(ग) गरीबी
(घ) सोच में कमी
उत्तर:
(क) दहेज प्रथा

प्रश्न 4.
12 वर्ष की लड़कियों की पोषणिक आवश्यकता क्या है ? [B.M. 2009A]
(क) 1970 कैलोरी
(ख) 2200 कैलोरी
(ग) 1800 कैलोरी
(घ) 2026 कैलोरी
उत्तर;
(घ) 2026 कैलोरी

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प्रश्न 5.
जनसंख्या विस्फोट का मुख्य कारण [B.M.2009A]
(क) धन
(ख) पुत्र की कामना
(ग) कम आयु में विवाह
(घ) ज्ञान का अभाव
उत्तर:
(ग) कम आयु में विवाह

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
जनसंख्या विस्फोट (Population Explosion) क्या है ?
उत्तर:
जनसंख्या एक गतिशील तथ्य है। इसके आकार में किसी भी कमी या वृद्धि का देश के सामाजिक, आर्थिक विकास के ऊपर बड़ा प्रभाव पड़ता है। जनसंख्या में बेतहाशा वृद्धि को ही जनसंख्या विस्फोट कहा जाता है।

प्रश्न 2.
जनसंख्या विस्फोट के मुख्य प्रभाव क्या हैं ?
उत्तर:
जनसंख्या विस्फोट की अर्थव्यवस्था और उपलब्ध संसाधनों पर गंभीर प्रतिक्रिया होता है।

प्रश्न 3.
जनसंख्या विस्फोट की क्या समस्याएँ हैं ?
उत्तर:

  • भोजन की कमी।
  • स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ।
  • आश्रय और पीने के पानी की समस्या।
  • परिवहन व संचार की समस्याएँ।
  • अपर्याप्त कपड़ा और चिकित्सा सुविधाएँ।
  • आम बेरोजगारी और शोषण।

प्रश्न 4.
भारत में जनसंख्या विस्फोट (Population Explosion in India) का प्रमुख कारण क्या है?
उत्तर:
भारत में जनसंख्या विस्फोट का प्रमुख कारण जनसंख्या की अधिक वृद्धि दर है।

प्रश्न 5.
हमारे देश में पुत्र प्राप्ति की तीव्र इच्छा (Desire for male child) किस मान्यता पर निर्भर है ?
उत्तर:
हमारे देश में पुत्र प्राप्ति की तीव्र इच्छा इस मान्यता पर आधारित है कि पुत्र वंश चलाता है और मृत्योपरांत आत्मा की मुक्ति के लिए क्रिया-कर्म करता है।

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प्रश्न 6.
जनसंख्या-शिक्षा (Population Education) का तात्पर्य समझाएँ।
उत्तर:
जनसंख्या शिक्षा वह कार्यक्रम है जिसमें परिवार, जाति, देश तथा विश्व की जनसंख्या की स्थिति का अध्ययन किया जाता है ताकि विद्यार्थी वर्ग में मूलाधार व उत्तरदायी रुख पैदा किया जा सके जो इस स्थिति से निपट सके।

प्रश्न 7.
सन् 1947 में देश की जनसंख्या (Population) कितनी थी?
उत्तर:
सन् 1947 में जब भारतवर्ष स्वतंत्र हुआ तो देश की जनसंख्या लगभग 34 करोड़ थी।

प्रश्न 8.
जनसंख्या नियंत्रित (Population control) करने में छोटे परिवार (small family) की क्या भूमिका है ?
उत्तर;
जनसंख्या को रोकने का एक उपाय है सीमित अथवा छोटा परिवार । छोटे परिवार का लाभ केवल देश को ही नहीं वरन् स्वयं को भी है। छोटा परिवार अपनी सभी आवश्यकताओं को भाँति-भाँति पूरी करने में समर्थ होता है, इस कारण बच्चे स्वस्थ व परिपोषित होते हैं। शिक्षित हो सकते हैं तथा बड़े होकर छोटे परिवार को अपना सकते हैं। अतः परिवार फिर सीमित रहते हैं और जनसंख्या नियंत्रित हो सकती है।

प्रश्न 9.
जनसंख्या आधिक्य (Over population) के प्रमुख कारण क्या हैं ?
उत्तर:
हमारे रीति-रिवाज, पुत्र की अभिलाषा, निरक्षरता व अज्ञानता, गरीबी व बेरोजगारी आदि जनसंख्या आधिक्य के प्रमुख कारण हैं।

प्रश्न 10.
जनसंख्या नियंत्रण (Population control) देश के लिए किस प्रकार हितकारी है ?
उत्तर:
जनसंख्या नियंत्रण द्वारा देश में अधिक उत्पादन, प्रति व्यक्ति अधिक आय, उच्च जीवन स्तर, कम बेरोजगारी, कम सामाजिक तनाव, बेहतरीन नागरिक सुविधाएँ व स्वस्थ वातावरण तथा उच्च आर्थिक स्तर सम्भव है।

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प्रश्न 11.
अत्यधिक शिशु मृत्युदर को कम करने के सुझाव दीजिए।
उत्तर:
अच्छा भोजन (Good Food), सही समय पर टीकाकरण (Immunization at proper time), माता की सही देखभाल (Proper care of Mother), साफ-सुथरी सुविधाओं को बेहतर करना (Improving sanitary conditions), जनसंख्या नियंत्रण (Population Control)।

लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
अत्यधिक जनसंख्या का क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर:
अत्यधिक जनसंख्या का प्रभाव (Effect of over population): मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, जो परस्पर एक-दूसरे से प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से संबंधित है। अपने

जीवन का अस्तित्व बनाए रखने के लिए उसकी मूलभूत आवश्यकताओं में भरपेट भोजन, रहने के लिए मकान, तन ढकने के लिए कपड़े, स्वच्छ वायु तथा शुद्ध जल आदि सम्मिलित हैं। इन सभी आवश्यकताओं की पूर्ति तभी संभव है, जब मनुष्यों की संख्या सीमित हो। अतः जैसे-जैसे मनुष्यों की संख्या बढ़ती जाती है वैसे-वैसे सभी मनुष्यों की आवश्यकताएँ पूरी नहीं होती हैं।
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आज हमारी आवश्यकताओं की मांग के अनुपात में पूर्ति बहुत कम है। हर वर्ष बढ़ती हुई जनसंख्या की आवश्यकताओं की व्यवस्था करना आसान काम नहीं है। विभिन्न पंचवर्षीय योजनाओं से हुई प्रगति के बाद भी आवश्यकताओं की मात्रा हर समय बढ़ती जा रही है। फलस्वरूप देश में भोजन, वस्त्र, आवास, जलापूर्ति, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएँ, बेरोजगारी, गरीबी आदि की अनेक समस्याएँ बढ़ती जा रही हैं। आज यदि हम गहराई से विचार करें तो वायु-प्रदूषण, जल-प्रदूषण, भूमि-प्रदूषण, खाद्य एवं पेय पदार्थों का प्रदूषण, नैतिक-प्रदूषण आदि बढ़ती जनसंख्या के कारण हैं।

प्रश्न 2.
अधिक जनसंख्या द्वारा उत्पन्न समस्याएँ कौन-कौन सी हैं ?
उत्तर:
अधिक जनसंख्या द्वारा उत्पन्न समस्याएँ (Problems arising due to overpopulation)-भारत में जनसंख्या की वृद्धि से कई समस्याएँ खड़ी हो गई हैं जिनका दबाव दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। ये निम्नलिखित हैं –

  1. भूमि पर जनसंख्या का बढ़ता दबाव।
  2. प्रति व्यक्ति राष्ट्रीय आय में मूल्यों की अपेक्षा कम वृद्धि।
  3. खाद्य पदार्थों की घटती आपूर्ति।
  4. घटती पूँजी निर्माण क्षमता।
  5. समाज पर दबाव अर्थात् अनुत्पादक उपभोक्ताओं का बढ़ता भार।
  6. बेरोजगारी।
  7. जल आपूर्ति और स्वच्छ वातावरण सम्बन्धी समस्याएँ।
  8. स्वास्थ्य-सम्बन्धी समस्याएँ।
  9. शिक्षा की समस्याएँ।

प्रश्न 3.
जनसंख्या-शिक्षा (Population Education) से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
जनसंख्या शिक्षा की परिभाषा:
चन्द्रशेखर (1970): “जनसंख्या-शिक्षा जनसंख्या वृद्धि के विभिन्न आयामों आर्थिक, सामाजिक तथा सांख्यिकीय जनसंख्या वितरण, जीवन-स्तर से सम्बद्ध तथा कल्याणकारी राज्य अर्थव्यवस्था में इसके आर्थिक एवं सामाजिक क्षेत्रों में अन्तिम परिणामों के सम्बन्ध में जानकारी प्रदान करती है।”

यूनेस्को (UNESCO, 1978): “जनसंख्या शिक्षा एक शैक्षिक कार्यक्रम है जो परिवार, समूह, राष्ट्र, विश्व की जनसंख्या स्थिति के संदर्भ में विद्यार्थियों में आदर्श एवं जिम्मेदारी पूर्ण अभिवृत्ति तथा व्यवहार विकसित करती है।” प्रोफेसर वाडिया तथा मर्जेंट कहते हैं, “कोई भी जिसने भारत में जनसंख्या समस्या के इतिहास का अध्ययन सजग होकर उसके विभिन्न सोपानों में किया है, इस कथन से पृथक् अपनी . राय नहीं रख सकता कि भारत में भूमि और उसकी उत्पादन क्षमता की अपेक्षा लोगों की संख्या बहुत अधिक है।

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परिणामस्वरूप भारतीय मानव-शक्ति का विशाल भाग अर्ध-पोषित, रोगी, निरक्षर और अकुशल रह जाता है। यहाँ तक कि हिन्दू सभ्यता के पुरातन आदर्श, सादा जीवन उच्च विचार के सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए भी कोई आवश्यक रूप से इसी निष्कर्ष पर पहुँचेगा कि भारत में आज भी वर्तमान औद्योगिक कुशलता की अवस्था में जनसंख्या का आकार उस आकार के दुगुने से भी ज्यादा है जिसे नैतिक एवं राष्ट्रीय विकास के अवसर सामान्य मात्रा में उपलब्ध हो सकते हैं।”

प्रश्न 4.
पुत्र की इच्छा जनसंख्या वृद्धि का कारण क्यों है ?
उत्तर:
पुत्र की इच्छा (Desire for male child): भारत में जनसंख्या वृद्धि का एक कारण पुत्र की इच्छा के वशीभूत होकर बार-बार गर्भाधारण तथा शिशु जन्म भी है। यह भारतीय समाज के संदर्भ में महत्त्वपूर्ण कारण बन जाता है। प्रत्येक परिवार यदि पुत्र के लोभ में दो भी अतिरिक्त बच्चों को उत्पन्न करता है तो इस हिसाब से बढ़ने वाली जनसंख्या का अनुमान स्वतः ही लग जाता है।

पारिवारिक जीवन में पुत्र प्राप्ति की स्थिति का विचार करते समय यह जान लेना आवश्यक है कि हिन्दू शास्त्रकारों द्वारा पुत्र की प्राप्ति को वैवाहिक जीवन के एक प्रमुख ध्येय के ही रूप में देखा गया है। शास्त्रों में बताया गया है कि पुत्र से ही मृतक पूर्वजों की आत्माओं का उद्धार होता है और उसके अभाव में उन्हें नरक में ही रहना पड़ता है। उसे पुत्र इसीलिए कहा गया है क्योंकि वह पूर्वजों को ‘पुम्’ नामक नरक में जाने से बचाता है।

प्रश्न 5.
छोटे परिवार का क्या अर्थ है ?
उत्तर:
छोटा परिवार (Small family): परिवार के रहन-सहन के स्तर को ऊँचा उठाने के लिए ‘छोटा परिवार’ एक बेहतरीन उपाय है क्योंकि परिवार के बढ़ने के साथ-साथ उनकी आवश्यकताओं में भी वृद्धि होती है और यदि आपूर्ति में उसी हिसाब से बढ़ोत्तरी न की जाए तो निश्चित ही प्रत्येक व्यक्ति को उपलब्ध होने वाले विभिन्न पदार्थ या साधन कम हो जाते हैं और यही पारिवारिक वातावरण को तनावपूर्ण बना देते हैं, जिसके कारण सभी सदस्यों के व्यक्तिगत विकास में नकारात्मक भूमिका अदा करते हैं।

प्रश्न 6.
परिवार नियोजन (Family planning) के क्या लाभ हैं ?
उत्तर:
परिवार नियोजन के प्रमुख लाभ संक्षेप में निम्न प्रकार हैं:
1. रहन-सहन के स्तर में सुधार (Improvement in standard of living): परिवार में कम संख्या होने पर प्रति व्यक्ति पर किए जाने वाले व्यय की मात्रा बढ़ जाएगी। इससे परिवार के सदस्यों की अपेक्षाकृत आवश्यकताओं की पूर्ति संभव हो सकेगी। परिणामस्वरूप उनके रहन-सहन का स्तर सुधरेगा।

2.शिशु व मातृ-मृत्यु दर में कमी (Decline in death rate of child or mother): परिवार नियोजन के कारण संतानोत्पत्ति में कमी होगी तथा रहन-सहन का स्तर सुधरने से नवजात शिशु तथा गर्भिणी दोनों को ही भोजन, स्वास्थ्य आदि से सम्बन्धित सुविधाएँ मिल सकेंगी जिससे शिशु तथा मातृ-मृत्यु दर में कमी होगी।

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प्रश्न 7.
हमारे देश में लड़की-शिशु का क्या स्थान है ?
उत्तर:
लड़की-शिशु का स्थान (Status of Girl-child)-कुपोषण की स्थिति के कारण प्रतिवर्ष 120 लाख पैदा होने वाली लड़कियों में से 30 लाख लड़कियाँ 15 वर्ष की आयु तक पहुँचने से पहले ही मर जाती हैं। लगभग 5 लाख लड़कियाँ ठीक तरह न पालन होने के कारण मर जाती हैं। कितनी ही लड़कियाँ जन्म पूर्व ही मार दी जाती हैं। लड़कियाँ गर्भ से ही गिरा दी जाती हैं तथा उस समय नैतिक और चिकित्सकीय महत्त्वों को भी ताक पर रख दिया जाता है। इन सबका परिणाम है, स्त्री-पुरुष के अनुपात में असंतुलन आना। 1901 में 1000 पुरुषों के अनुपात में 972 स्त्रियाँ थीं परन्तु यह अनुपात 2001 में कम होकर 933 हो गया है।

प्रश्न 8.
परिवार नियोजन (Family Planning) से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:
परिवार नियोजन (Family Planning): सभी व्यक्तियों के रहन-सहन के स्तर को ऊँचा उठाने की दृष्टि से परिवार नियोजन का अत्यधिक महत्त्व है। निर्धनता, अज्ञानता आदि रहन-सहन के स्तर को प्रभावित करने वाले कारक प्रत्यक्ष रूप से परिवारों की अत्यधिक वृद्धि से सम्बन्धित हैं। आज जिस गति से जनसंख्या बढ़ रही है, उस गति से आय के साधनों में प्रगति नहीं हो पा रही है। प्रो. माल्थस के अनुसार, जनसंख्या गुणात्मक तथा भोज्य-सामग्री योगात्मक गति से बढ़ते हैं।

इस प्रकार बढ़ती हुई जनसंख्या की आवश्यकताओं की पूर्ति सीमित साधनों से नहीं हो सकती। इसलिए रहन-सहन का स्तर और भी नीचे गिरता जाएगा। भारत में निर्धनता और अज्ञानता के कारण जनसंख्या वृद्धि विश्व के उन्नत देशों की अपेक्षा तीव्र गति से बढ़ रही है। परिवार नियोजन का प्रधान उद्देश्य माता के स्वास्थ्य तथा बच्चों की उत्तम देखभाल और लालन-पालन के विचार पर आधारित है। इसमें कई समस्याएँ भी हैं, जैसे-लोगों को इसके प्रति कैसे अभिप्रेरित किया जाए, स्वीकार्य कराया जाए तथा स्वीकार्य, सफल, हानिरहित तथा मितव्ययी तरीकों पर आधारित परामर्श एवं सेवाएँ किस प्रकार उपलब्ध कराई जाएँ आदि।

प्रश्न 9.
पुत्र की लालसा (Desire for son) किस प्रकार जनसंख्या वृद्धि का कारण है ?
उत्तर:
पुत्र की लालसा (Desire for son): भारतीय परिवार में पुत्र प्राप्ति की लालसा या इच्छा बहुत तीव्र होती है। अधिकांश परिवार छोटे परिवार की महत्ता को जानते भी हैं, मानते भी हैं, परन्तु प्रायः सभी दंपत्ति एक पुत्र अवश्य चाहते हैं। मानते हैं कि पुत्र का होना गर्व का विषय माना जाता है। माता-पिता की मृत्यु उपरान्त बेटा ही उनकी आत्माओं को मुक्ति दिला सकता है, क्रियाओं और श्राद्ध कर सकता है, ऐसी धारणा है।

पितृ प्रधान समाज में वही वंश चलाता है। पुत्र से ही मृतक पूर्वजों की आत्माओं का उद्धार होता है और उसके अभाव में नरक में ही पड़े रहना पड़ता है। पुत्र का जन्म उन्हें स्वर्ग में जाने योग्य बनाता है। इस कारण परिवार पुत्र प्राप्ति की चाह में अनगिनत बच्चे पैदा करते चले जाते हैं जो जनसंख्या वृद्धि का एक प्रमुख कारण है।
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प्रश्न 10.
जनसंख्या व्यवस्था (Population Management) से परिवार, उद्योग तथा देश के लिए क्या लाभ है ?
उत्तर:
छोटा परिवार सुखी परिवार (Small Family Happy Family)
परिवार के लिए (for family):

  1. बेहतर आवास
  2. उचित पोषण और बेहतर स्वास्थ्य
  3. अधिक आय

उद्योग के लिए (for Industries) :

  1. कम अनुपस्थिति
  2. अधिक उत्पादन
  3. कम कीमत
  4. अधिक लाभ

देश के लिए (for Country) :

  1. अधिक उत्पादन
  2. अधिक प्रति व्यक्ति आय
  3. उच्च जीवन-स्तर
  4. कम बेरोजगारी
  5. कम सामाजिक तनाव
  6. बेहतर नागरिक सुविधाएँ
  7. स्वस्थ वातावरण।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
जन्म-दर को प्रभावित करने वाले कारण लिखें।
उत्तर:
जन्म-दर को प्रभावित करने वाले निम्नलिखित कारण हैं:
1. सामाजिक कारण (Social Factors): हमारी मान्यताएँ, रीति-रिवाज, आदर्श आदि जन्मदर ऊँचा रखने में प्रोत्साहन देते हैं। उदाहरण के लिए, हिन्दू सामाजिक जीवन में धर्मशास्त्रों के अनुसार विवाह जीवन का एक अनिवार्य धार्मिक कर्म है। विवाह स्वयं की मुक्ति के लिए तथा पूर्वजों की आत्मा की शान्ति के लिए आवश्यक है।

विवाह सन्तानोत्पत्ति के लिए है। हमारे यहाँ बाल विवाह की भी प्रथा है जिससे कम आयु में शादी हो जाने पर प्रजनन का समय बढ़ जाता है। हमारे देश में प्रत्येक दम्पत्ति, पुत्र की इच्छा रखता है। वंशबल बढ़ाने, अन्तिम संस्कार करने, श्राद्ध करने तथा मुक्ति प्राप्ति के लिए पुत्र का होना जरूरी है।

2. आर्थिक कारण (Economic Factors): हमारे देश में पिता के पश्चात् पुत्र ही व्यवसाय को आगे बढ़ाता है। अतः प्रत्येक व्यक्ति पुत्र चाहता है। एक पुत्र की कामना में वह न जाने कितनी लड़कियों को जन्म दे डालता है। गरीब लोग इस आशा से अधिक बच्चे पैदा करते हैं कि वे उनकी आय में वृद्धि करेंगे। वे सोचते हैं कि जो पेट लेकर आता है उसके पास उसे भरने के लिए दो हाथ और दो पैर भी होते हैं। भारत के लगभग 70 प्रतिशत लोग गाँव में रहते हैं तथा 30 प्रतिशत नगरों में रहते हैं। नगरों में गाँवों की अपेक्षा जन्म-दर कम है क्योंकि वे अधिक बच्चों से होने वाली समस्याओं को समझते हैं।

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3. अशिक्षा (Illiteracy): यह बात स्पष्ट है कि स्त्री परतंत्रता एवं स्त्री अशिक्षा ही जनसंख्या वृद्धि का एक महत्त्वपूर्ण कारण है। जनसंख्या वृद्धि पर अंकुश लगाने के लिए समाज व परिवार में स्त्री का शिक्षित होना आवश्यक है। केवल स्त्रियाँ ही जनसंख्या वृद्धि की गंभीरता को समझकर इस संकट को आगे बढ़ने से रोक सकती हैं। गाँधीजी ने कहा था, एक लड़के को शिक्षा देने से एक व्यक्ति शिक्षित होता है परंतु एक लड़की की शिक्षा से एक परिवार शिक्षित होता है। लड़की की शिक्षा का अर्थ माँ की शिक्षा और उसके बच्चों की शिक्षा होती है।

4. स्त्रियों की सामाजिक स्थिति (Female Status): भारत में स्त्रियों का सर्वत्र सम्मान रहा है। माता, बहन और पुत्री के रूप में नारी का स्वरूप विदित है, परन्तु किन्हीं कारणों से और स्वार्थ से प्रेरित होकर पुरुष ने सदैव उसे अपने से हीन माना है। भारत में प्राचीन काल से ही नारी जाति की दशा सुधारने के प्रयत्न होते रहे हैं। वैदिक काल में बाल विवाह के प्रचलन ने उसकी शिक्षा में बाधा उत्पन्न कर दी।

वह धार्मिक संस्कारों में भाग नहीं ले सकती थी। उसका प्रमुख कर्त्तव्य पति की आज्ञा का पालन करना था। वह परतंत्रता की बेड़ियों में जकड़ी हुई थी। बचपन में माता-पिता के आधिपत्य में, युवावस्था में अपने पति के तथा वृद्धावस्था में अपने पुत्र के संरक्षण में रहना पड़ता है। भारत की स्वतंत्रता के उपरांत स्त्रियों की उन्नति के द्वार खुले, उसे व्यक्तिगत संपत्ति का अधिकार, पर्दा-प्रथा से स्वतंत्रता, विधवा-विवाह की छूट और बाल-विवाह से मुक्ति मिली। वर्तमान युग चेतना का युग है।

आज उन्हें वैज्ञानिक, सामाजिक और व्यावसायिक सभी. प्रकार की शिक्षा प्राप्त करने की स्वतंत्रता है। सरकार भी इस ओर जागृत है, उसने स्त्रियों को नि:शुल्क शिक्षा, छात्रवृत्तियाँ, सहशिक्षा और प्रौढ़ शिक्षा जैसी सुविधाएँ प्रदान की हैं। शिक्षा सुधार से नारी विकास की स्थिति में बहुत ही आशापूर्ण परिणाम पाए गए हैं। अब वह अबला न रहकर पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करने की स्थिति में है। हर क्षेत्र में उसने अपना स्थान प्राप्त करके श्रेष्ठता पायी है।

प्रश्न 2.
छोटे परिवार का क्या महत्त्व है ? विस्तार से लिखें?
उत्तर:
छोटे परिवार का महत्त्व (Importance of small family): शिक्षित तथा कामकाजी महिलाओं का परिवार सीमित होता है। इसके कारण हैं बहुत अधिक व्यस्तता, जीवन की गुणवत्ता के महत्त्व की जानकारी, बच्चों के स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा, आधुनिक उपचारों का ज्ञान, सभी तरह के बच्चों के मानसिक तथा शारीरिक विकास का पूरा ध्यान देना। इन बातों को मस्तिष्क में रखकर वह एक या दो बच्चे होने पर ही विश्वास रखती है।

बच्चों की सही देखभाल से उनकी मृत्यु दर में कमी रहती है। दो बच्चों की दूरी तथा परिवार नियोजन साधनों का ज्ञान व उपयोग से उनका अपना स्वास्थ्य तो ठीक रहता ही है साथ ही वह सुखी तथा खुशहाल परिवार का निर्माण करने में भी जिम्मेदार होती है। महिलाओं का स्तर भी परिवार की सीमितता का निर्णायक है। कामकाजी महिलाओं के इस पहलू पर विचार करने के लिए सर्वेक्षण करने पर महिलाओं को चार वर्गों में बाँटा जा सकता है

(क) अधिक शिक्षित कामकाजी महिलाएँ।
(ख) अधिक शिक्षित घरेलू महिलाएँ।
(ग) कम शिक्षित कामकाजी महिलाएँ।
(घ) कम शिक्षित घरेलू महिलाएँ।

यह देखा गया है कि अधिक पढ़ी-लिखी कामकाजी महिलाओं का परिवार बहुत सीमित होता है। इसके कारण हैं, देर से विवाह, उच्च शिक्षा स्तर की वजह से अधिक व्यस्तता, परिवार नियोजन के साधन तथा आधुनिक उपचारों का ज्ञान, बच्चों की उत्तम देखभाल से मृत्यु दर में कमी। सभी साधनों की उपलब्धि तथा सुख समृद्धि की वजह से इन परिवारों में तनाव कम होता है। घर में मैत्रीपूर्ण व्यवहार से आपस में सभी सदस्य स्नेह की कड़ी से बंधे रहते हैं।

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इस वातावरण में बच्चे मानसिक तथा शारीरिक रूप से स्वस्थ होते हैं, वे गुणवान तथा अच्छे नागरिक बनते हैं। इसके विपरीत यह देखा गया है कि कम पढ़ी-लिखी तथा निम्न स्तर वाले कार्यों में कार्यरत महिलाओं के बच्चों में मृत्यु-दर अधिक होता है। अधिक जीवित संतान रहे, इस आशा में परिवार बढ़ता रहता है।

प्रश्न 3.
जनसंख्या वृद्धि द्वारा उत्पन्न होने वाली समस्याओं की श्रृंखला का वर्णन करें।
उत्तर:
जनसंख्या वृद्धि द्वारा उत्पन्न होने वाली समस्याओं की श्रृंखला (Chain of problems arise due to population explosion)
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प्रश्न 4.
बालिका की पोषण-सम्बन्धी व शिक्षा-सम्बन्धी आवश्यकताओं की पूर्णता पर प्रकाश डालें।
उत्तर:
हमारे देश में परिवारों में बालिकाओं की स्थिति काफी दयनीय है। लड़कों की अपेक्षा लड़कियों की देखभाल अच्छी प्रकार से कदापि नहीं होती। बालिका को उसकी आवश्यकतानुसार पौष्टिक भोजन भी पूरी मात्रा में उपलब्ध नहीं होता। जन्म से पाँच वर्ष तक मरने वाले बच्चों में लड़कियों की संख्या का अधिक होना स्पष्ट करता है कि जन्म के पश्चात् भोजन, स्वास्थ्य सम्बन्धी उनकी जरूरतें पूरी नहीं होती। बालिका की शिक्षा प्राप्ति का तो प्रश्न ही नहीं उठता।

यदि भेज भी दिया जाए तो पाँचवीं कक्षा से पहले ही उसका विद्यालय से नाम कटवा दिया जाता है। सर्वेक्षणों के अनुसार भारत में कुल 45 % लड़कियाँ ही पाँचवीं पास कर पाती हैं और केवल 4.24% लड़कियाँ बारहवीं पास कर पाती हैं क्योंकि एक मेधावी बालिका की शिक्षा के लिए भी माता-पिता हतोत्साहन तथा असहयोग की भावना रखते हैं। संक्षेप में यह कहा जा सकता है कि बालिका की पोषण व शिक्षा सम्बन्धी आवश्यकताएँ सरलता से पूरी नहीं हो पातीं।

प्रश्न 5.
जनसंख्या विस्फोट को प्रभावित करने वाले कारक लिखें।
उत्तर:
जनसंख्या विस्फोट को प्रभावित करने वाले कारक (Factors responsible for over-population):
भारत की बढ़ती हुई जनसंख्या को रोकने में निम्नलिखित कारक बाधा डालते हैं –

सामाजिक मूल्य (Social norms): जनसंख्या विस्फोट के लिए उत्तरदायी पहला कारण हमारे अपने समाज के रीति-रिवाज हैं। वे बड़े परिवार को समर्थन देते हैं। छोटी आयु में विवाह तथा लम्बे जनन वर्ष का परिणाम होता है अधिक बच्चे। यह समस्या तब और गंभीर हो जाती है जब औसतन भारतीय का विश्वास है कि बच्चे ईश्वर की देन हैं। भारत में कुछ धर्म परिवार नियोजन के विरुद्ध हैं। इस प्रकार सामाजिक मूल्य बड़े परिवार का समर्थन करते हैं।

पुत्र की इच्छा (Desire for male child): आर्थिक स्तर का ध्यान किए बिना हर जाति में पुत्र प्राप्ति की इच्छा प्रबल होती है। पुत्र पाने की आशा में परिवार के सदस्य बढ़ते जाते हैं। लड़का वंश-परिवार के नाम को आगे बढ़ाता है। अधिक लोगों के अनुसार पुत्र न होने से परिवार वहीं समाप्त हो जाता है तथा यह उनको स्वीकार नहीं है। परन्तु, शैक्षिकता बढ़ने से छोटे परिवार को मान्यता दी जाने लगी है और इस प्रकार लिंग-भेद भी कम हो गया है। बहुत से युवा दंपत्ति, लिंग का ध्यान किए बिना, केवल एक या दो स्वस्थ बच्चे ही चाहते हैं।

अज्ञानता और निरक्षरता (Ignorance and Illiteracy): निरक्षरता देश की जनसंख्या रोकने में अवरोधक है तथा रुकावट पैदा करती है। निरक्षर जातियाँ सदियों से यह मानती आई हैं कि बच्चे भगवान के दिए हुए उपहार हैं, इसलिए वह परिवार नियोजन के तरीकों को नहीं मानतीं।