Bihar Board Class 7 Hindi Solutions Chapter 2 नाचकेता

Bihar Board Class 7 Hindi Book Solutions Kislay Bhag 2 Chapter 2 नाचकेता Text Book Questions and Answers and Summary.

BSEB Bihar Board Class 7 Hindi Solutions Chapter 2 नाचकेता

Bihar Board Class 7 Hindi नाचकेता Text Book Questions and Answers

प्रश्न 1.
नचिकेता कौन था?
उत्तर:
नचिकेता महर्षि बाजश्रवा का एकलौता पुत्र था।

प्रश्न 2.
नचिकेता क्यों दुःखी हुआ ? उसने अपने पिताजी से क्या कहा?
उत्तर:
नचिकेता पिताजी को लोभवश बूढ़ी गाय दान देते देखकर दुःखी हुआ। उसने पिताजी से कहा “पिताश्री आपने तो इस महायज्ञ में अपना सर्वस्व दान में देने का निश्चय किया था। लेकिन आपने अपने प्रियवस्तु को नहीं देकर बूढ़ी और दूध नहीं देने वाली गाय क्यों दान कर रहे हैं।

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प्रश्न 3.
नचिकेता यमपुरी किसलिए गया ?
उत्तर:
पिता की आज्ञा पालन करने हेतु नचिकेता यमपुरी गया। क्योंकि उसके पिता बाजश्रवा ने यज्ञ के दान में यमराज को नचिकेता का दान बोल दिया था।

प्रश्न 4.
नचिकेता को यमपुरी के मुख्य द्वार पर क्यों रूकना पड़ा?
उत्तर:
यमपुरी से यमराज बाहर गये थे। अत: उनके आने की प्रतीक्षा में नचिकेता को मुख्य द्वार पर ही रूकना पड़ा।

प्रश्न 5.
नचिकेता ने पहला वरदान क्या माँगा?
उत्तर:
नचिकेता ने पहला वरदान में पिता के क्रोध को शांत होने का वरदान माँगा।

प्रश्न 6.
नचिकेता ने दूसरा और तीसरा वर क्या माँगा ?
उत्तर:
नचिकेता ने दूसरा वरदान में अभय देने वाली विद्या माँगा तथा तीसरा वरदान में आत्मा के रहस्य बताने को कहा।

प्रश्न 7.
किसने , किससे कहा?
(क) “मृत्यु के मुख में पहुंचकर कोई नहीं लौटा वत्स !”
उत्तर:
बाजश्रवा ने नचिकेता से कहा।

(ख) “छोटा मुँह और बड़ी बात करता है। यज़ की मुझे चिन्ता होनी चाहिए, तुझे नहीं।”
उत्तर:
बाजश्रवा ने नचिकेता से कहा।

(ग) “आप तो यमपुरी जाने की आज्ञा पहले ही दे चुके हैं। अब कुछ भी कहना मेरे लिए निरर्थक है।”
उत्तर:
नचिकेता ने पिता बाजश्रवा से कहा।

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पाठ से आगे –

प्रश्न 1.
महर्षि बाजश्रवा अगर गायों को ब्राह्मण को दान में दे देते तो क्या होता?
उत्तर:
महर्षि बाजश्रवा अगर बूढ़ी दूध नहीं देने वाली गायों का दान ब्राह्मण को दे देते तो उनका यज्ञ सफल नहीं होता।

प्रश्न 2.
यज्ञ से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
यज्ञ का तात्पर्य होता है किसी कार्य के लिए विहित विधिवत् यज्ञ देवता का पूजन और हवन करना ।
जैसे – पुत्र प्राप्ति के लिए राजा दशरथ ने ‘पत्रेष्टि यज्ञ’ करवाया।

प्रश्न 3.
अगर आपको तीन वर माँगने के लिए कहा जाय तो आप क्या माँगेंगे?
उत्तर:
अगर हमें तीन वर माँगने के लिए कहा जाय तो मैं निम्नलिखित वरदान माँगूगा।
(क) सद् विद्या प्रदान करें
(स) सदैव नीरोग रहें ।
(ग) अपने कर्तव्य पथ पर बढ़ते रहें।

प्रश्न 4.
नचिकेता “साधु-प्रवृत्ति” का था। साधु-प्रवृत्ति से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
“साधु-प्रवृत्ति” का अर्थ होता है-सरल-स्वभाव वाला।

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व्याकरण –

प्रश्न 1.
इनके पर्यायवाची शब्द बताइए-
उत्तर:
(क) पुत्र-वत्स, बेटा, तनय ।
(ख) पिता-बाप, जनक, तात्, जन्मदाता ।
(ग) यमराज–पितृपति, यमपति, दक्षिण दिगपति ।
(घ) गाय-गो, धेनु, कपिला ।
(ङ) साधु-सज्जन, सरल।।

प्रश्न 2.
इनके विपरीतार्थक शब्द बताइए
उत्तर:
(क) सत्य–असत्य ।
(ख) धर्म-अधर्म ।
(ग) सहिष्णुअसहिष्णु ।
(घ) इच्छा -अनिच्छ।।
(ङ) सम्पन्न-विपन्न ।

प्रश्न 3.
देखिये, समझिए और लिखिए
उत्तर:
पितृभक्त = पितृ + भक्त ।
सहनशक्ति = सहन + शक्ति ।
मुखमंडल = मुख + मंडल ।
गौशाला = गो + शाला ।
महायज्ञ = महा + यज्ञ ।
ब्रह्मवाक्य = ब्रह्म + वाक्य ।
कर्मनिष्ठ = कर्म + निष्ठ।
आत्मज्ञानी = आत्म. + ज्ञानी।

प्रश्न 4.
अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखिए –
(क) जो पिता की भक्ति करता हो।
उत्तर:
पितृभक्त ।

(ख) जो सब कुछ जानता हो।
उत्तर:
सर्वज्ञ।

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(ग) जिसने आत्मा का रहस्य जान लिया हो।
उत्तर:
आत्मज्ञानी।

(घ) जिसने दृढ़ निश्चय कर लिया हो।
उत्तर:
दृढनिश्चयी।

(ङ) जो सहनशील हो।
उत्तर:
सहिष्णु।

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नाचकेता Summary in Hindi

कहानी का सारांश – हजारों वर्ष पूर्व महर्षि बाजश्रवा हुए। उनके एकमात्र पुत्र नचिकेता था। नचिकेता पितृभक्त, दृढनिश्चयी, आत्मज्ञानी, सत्यनिष्ठ धार्मिक और साधु (सज्जन) बालक था। एक बार पिता को सर्वमेघ यज्ञ की दक्षिणा में बूढ़ी गायों को दान में देते देखकर नचिकेता समझ जाता है कि-पिताश्री के मन में लालच आ गई है जबकि यज्ञ के पूर्व उन्होंने प्रिय सभी वस्तुओं को दान में देने की बात नचिकेता से बताई थी। अपने पिता को संकल्पहीन होते देख नचिकेता को अपने पिता के द्वारा किए गये सर्वमेघ यज्ञ की सफलता पर संदेह हो गया। उसने पहले अपने पिता को अपने संकल्प का ज्ञान कराते हुए कहा-पिता जी, आपने तो प्रिय वस्तु ही दान देने की बात बताई है। फिर बूढ़ी और दूध नहीं देने वाली गाएँ ही क्यों दान में दे रहे हैं। पहले बाजश्रवा मुस्कुराए लेकिन बार-बार नचिकेता के द्वारा कर्तव्यबोध की बात सुनकर गुस्सा में आ गये। पिता को क्रोधित देखकर भी नचिकेता निडरपूर्वक प्रश्न किया—पिताजी ! आपकी सबसे प्रिय वस्तु मैं हूँ, आप मुझे किसको दान में दे रहे हैं?

बाजश्रवा और भी अधिक क्रोध में आकर कह दिया, तुम्हें “यमराज को दूंगा।” नचिकेता पिता से आज्ञा माँगकर यमराज के पास जब जाने की बात कही तो अपनी भूल पर पछतावा होने लगा तथा नचिकेता को समझाने का प्रयास किया । नचिकेता जानता था कि जब तक प्रिय वस्तु के प्रति पिता की आसक्ति रहेगी तब तक सर्वमेघ यज्ञ पूरा नहीं होगा। दृढनिश्चयी नचिकेता पिता से आज्ञा माँग यमपुरी जाता है। द्वार पर उसे रोक दिया जाता है क्योंकियमराज अपने पुरी से बाहर गये हुए थे। तीन दिनों तक यमपुरी के द्वार पर नचिकेता भूखा-प्यासा बैठा रहा। यमराज आये तथा द्वार पर ऋषि पुत्र को पड़ा देख परिचय तथा आने का कारण पूछा ।

नचिकेता ने कहा कि मेरे पिताजी – ने सर्वमेप यज्ञ किया जिसके दक्षिणा में पिताजी ने मुझे आपको दान में दिया है। आपके सेवा में उन्होंने मुझे आपके पास भेजा है। नचिकेता के उत्तर सुनकर यमराज ने आश्चर्यपूर्ण शब्दों में कहा-नचिकेता यमपुरी आते तुझे डर .. नहीं लगा। नचिकेता ने सरल ढंग से उत्तर देते हुए कहा देव । भय कैसा? मेरी दृष्टि में मृत्यु ही सबसे बड़ा वरदान है, जब मनुष्य का शरीर साथ देना छोड़ देता है, तब मृत्यु ही उसे कष्टों से मुक्ति दिलाती है। इसलिए मुक्तिदात्री यमपुरी को मैं भय का कारण नहीं मानता । मैंने तो सदैव इसे वरदान रूप में स्वीकारा हूँ।

नचिकेता के उत्तर से यमराज प्रसन्न हो उसका अतिथि सत्कार किया तथा तीन वरदान मांगने को कहा।

नचिकेता ने कहा देव ! मैं तो दक्षिणास्वरूप आपके पास भेजा गया हूँ, आपसे वरदान कैसे माँग सकता हूँ।

यमराज ने कहा-बालक कोई बात नहीं, तुम्हारी पितृभक्ति और कर्तव्यनिष्ठा से मैं प्रसन्न हूँ, नि:संकोच होकर वरदान माँगो ।

नचिकेता ने पहला वरदान में अपने पिता का क्रोध शांत होने की माँग की।

दूसरे वरदान में, ऐसी विद्या मुझे दें जिससे भय उत्पन्न नहीं हो। तीसरे वरदान में, आत्मा के रहस्य बताने को कहा।

यमराज ने दो वरदान तो आसानी से दे दिये लेकिन तीसरा वरदान आत्मा का रहस्य बताने में आनाकानी करना चाहे । लेकिन नचिकेता को दृढ़ निश्चयी देखकर आत्मा का रहस्य भी यमराज को बताना पड़ा।

इस प्रकार तीनों वरदान पाकर नचिकेता पृथ्वी पर आकर अपने पिता का क्रोध शांत पाया तथा बाजश्रवा को सर्वमेघ यज्ञ का सुफल भी प्राप्त हुआ।

बाजश्रवा पुत्र को पाकर बहुत प्रसन्न हुए। नचिकेता आत्मज्ञानी, पितृभक्त दृढ़निश्चयी और कर्त्तव्य-परायण बालक का उदाहरण बनकर सदैव अमर रहेगा।