Bihar Board Class 7 Hindi Solutions Chapter 12 जन्म-बाधा

Bihar Board Class 7 Hindi Book Solutions Kislay Bhag 2 Chapter 12 जन्म-बाधा Text Book Questions and Answers and Summary.

BSEB Bihar Board Class 7 Hindi Solutions Chapter 12 जन्म-बाधा

Bihar Board Class 7 Hindi जन्म-बाधा Text Book Questions and Answers

पाठ से –

प्रश्न 1.
गुड्डी अपनी तुलना, बंधुआ मजदूर से क्यों करती है?
उत्तर:
गुड्डी को मौलिक अधिकार से वाचत रखा जाता है। एक काम के बाद दूसरे काम के बीच सुस्ताने का भी उसे मौका नहीं दिया जाता है उलटे उसे डॉट भी सुननी पड़ती है । सुस्त कहकर उसे हीन बताया जाता है जो. प्रायः बंधुआ मजदूर के साथ लोग करते थे। इसीलिए गुड्डी अपनी तुलना बंधुआ मजदूर से करती है।

प्रश्न 2.
माँ-बाप के लिए चाय बनाकर लाते समय उसके पैरों में फुर्ती आ गई क्यों?
उत्तर:
उसे विश्वास है कि उसको इन सब कामों से मुक्ति शीघ्र मिलेगी। प्रधानमंत्री जी मुझे छुड़वा लेंगे। इस प्रकार का विश्वास पैदा होते ही चाय बनाकर लाते समय उसके पैरों में फुर्ती आ गई।

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प्रश्न 3.
“लेकिन क्यों नहीं सुनी जायेगी मेरी बात । हिम्जे गलत हों, पर बात तो सही है।”
(क) ऐसा गुड्डी ने क्यों सोचा?
उत्तर:
वर्ण के गलत होने से किसी के भाव गलत नहीं होते। यह बात भी सही है कि गुड्डी के साथ बंधुआ मजदूर जैसा व्यवहार हो रहा था। इसलिए गड्डी ने ऐसा सोचा।

(ख) यह वाक्य गुड्डी के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं को दर्शाता है?
उत्तर:
यह वाक्य गुड्डी के व्यक्तित्व के निम्नलिखित विशेषताओं को दर्शाता है –
(क) दृढ़ विश्वास
(ख) भावनात्मक प्रधान।

(ख) “टिकट कहाँ से लाऊँ ? बिना टिकट के ही भेज देती हूँ। वे तो समझ ही जाएंगे।
(क) गुड्डी ने ऐसा क्यों सोचा?
उत्तर:
लड़कियों को घर से निकलने नहीं दिया जाता तो टिकट कहाँ से आयेगा इस विवशता के कारण उसने ऐसा सोचा।

(ख) यह वाक्य गुड्डी के किस पक्ष को दर्शाता है?
उत्तर:
यह वाक्य गुड्डी की विवशता तथा दृढ़ विश्वास को दर्शाता है।

प्रश्न 4.
पठित पाठ के आधार पर आपके मस्तिष्क में जो दृश्य उत्पन्न होता है, उसे अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
इस पाठ को पढ़ने से मेरे मस्तिष्क में वह दृश्य उत्पन्न होता है जो मैंने देखा है- .
मेरे घर के बगल में एक मुसलमान का घर है।

उस घर में चार लड़के एक लड़की है रुक्साना नाम है उसका । वह सबेरे उठती है यदि कभी उसकी माँ पहले उठ जाती तो रूक्साना को डाँट लगाती है। रूक्साना भाईयों को उठाकर तैयार करती है सबों के लिए भोजन बनाती है । पह झाडू-बहाड़, बर्तन-वासन सब काम करती है। भर दिन वह घर के कामों में व्यस्त रहती है।

उसके चारों भाई जिसमें दो रूक्साना से बड़े और दो छोटे हैं सभी प्राइवेट स्कूल में पढ़ते हैं लेकिन रूक्साना को स्कूल नहीं भेजा जाता है।

एक दिन रूक्साना जोर-जोर से रो रही थी। पता चला कि वह भी पढ़ना चाहती है लेकिन उसके पिता नहीं चाहते। हमने रूक्साना के पिता से मिलने का निर्णय लिया ।

एक दिन रूक्साना के घर जाकर हमने उसके पिता को बताया कि लड़कियों का भी अधिकार है कि वह शिक्षा ग्रहण करें। यदि आपके पढ़े-लिखे पुत्र का विवाह अनपढ़ लड़की से हो जाय तो क्या आप उसको अच्छा समझेंगे । रूक्साना के पिता हमारी बात समझ गये। दूसरे दिन ही मैंने देखा रूक्साना भी अपने चार भाईयों के साथ स्कूल जा रही है।

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पाठ से आगे –

प्रश्न 1.
इस कहानी का शीर्षक “जन्म-बाधा” है। आपकी दृष्टि में ऐसा शीर्षक क्यों दिया गया है ?
उत्तर:
बेटी को जन्म से ही बाधा का सामना करना पड़ता है। कुछ लोग बेटी को पढ़ाना लिखाना नहीं चाहते । ऐसे घर की बेटियों को बचपन से विविध गृह कार्यों से जोड़ दिया जाता है। बेटियों को माँ के हरेक कार्यों में मदद करनी पड़ती है। अर्थात् बेटी को जन्म लेते ही अनेक बाधाओं का सामना करना पडता है। अतः “जन्म बाधा” शीर्षक उचित है।

प्रश्न 2.
किन-किन बातों से पता चलता है कि गुड्डी अपनी मुक्ति के लिए दृढ़ संकल्प थी?
उत्तर:
गुड्डी का प्रधानमंत्री के नाम पत्र लिखना, अपने को बंधुआ मजदूर मानना, अध्ययन की चाहत इत्यादि बातों से पता चलता है कि गुड्डी अपनी मुक्ति के लिए दृढ़ संकल्प है।

प्रश्न 3.
अपनी मुक्ति के लिए गुड्डी प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखती है। इससे इसके माता-पिता परेशानी में पड़ सकते हैं। गुड्डी के इस व्यवहार पर तर्क सहित विचार कीजिए।
उत्तर:
प्रधानमंत्री को पत्र लिखने से गुड्डी के माता-पिता को इतनी ही परेशान होती है कि गुड्डी के द्वारा जो कार्य सम्पादन किये जाते थे उस कार्य को गुड्डी की माँ करती । लेकिन बच्चों को शिक्षा का अधिकार है। यदि कोई बच्चा अपने अधिकार के लिए प्रयत्नशील हो रहा है तो उसे प्रोत्साहन देना चाहिए और प्रधानमंत्री जी भी गुड्डी के माता-पिता को गुड्डी को स्कूल भेजने के लिए प्रोत्साहित करते तथा उसकी शिक्षा के लिए मदद करते ।।

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कुछ करने को –

प्रश्न 1.
उन कारणों का पता लगाइए जो छोटी-छोटी लड़कियों पर बड़ी जिम्मेदारियाँ लादने के लिए जिम्मेदार हैं।
उत्तर:
छोटी-छोटी लड़कियों पर बड़ी-बड़ी जिम्मेदारियाँ लाद दी जाती हैं इसका कारण निम्नलिखित हैं-
(i) माँ-पिता का अशिक्षित होना ।
(ii) परिवार की आर्थिक स्थिति का कमजोर होना।
(iii) भाई-बहनों की अधिक संख्या होना।
(iv) सामाजिक रूढ़िवादिता ।
(v) गलत मानसिकता इत्यादि।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित कार्य कौन करता है ?
(क) गुड़ियों से खेलना।
(ख) सिलाई-बुनाई का कार्य करना।
(ग) झाडू-बर्तन चौका का काम करना ।
(घ) घर में अपने छोटे भाई-बहनों को संभालना।
सभी प्रश्नों का उत्तर “लड़की” है सोचिए क्या सही है?
उत्तर:
सभी के उत्तर “लड़की” सही है।

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जन्म-बाधा Summary in Hindi

सारांश – बेटी में जन्म लेना अर्थात् बाधा ही बाधा। सबसे बड़ी बाधा तो बेटी की पढ़ाई लेकर होती है। लेकिन वर्तमान युग की बेटियाँ अपने जन्मबाधा से दूर होने के लिए दृढ़ संकल्प हो रही हैं। वे प्रयत्नशील हो रही हैं कि किस प्रकार हम शिक्षा के अधिकार को प्राप्त कर सकें। इसी पर आधारित यह लेख है।

गुड्डी बारह वर्ष की लड़की है। घर में ही उसे क, ख इत्यादि का वर्ण ज्ञान मात्र कराया गया है। स्कूल जाने पर उसे प्रतिबंध है। घर के काम-काज से वह परेशान रहती है। वह अपने को अपने घर में बंधुआ मजदूर जैसा अनुभव करती है। एक रोज वह प्रधानमंत्री को पत्र लिखने का निर्णय कर लेती है। गलती-सही का विचार नहीं कर भाव का महत्व देकर छिपकर वह पत्र लिखना आरम्भ करती है।

प्रधानमंत्री जी,
प्रणाम ।

मैंने सुना है, बंधुआ मजदूरों को उनके मालिक से छुड़ाया जा रहा है। मुझे भी छुड़ा दीजिए न । मेरी पढ़ाई नहीं हो सकी है। पप्पा कहते हैं, बाद में देखा जायेगा, बाद में, यानी कभी नहीं। बारह की तो हो गई। मेरे तीनों भाई स्कूल जाते हैं। सब मुझसे छोटे हैं। बबलू जो मुझसे सालभर ही छोटा है, अपने जुठे बर्तन तक नहीं धोता । गुड्डू नौ साल का है। वह तो बबलू से भी ज्यादा कामचोर है। मुन्नू सात साल का है। वह बेचारा अक्सर बीमार ही रहा करता है। रीता पांच साल की है, भीता तान का और छोटकी साल भर की, वह भी भात खाने लगी है।

मैं दिनभर घर के कामों में लगी रहती हूँ। पप्पा कहते हैं, मैं माँ से भी अच्छी रोटियाँ बनाने लगी हैं। लेकिन माँ की तरह सब्जी नहीं बना पाती सो रोज डाँट सुनती हैं।

माँ कहती है, मैं बनाना नहीं चाहती सो बिगाड़ देती हूँ। लेकिन क्या करूँ, मुझसे हो ही नहीं पाता। सारे बर्तन मुझे ही माँजने पड़ते हैं। मुन्नू, रीता, मीता और अब छोटकी सबको मैं टाँगती रहा हूँ ! सबके कपड़े भी मुझे ही धोने पड़ते हैं। एक काम से दूसो काम के बीच मुझे सुस्ताने का भी समय नहीं मिलता, फिर भी सब कहते हैं-गुड्डी धीमर है।

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पर साल के पहले वाले साल, मामा जी की जिद पर मेरा नाम स्कूल में लिखवाया गया था, एक महीने ही तो जा पायी। उसी समय छोटकी हो गई, : सो माँ अकेले घर नहीं चला पायी, मुझे स्कूल छोड़ देना पड़ा। मैंने माँ से कहा था, मुझे भी पढ़ने दो, पप्पा ने सुना तो बोले कि जैसे घर ही में ककहरा सीखा है, वैसे ही आगे भी कुछ पढ़ ले । लेकिन घर में मुझे कौन पढ़ायेगा। ‘और कब? मैं अपनी मर्जी से स्कूल जा नहीं सकती, किसी से कुछ कह नहीं सकती । क्या यह सत्य है कि बंधुआ मजदूरों को छुड़ा दिया गया है? तो मुझे भी छुड़वा दीजिए न।

आपकी बेटी (गीता) गुड्डी

गइडी पत्र लिखकर आनन्दित है कि अब वह समय दूर नहीं जब उसकी मुक्ति की घोषणा की जायेगी।