Bihar Board Class 12th Geography Notes Chapter 11 जनसंख्या: वितरण, घनत्व, वृद्धि एवं संघटन

Bihar Board Class 12th Geography Notes Chapter 11 जनसंख्या: वितरण, घनत्व, वृद्धि एवं संघटन

→ जनसंख्या की दृष्टि से चीन के बाद भारत का विश्व में द्वितीय स्थान है।

→ 2011 की जनगणना के अनुसार देश की जनसंख्या 121.02 करोड़ थी।

→ भारत में प्रथम जनगणना सन् 1872 में हुई थी, लेकिन पहली सम्पूर्ण जनगणना सन् 1881 में सम्पन्न हुई थी।

→ जनसंख्या का वितरण

  • भारत में जनसंख्या का वितरण अत्यधिक असमान है। देश में उत्तर प्रदेश की जनसंख्या सर्वाधिक है, इसके बाद महाराष्ट्र, बिहार और
    पश्चिम बंगाल का स्थान है।
  • तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक और गुजरात के साथ उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिम बंगाल और आन्ध्र प्रदेश की जनसंख्या मिलकर देश की कुल जनसंख्या का 76 प्रतिशत है।

→ भारत में जनसंख्या के असमान वितरण के कारण
भारत में जनसंख्या के असमान वितरण के दो प्रमुख कारण हैं

  1. भौतिक कारक-भौतिक कारकों में जलवायु, धरातल तथा जल की उपलब्धता आदि प्रमुख हैं।
  2. सामाजिक, आर्थिक और ऐतिहासिक कारक-इन कारकों में स्थायी कृषि का उद्भव और कृषि विकास, मानव बस्ती के प्रतिरूप, परिवहन जाल तन्त्र का विकास, औद्योगीकरण और नगरीकरण महत्त्वपूर्ण हैं।

→ जनसंख्या घनत्व

  • जनसंख्या घनत्व वह माप है जो किसी क्षेत्र की जनसंख्या तथा वहाँ के क्षेत्रफल के बीच आनुपातिक सम्बन्ध को व्यक्त करता है।
  • जनसंख्या घनत्व के प्रकार व सूत्र –
    Bihar Board Class 12th Geography Notes Chapter 11 जनसंख्या वितरण घनत्व वृद्धि एवं संघटन 1
    Bihar Board Class 12th Geography Notes Chapter 11 जनसंख्या वितरण घनत्व वृद्धि एवं संघटन 2
  • जनगणना-2011 के अनुसार भारत का जनसंख्या घनत्व 382 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी है।
  • न्यूनतम जनसंख्या घनत्व वाला राज्य अरुणाचल प्रदेश (17 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी) एवं अधिकतम जनसंख्या घनत्व वाला राज्य बिहार (1106 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी) है।
  • राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (दिल्ली) में जनसंख्या घनत्व (11,320 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी) है।

→ जनसंख्या की वृद्धि

  • जनसंख्या वृद्धि दो समय बिन्दुओं के बीच किसी क्षेत्र विशेष में रहने वाले लोगों की संख्या में परिवर्तन को कहते हैं। इसे प्रतिशत में मापते हैं।
  • जनसंख्या वृद्धि के दो घटक हैं—(1) प्राकृतिक और (2) अभिप्रेरित।
  • भारत की जनसंख्या की वार्षिक वृद्धि दर 1.64 प्रतिशत (2011) है।
  • भारत में जनसंख्या वृद्धि की चार प्रावस्थाएँ हैं-
  1. प्रावस्था-‘क’–1901 से 1921 की अवधि-जनसंख्या की वृद्धि की स्थिर प्रावस्था।
  2. प्रावस्था-‘ख’-1921 से 1951 की अवधि-जनसंख्या की स्थिर वृद्धि।
  3. प्रावस्था-‘ग’-1951 से 1981 की अवधि–जनसंख्या विस्फोट की प्रावस्था।
  4. प्रावस्था-‘घ’-1981 से वर्तमान तक-जनसंख्या वृद्धि दर उच्च, लेकिन मन्द गति से घटने लगी।

→ जनसंख्या वृद्धि में क्षेत्रीय भिन्नताएँ ,

  1. निम्न वृद्धि दर वाले राज्य (10 प्रतिशत से कम वृद्धि)-अण्डमान-निकोबार द्वीप समूह, लक्षद्वीप, केरल व नागालैण्ड।
  2. मध्यम वृद्धि दर वाले राज्य (10 से 20 प्रतिशत तक वृद्धि)-दिल्ली, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, उत्तराखण्ड, गुजरात, मणिपुर, चण्डीगढ़, असम, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, त्रिपुरा, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, आन्ध्र प्रदेश एवं तेलंगाना।
  3. उच्च वृद्धि दर वाले राज्य ( 20 से 30 प्रतिशत तक वृद्धि)-मेघालय, पुड्डचेरी, अरुणाचल प्रदेश, बिहार, जम्मू-कश्मीर, मिजोरम, छत्तीसगढ़, झारखण्ड, राजस्थान।
  4. अति उच्च वृद्धि दर वाले राज्य ( 30 प्रतिशत से अधिक वृद्धि)-दमन व दीव तथा दादरा व नगर हवेली।

→ किशोर जनसंख्या : चुनौतियाँ व युवा नीति

  1. भारत में 10 से 19 वर्ष का आयु वर्ग ‘किशोर जनसंख्या’ कहलाता है।
  2. जनगणना-2011 के अनुसार देश में किशोरों का अनुपात 22 प्रतिशत है।
  3. भारतीय समाज में किशोरों से जुड़ी समस्याएँ-विवाह की निम्न आयु, निरक्षरता, स्कूली शिक्षा का बीच में छूट जाना, सन्तुलित भोजन न मिल पाना, एड्स संक्रमण की उच्च दरें, शारीरिक व मानसिक अपंगता, धूम्रपान व मदिरापान, औषध दुरुपयोग, किशोर अपराध आदि।

→  राष्ट्रीय युवा नीति—यह नीति भारत सरकार द्वारा सन् 2003 में लागू की गई।

→ जनसंख्या संघटन

  • जनसंख्या संघटन, जनसंख्या भूगोल में अध्ययन का एक सुस्पष्ट क्षेत्र है जिसमें आयु व लिंग का विश्लेषण, निवास स्थान, मानव जातीय लक्षण, जनजातियाँ, भाषा, धर्म, वैवाहिक स्थिति, साक्षरता और शिक्षा, व्यावसायिक विशेषताएँ आदि का अध्ययन किया जाता है।

1. ग्रामीण व नगरीय संघटन–निवास स्थान के आधार पर जनसंख्या दो वर्गों में संयोजित होती हैं—(i) ग्रामीण और (ii) नगरीय। ग्रामीण जनसंख्या गाँवों में रहकर प्राथमिक व्यवसाय करती है, . जबकि नगरीय जनसंख्या नगरों में रहते हुए गैर-कृषि कार्य (द्वितीयक व तृतीयक व्यवसाय) करती है। देश की कुल जनसंख्या का 68.8 प्रतिशत भाग ग्रामीण जनसंख्या का व 31.2 प्रतिशत भाग नगरीय जनसंख्या का है।

2. भाषाई संघटन

  • ग्रियर्सन के अनुसार देश में 179 भाषाएँ और 544 के लगभग बोलियाँ थीं। आधुनिक भारत के सन्दर्भ में 22 भाषाएँ अनुसूचित हैं। अनुसूचित भाषाओं में हिन्दी बोलने वालों का प्रतिशत सबसे अधिक है।
  • प्रमुख भारतीय भाषाओं के बोलने वाले चार भाषा परिवारों से जुड़े हैं – (1) आस्ट्रिक (निषाद), (2) द्रविड़, (3) चीनी-तिब्बती (किरात), (4) भारतीय-यूरोपीय (आर्य)।

3. धार्मिक संघटन भारत में पाए जाने वाले प्रमुख धर्म निम्नलिखित हैं  –

  • हिन्दू-हिन्दू, भारत की कुल जनसंख्या का 80.5 प्रतिशत तथा विश्व की कुल जनसंख्या का 12 प्रतिशत है। भारत में हिन्दुओं का बाहुल्य है।
  • मुस्लिम-मुसलमान, भारत में दूसरे सबसे बड़े धार्मिक समुदाय का निर्माण करते हैं। मुस्लिम जनसंख्या, भारत की कुल जनसंख्या का 13.40 प्रतिशत है। मुस्लिम जनसंख्या की दृष्टि से भारत विश्व में चौथा बड़ा राष्ट्र है।
  • ईसाई-अधिकांश ईसाई जनसंख्या देश के ग्रामीण क्षेत्रों में पायी जाती है। ईसाइयों का अधिक संकेन्द्रण पूर्वोत्तर राज्यों में है।
  • सिक्ख-भारत में 1.92 करोड़ सिक्ख हैं जो देश की जनसंख्या का कुल 1.90% है। इनका सर्वाधिक केन्द्रण पंजाब में है।
  • बौद्ध-भारत में 79 लाख से अधिक बौद्ध हैं, जो मुख्यतः महाराष्ट्र, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम तथा जम्मू-कश्मीर में केन्द्रित हैं।
  • जैन-भारत में कुल 42 लाख जैन धर्मावलम्बी हैं। यह मुख्यतः महाराष्ट्र, राजस्थान एवं गुजरात में रहते हैं।
  • पारसी-भारत में कुल 12 लाख पारसी हैं। 90% पारसी मुम्बई व सूरत में केन्द्रित हैं।

→ श्रमजीवी जनसंख्या का संघटन

  • आर्थिक दृष्टि से भारत की जनसंख्या के तीन वर्ग या स्तर निम्नलिखित हैं (1) मुख्य श्रमिक, (2) सीमान्त श्रमिक और (3) अश्रमिक।
  • भारत में दोनों मुख्य और सीमान्त श्रमिकों का अनुपात (2011) 39.8 प्रतिशत है, जबकि 60 प्रतिशत
    की विशाल जनसंख्या अश्रमिकों की है।
  • 2011 की जनगणना में भारत की श्रमजीवी जनसंख्या के चार संवर्ग हैं—(1) कृषक, (2) कृषि मजदूर, (3) घरेलू औद्योगिक श्रमिक एवं (4) अन्य श्रमिक।
  • 2011 की जनगणना के अनुसार प्राथमिक संवर्ग में 54.6%, द्वितीयक संवर्ग में 3.8 प्रतिशत एवं तृतीयक संवर्ग में 41.6 प्रतिशत श्रमजीवी हैं।

→ जनसंख्या घनत्व-जनसंख्या का घनत्व वह माप है जो किसी क्षेत्र की जनसंख्या व वहाँ के क्षेत्रफल के बीच आनुपातिक सम्बन्ध को व्यक्त करता है।

→  कायिक घनत्व—इसकी अभिव्यक्ति प्रति वर्ग किमी कृषि भूमि पर कुल जनसंख्या के अनुपात में की जाती है।

→ जनसंख्या की वृद्धि-दो समय बिन्दुओं के बीच हुए जनसंख्या के परिवर्तन को प्रतिशत में व्यक्त करना।

→ जनसंख्या की धनात्मक वृद्धि-दो समय बिन्दुओं के बीच जन्म-दर, मृत्यु-दर से अधिक हो।

→ जनसंख्या की ऋणात्मक वृद्धि-दो समय बिन्दुओं के बीच जनसंख्या का कम होना।

→ जनसंख्या की प्राकृतिक वृद्धि-दो समय बिन्दुओं में जन्म-दर और मुत्यु-दर के अन्तर से बढ़ने वाली जनसंख्या।

→ जनसंख्या की अभिप्रेरित वृद्धि-जनसंख्या वृद्धि के अभिप्रेरित घटकों, जैसे प्रवास को किसी दिए गए क्षेत्र में लोगों के अन्तर्वर्ती और बहिर्वर्ती संचालन की प्रबलता द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है।

→ जन्म-दर-किसी एक वर्ष में प्रति हजार जनसंख्या के पीछे जन्मों की संख्या।

→ मृत्यु-दर-किसी एक वर्ष में प्रति हजार जनसंख्या के पीछे मृतकों की संख्या।

→ जनसंख्या की वास्तविक वृद्धि-इसमें जनसंख्या के जन्म-दर व मृत्यु-दर के अन्तर के साथ-साथ – प्रवास व अप्रवास की भी गणना की जाती है।

→ किशोर जनसंख्या-भारत में 10 से 19 वर्ष का आयु वर्ग। – जनसंख्या संघटन-जनसंख्या की भौतिक, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विशेषताएँ।

→ ग्रामीण जनसंख्या-गाँवों में रहने वाली जनसंख्या जो कि प्राथमिक कार्यों में संलग्न है।

→ नगरीय जनसंख्या-नगरों में रहने वाली जनसंख्या जो कि गैर-कृषि कार्यों (द्वितीयक व तृतीयक क्रियाकलाप) में संलग्न है।

→ सहभागिता दर-कुल जनसंख्या में से कार्यरत जनसंख्या का प्रतिशत अनुपात।

→ अश्रमिक-वह व्यक्ति जो वर्षभर आजीविका के लिए कोई कार्य नहीं करता।

→ श्रमजीवी (कार्यरत) जनसंख्या-जनसंख्या में वे लोग जो किसी आर्थिक लाभ के कार्यों में संलग्न हैं।

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