Bihar Board Class 12th Geography Notes Chapter 17 खनिज तथा ऊर्जा संसाधन
→ खनिज का अर्थ
एक खनिज निश्चित रासायनिक एवं भौतिक गुणधर्मों (विशिष्टताओं) के साथ कार्बनिक या अकार्बनिक उत्पत्ति का एक प्राकृतिक पदार्थ है।
→ खनिज संसाधनों के प्रकार
रासायनिक एवं भौतिक गुणधर्मों के आधार पर खनिजों की दो प्रमुख श्रेणियाँ हैं-
- धात्विक खनिज एवं
- अधात्विक खनिज।
→ खनिजों की प्रमुख विशेषताएँ
- खनिजों का वितरण असमान पाया जाता है।
- खनिजों की गुणवत्ता व मात्रा में प्रतिलोमी सम्बन्ध पाया जाता है।
- समय के साथ खनिज समाप्त हो जाते हैं। अतः इनका संरक्षण किया जाना चाहिए।
→ भारत में खनिजों का वितरण
भारत में खनिज मुख्यत: तीन विस्तृत पट्टियों में पाए जाते हैं-
- उत्तर-पूर्वी प्रदेश-यह पट्टी छोटा नागपुर (झारखण्ड), ओडिशा के पठार, प० बंगाल तथा छत्तीसगढ़ में विस्तृत है।
- दक्षिण-पश्चिमी पठार प्रदेश-यह पट्टी कर्नाटक, गोवा तथा संस्पर्शी तमिलनाडु उच्च भूमि और केरल पर विस्तृत है।
- उत्तर-पश्चिमी प्रदेश-यह पट्टी राजस्थान के अरावली और .. गुजरात के कुछ भाग पर विस्तृत है।
→ धात्विक खनिज
धातु के स्त्रोत धात्विक खनिज होते हैं।
→ लौह-अयस्क
1.लोहा-लोहा समस्त आर्थिक प्रगति की आधारशिला है। भारत में एशिया के सबसे बड़े लौह-अयस्क भण्डार पाए जाते हैं। यहाँ लोहे के प्रमुख प्रकार-हेमेटाइट और मैग्नेटाइट प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। भारत में लोहे के प्रमुख भण्डार कर्नाटक, ओडिशा, छत्तीसगढ़, . झारखण्ड तथा गोवा आदि राज्यों में हैं।
2. मैंगनीज-इस धातु का सर्वाधिक प्रयोग लौह-अयस्क को गलाने व लौह-मिश्र धातुओं को बनाने में किया जाता है। मैंगनीज का उपयोग रासायनिक उद्योग में, शुष्क बैटरियों में तथा चीनी मिट्टी के बर्तन बनाने में किया जाता है। इसी बहु-आयामी गुण के कारण इसे ‘Jack Mineral’ भी कहा जाता है। भारत में मैंगनीज के भण्डार ओडिशा, महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, आन्ध्र प्रदेश,
झारखण्ड एवं गुजरात आदि राज्यों में हैं।
→ अलौह-अयस्क
- बॉक्साइट-बॉक्साइट एक ऐसा कच्चा पदार्थ है जिससे ऐलुमिनियम बनाया जाता है। यह मुख्यत: टर्शियरी निक्षेपों में पाया जाता है। यह विद्युत तथा ऊष्मा का अच्छा चालक है। बॉक्साइट के प्रमुख भण्डार ओडिशा, गुजरात, झारखण्ड, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु आदि राज्यों में हैं।
- ताँबा-ताँबा एक उपयोगी अलौह धातु है। यह विद्युत का उत्तम चालक है। ताँबा एक मिश्रधातु योग्य, आघातवर्ध्य तथा तन्य धातु है। ताँबे के प्रमुख भण्डार झारखण्ड, मध्य प्रदेश एवं राजस्थान आदि राज्यों में हैं।
→ अधात्विक खनिज
ये कार्बनिक उत्पत्ति के होते हैं—इन्हें जीवाश्म ईंधन भी कहते हैं। इनसे धातु प्राप्त नहीं होती।
→ अन्य अधात्विक खनिज
अभ्रक-अभ्रक का उपयोग मुख्यत: विद्युत एवं इलेक्ट्रोनिक्स उद्योगों में किया जाता है। भारत में . अभ्रक मुख्यत: झारखण्ड, आन्ध्र प्रदेश, तेलंगाना व राजस्थान में पाया जाता है।
→ ईंधन खनिज
कोयला, पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस जैसे खनिज ईंधन (जीवाश्म ईंधन), परमाणु ऊर्जा, ऊर्जा के परम्परागत स्रोत हैं। ये स्रोत समाप्य संसाधन हैं।
1. कोयला….कोयले का उपयोग तापविद्युत उत्पादन तथा लौह-अयस्क प्रगलन के लिए किया जाता है। कोयला मुख्य रूप से दो भूगर्भिक कालों की शैलक्रमों में पाया जाता है जिनके नाम हैं—(1) गोंडवाना और (2) टर्शियरी निक्षेप। गोंडवाना कोयले के प्रमुख संसाधन प० बंगाल, झारखण्ड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और आन्ध्र प्रदेश में अवस्थित कोयला क्षेत्रों में हैं। टर्शियरी कोयला असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय तथा नागालैण्ड में पाया जाता है।
2. पेट्रोलियम-कच्चा पेट्रोलियम द्रव और गैसीय अवस्था के हाइड्रो कार्बन्स से बना होता है। इसकी रासायनिक संरचना, रंगों और विशिष्ट घनत्व में भिन्नता पायी जाती है। पेट्रोलियम का अधिकांश उपयोग परिवहन साधनों में किया जाता है।
करोड़ों वर्षों तक बड़ी मात्रा में कीचड़, मिट्टी और बालू आदि में वनस्पति एवं जीवों के दबे रहने, उन पर गर्मी, दबाव, रसायन, जीवाणु और रेडियो-सक्रियता आदि क्रियाओं के प्रभाव के फलस्वरूप खनिज तेल की उत्पत्ति होती है। भारत में प्रमुख खनिज तेल क्षेत्र असोम, गुजरात,
मुम्बई अपतटीय क्षेत्र एवं पूर्वी तट प्रदेश आदि हैं।
3. प्राकृतिक गैस–GAIL की स्थापना सन् 1984 में सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम के रूप में प्राकृतिक गैस के परिवहन एवं विपणन के लिए की गई थी। प्राकृतिक गैस के प्रमुख भण्डार तमिलनाडु के पूर्वी तट, ओडिशा, आन्ध्र प्रदेश, त्रिपुरा, राजस्थान, गुजरात एवं महाराष्ट्र के अपतटीय कुओं में पाए जाते हैं।
→ अपरम्परागत ऊर्जा स्रोत
ऊर्जा के नवीकरण योग्य स्रोत हैं – सौर, पवन, जल, भू-तापीय ऊर्जा तथा जैव भार (Biomass)।
- सौर ऊर्जा सूर्य की किरणों को फोटोवोल्टाइक सेलों में विपाशित करके उसे ऊर्जा में परिवर्तित किया जा सकता है। इस ऊर्जा को ‘सौर ऊर्जा’ कहा जाता है। देश के पश्चिमी भागों. – गुजरात व राजस्थान में सौर ऊर्जा के विकास की अधिक सम्भावनाएँ हैं।
- पवन ऊर्जा-पवन ऊर्जा, ऊर्जा का असमाप्य तथा पूरी तरह प्रदूषणमुक्त स्त्रोत है। पवन ऊर्जा के लिए राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र तथा कर्नाटक में अनुकूल परिस्थितियाँ विद्यमान हैं।
- ज्वारीय तथा तरंग ऊर्जा-ज्वारीय तथा तरंग ऊर्जा का दोहन समुद्रों के संकीर्ण द्वारों पर बाँध – बनाकर किया जाता है। भारत का पश्चिमी तट इसके लिए उपयुक्त है।
- भू-तापीय ऊर्जा-भूगर्भ में विद्यमान ऊर्जा की अपार राशि को ‘भू-तापीय ऊर्जा’ कहते हैं। हिमाचल के मणिकर्ण, तपोपवन (उत्तर प्रदेश) और छोटा नागपुर में भू-तापीय ऊर्जा का उत्पादन किया जा रहा है।
- जैव-ऊर्जा-जैविक उत्पादों से प्राप्त की जाने वाली ऊर्जा को ‘जैव-ऊर्जा’ कहा जाता है।
→ खनिज संसाधनों के संरक्षण के उपाय
- उत्तम तकनीक का प्रयोग
- धातुओं का पुनर्चक्रण
- प्रतिस्थापन धातुओं का उपयोग
- सामरिक और अत्यल्प खनिजों के निर्यात में कमी
- धातुओं की उनके प्राकृतिक क्षरण की प्रक्रिया में सुरक्षा
- ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों का उपयोग
- संसाधनों की मितव्ययिता आदि।
→ आघात तन्यता-धातुओं का वह गुणं जिसके कारण उनको दबाकर या हथौड़े से कूट-पीटकर नई आकृति में ढाला जा सकता है।
→ तन्यता-धातुओं का वह गुण जिसके कारण उन्हें बिना गर्म किए दबाकर या खींचकर नई आकृति जैसे तारों में ढाला जा सकता है।
→ सज्जीकरण-खनिज अयस्कों से अशुद्धियाँ निकालने का उपचार या तरीका।
→ खनिज-धरातल अथवा भू-गर्भ को खोदकर प्राप्त की जाने वाली वस्तुएँ।
→ धात्विक खनिज-वे खनिज जिन्हें गलाने से धातु प्राप्त होती है; जैसे-लोहा, मैंगनीज, बॉक्साइट आदि।
→ लौहयुक्त खनिज-जिन खनिजों में लौह अंश पाया जाता है; जैसे-लौह-अयस्क, मैंगनीज, टंगस्टन आदि।
→ अलौहयुक्त खनिज-जिन खनिजों में लौह अंश नहीं पाया जाता है; जैसे—सोना, चाँदी, ताँबा, सीसा, बॉक्साइट आदि।
→ अधात्विक खनिज-इन खनिजों से धातु प्राप्त नहीं होती; जैसे-चूना पत्थर, गन्धक, जिप्सम, अभ्रक, नमक आदि।
→ मैग्नेटाइट-काले रंग का सर्वोत्तम किस्म का चुम्बकीय लौह अयस्क। इसमें धातु का अंश 72 प्रतिशत तकं होता है।
→ जैक खनिज-मैंगनीज को उसके बहु-आयामी गुण के कारण कहा जाता है।
→ ऊर्जा संसाधन-जिन साधनों से हमें मशीनों को चलाने और वस्तुओं के उत्पादन की ऊर्जा प्राप्त होती है।
→ खनिज तेल-भू-गर्भ से प्राप्त तरल काला पदार्थ।
→ जल विद्युत-जल को किसी ऊँचे स्थान से गिराने से विद्युत का उत्पादन।
→ भू-तापीय ऊर्जा-भू-गर्भ में विद्यमान ऊर्जा की अपार राशि।
→ जैव ऊर्जा-जैविक उत्पादों से प्राप्त की जाने वाली ऊर्जा।