Bihar Board Class 7 Social Science History Solutions Chapter 2 नये राज्य एवं राजाओं का उदय

Bihar Board Class 7 Social Science Solutions History Aatit Se Vartman Bhag 2 Chapter 2 नये राज्य एवं राजाओं का उदय Text Book Questions and Answers, Notes.

BSEB Bihar Board Class 7 Social Science History Solutions Chapter 2 नये राज्य एवं राजाओं का उदय

Bihar Board Class 7 Social Science नये राज्य एवं राजाओं का उदय Text Book Questions and Answers

पाठगत प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
पृथ्वीराज किस राज्य का राजा था ?
उत्तर-
पृथ्वीराज ‘दिल्ली’ तथा ‘अजमेर’ राज्य का राजा था।

प्रश्न 2.
उस समय इसके समकालीन और कौन राजा थे?
उत्तर-
उस समय इसके समकालीन महत्त्वपूर्ण राजा ‘जयचन्द’ था । भारत के दो गद्दारों में पहला जयचन्द और दूसरा मीरजाफर था।

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प्रश्न 3.
उस समय हमारे देश की राजनीतिक स्थिति कैसी थी?
उत्तर-
उस समय हमारे देश की राजनीतिक स्थिति द्वेष भावना से ग्रस्त थी । एक राजा दूसरे राजा को सदैव नीचा दिखाने की फिराक में रहा करते थे।

प्रश्न 4.
उपाधि का क्या अर्थ होता है?
उत्तर-
नाम के पहले या बाद में लगने वाला प्रतिष्ठा बढ़ाने वाले उपनाम ‘उपाधि’ कहलाती है । जैसे : सामंतों को दी जाने वाली उपाधि राय, राणा, रावत आदि । पराजित राजा विजयी राजा की अधीनता में उसे उपाधि से अलंकृत करता था ।

प्रश्न 5.
इन तीनों के पतन के क्या कारण हो सकते हैं? चर्चा करें।
उत्तर-
इन तीनों से तात्पर्य उन तीन शासकों से है जिन्हें इतिहासकारो ने ‘त्रिपक्ष’ या ‘त्रिपक्षीय’ कहा है । ये थे मध्य एवं पश्चिम भारत के ‘गुर्जर-प्रतिहार’, दक्कन के राष्ट्रकूट और बंगाल के पाल । इन तीनों के पतन के कारण थे कि बिना अपनी आर्थिक तथा सामरिक शक्ति का आकलन किये इन तीनों ने ‘कन्नौज’ पर अधिकार के लिये युद्ध जारी रखा और बहुत दिनों तक लड़ते रहे । अन्ततः परिणाम हुआ कि आर्थिक और सामरिक रूप से तीनों समान रूप से खोखले हो गए । यही कारण था कि इन तीनों का पतन हो गया।

प्रश्न 6.
सोमनाथ मंदिर के बारे में विशेष रूप से वर्ग में चर्चा करें।
उत्तर-
सोमनाथ का प्रसिद्ध मन्दिर गुजरात राज्य में अवस्थित है। मध्यकाल के अनेक भारतीय मंदिरों में यह भी एक ऐसा मन्दिर था जो धनध। न्य से पूर्ण था । महमूद गजनवी ने जब भारत के मंदिरों को लूटा तो उनमें सोमनाथ को उसने विशेष रूप से लूटा । मन्दिर का सारा धन तो उसने लूट ही लिया मन्दिर को भी क्षतिग्रस्त कर दिया । 15 अगस्त, 1947 को भारत : के स्वतंत्र होने तक वह वैसे ही खण्डहर के रूप में पड़ा रहा । धन्य कहिए। लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल को जिन्होंने सरकारी खर्च पर उसकी मरम्मत करा दी ।

वे तो चाहते थे कि जितने भारतीय मन्दिरों को आक्रमणकारियों ने. तोड़कर उसका रूप बिगाड़ दिया था, सबको उनके पहले के रूप में कर . दिया जाय । लेकिन पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अपने को महान धर्मनिरपेक्ष दिखाने के लिये ऐसा नहीं करने दिया । फिर दूसरी बात थी कि सोमनाथ मंदिर

की मरम्मती के थोड़े ही महीने के अन्दर सरदार पटेल को सन्दहात्मक मृत्यु हो गई।

प्रश्न 7.
आपके विचार से महमूद गजनवी के भारत पर आक्रमण के क्या उद्देश्य हो सकते हैं ?
उत्तर-
हर शासक के आक्रमण का यही उद्देश्य होता है, अपने राज्य का विस्तार करना या पड़ोसी राज्य से अपनी अधीनता स्वीकार कराना, लेकिन हम देखते हैं कि इन दोनों उद्देश्यों से परे गजनवी का उद्देश्य लूट-पाट मचाना था। कुछ अमीरों को तो उसने लूटा ही, खासतौर पर मंदिरों को खूब लूटा ।

उस काल के प्रसिद्ध और धन-दौलत से सम्पन्न मंदिरों में प्रमुख थे-मथुरा, वृन्दावन, थानेश्वर, कन्नौज और सोमनाथ के मंदिर । इन मंदिरों को गजनवी ने जी भरकर लूटा और इसे ध्वस्त तक कर दिया ।

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प्रश्न 8.
राजेन्द्र चोल अपनी सेना को गंगा नदी तक क्यों ले गया ?
उत्तर-
राजेन्द्र चोल एक महत्त्वाकांक्षी विजेता था, जिसने अपने राज्य को श्रीलंका सहित जावा-सुमात्रा तक फैला रखा था। गंगा नदी तक सेना ले जाने के दिखावे का तात्पर्य था कि वह गंगाजल लेने जा रहा है, लेकिन वास्तविक उद्देश्य था गंगा तट तक अपने राज्य का विस्तार करना और विजय प्राप्त करना जो उसने कर दिखाया । उसने गंगाजल लेकर अपनी राजधानी को ले गया और उसका नाम रखा ‘गंगई-कोण्ड-चोलपुरम’ रख दिया । उसकी राजधानी नगर इसी नाम से प्रसिद्ध हो गया ।।

प्रश्न 9.
आज की नागरिक सेवा से चोलकालीन नागरिक सेवा की तुलना करें।
उत्तर-
आज की नागरिक सेवा और चोलकालीन नागरिक सेवा लगभग मिलती-जुलती-सी है। जैसे आज राज्यपालों या राष्ट्रपति के निजी सचिव होते हैं, वैसे ही चोल राजा के भी निजी सचिव होते थे । आज के प्रधान सचिवों की तरह चोल राज्य में भी प्रधान सचिव होते थे । आज के किरानियों की तरह चोल शासन काल में प्रधान और निम्न कर्मचारी हुआ करते थे । इस प्रकार हम देखते हैं कि आज की नागरिक सेवा और चोलकालीन नागरिक सेवा लगभग समान थी।

प्रश्न 10.
क्या आपके विद्यालय या गाँव में चोलकालीन ग्राम स्वशासन की तरह कोई समिति कार्य करती है । यदि हाँ तो कैसे ?
उत्तर-
हाँ, होती है । स्कूल की समिति में एकराजकीय पदाधिकारी के -साथ ग्राम पंचायत के मुखिया तथा गाँव के कुछ संभ्रात पढ़े-लिखे लोग स्कूल समिति में रहते हैं और स्कूल के संचालन की देख-रेख करते हैं।

गाँव में वैसी समिति ग्राम पंचायतें हैं । ग्राम पंचायत के मुखिया और सरपंच सहित अनेक सदस्य निर्वाचित किये जाते हैं । मुखिया प्रशासनिक और नागरिक सेवा का काम देखता है तथा सरपंच दो ग्रामीणों के बीच के झगड़े को सुलझाता है।

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प्रश्न 11.
भारत के वैसे मंदिरों का पता लगाय, जहा आज भा भक्ता द्वारा बहुमूल्य उपहार चढ़ाये जाते हैं । उपहार चढ़ाने के पीछे लोगों की क्या मंशा रहती है ?
उत्तर-
भारत के सभी मन्दिरों में कुछ-न-कुछ चढ़ावा तो चढ़ता ही है, लेकिन सर्वाधिक मूल्यवान चढ़ावा तिरुपति मन्दिर तथा सिरडी के साईं बाबा मंदिर में चढ़ता है। पटना के महावीर मंदिर में भी चढ़ावा चढ़ता है। लेकिन उतना नहीं, जितना उपर्युक्त दोनों मंदिरों में चढ़ता है । पटना के महावीर मंदिर की आय से पटना में ही एक कैंसर अस्पताल चलाया जा रहा है।

अभ्यास के प्रश्नोत्तर

आइए फिर से याद करें :

प्रश 1.
जोड़े बनाइए:

  1. सोमनाथ – गुर्जर प्रतिहार
  2. सेनवंश – लोगों द्वारा चयनित शासक
  3. गोपाल – त्रिपक्षीय संघर्ष
  4. कन्नौज – गुजरात
  5. मध्य- भारत – बिहार

उत्तर-

  1. सोमनाथ – गुजरात
  2. सेनवंश – बिहार
  3. गोपाल – लोगों द्वारा चयनित शासक
  4. कन्नौज – त्रिपक्षीय संघर्ष
  5. मध्य भारत – गुर्जर प्रतिहार

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प्रश्न 2.
दक्षिण के प्रमुख राज्य कौन-कौन थे? उत्तर-दक्षिण के प्रमुख राज्य निम्नलिखित थे :

  1. चोल
  2. चेर
  3. पाण्ड्य
  4. राष्ट्रकूट त!
  5. चालुक्य।

प्रश्न 3.
उस समय के राजा कौन-कौन-सी उपाधियाँ धारण करते थे ?
उत्तर-
उस समय के राजा अनेक और बड़ी-बड़ी उपाधियाँ धारण करते थे, जो उनके द्वारा विजित राजा उनकी अधीनता स्वीकार करते हुए देते थे ।

जैसे : महाराजाधिराज, परमभट्टारक, परमेश्वर त्रिभुवन-चक्रवर्तिन आदि।

प्रश्न 4.
बिहार और बंगाल में किन वंशों का शासन था?
उत्तर-
बिहार और बंगाल में क्रमश सेन तथा पाल वंशों का शासन था।

प्रश्न 5.
तमिल क्षेत्र में किस तरह की सिंचाई व्यवस्था का विकास हुआ?
उत्तर-
सिंचाई के लिए पानी की व्यवस्था हेतु डेल्टाई क्षेत्र में तट बनाए गए और पानी को खेतों तक पहुँचाने के लिए नहरें खोदी गई । सिंचाई के लिये कुंओं की संख्या बढ़ाई गई । वर्षा का पानी बर्बाद न हो, इसलिए उस पानी को एकत्र करने के लिए बड़े-बड़े सरोवर बनाए गए। ये सभी काम योजनाबद्ध तरीके से किए गए। राज कर्मचारियों के साथ स्थानीय किसानों का सहयोग भी लिया गया ।

प्रश्न 6.
कन्नौज शहर तीन शक्तियों के संघर्ष का केन्द्र बिन्दु क्यों बना ?
उत्तर-
कन्नौज उत्तर भारत का एक प्रसिद्ध नगर था, जो कभी हर्षवर्द्धन की राजधानी रह चुका था । इसं नगर पर अधिकार का तात्पर्य था कि वह शासक गंगा-यमुना दोआब के उपजाऊ मैदान पर अधिकार कर लेता तो राजस्व का एक बड़ा जरिया बनता । यहाँ से तीनों में से किन्हीं दो पर बेहतर ढंग से नियंत्रण रखा जा सकता था ।

कन्नौज गंगा के किनारे अवस्थित था, अत: वहाँ से अधिक व्यापारिक कर वसूले जाने की आशा थी । इन्हीं कारणों से कन्नौज गुर्जर-प्रतिहार, राष्ट्रकूट और पाल ये तीनों का केन्द्र बिन्दु बन गया। ये तीनों शक्तियाँ लड़ते-लड़ते पस्त हो गई और तीनों के राज्य समाप्त हो गए।

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प्रश्न 7.
महमूद गजनवी अपनी विजय अभियानों में क्यों सफल रहा?
उत्तर-
महमूद गजनवी अपनी विजय अभियानों में ही लूट अभियानों को अपनाया । उसने जब भी आक्रमण किया तो मंदिरों के साथ बड़े-बड़े नगरों को लूटा । उसने कभी भी भारत में अपने स्थायी शासन की बात नहीं सोची । इन लूट अभियानों में सदैव सफल होते रहने का एकमात्र कारण था कि यहाँ के राजाओं-शासकों में मेल नहीं था । राजपूत यद्यपि शक्तिशाली थे लेकिन उन्होंने आपस में ही लड़ते रहने को अपनी शान समझी । एक राज्य लूटता रहता तो अन्य सभी देखते रहते और अन्दर ही अन्दर प्रसन्न भी होते रहते । उनको इतनी समझ नहीं थी कि यह स्थिति कभी उन पर भी आ सकती है।

और यही हुआ और इसी से महमूद गजनवी अपने अभियानों में सफल होता रहा ।

प्रश्न 8.
सामंतवाद का उदय किस प्रकार हुआ ?
उत्तर-
7वीं से 12वीं शताब्दी के बीच भारत में सामंतवाद का उदय हुआ। उस समय की पुस्तकों तथा अन्य अभिलेखों में सामंत को अनेक नाम दिले गये हैं । जैसे : सामंत, राय, ठाकुर, राणा, रावत इत्यादि । उस समय के राजा जब किसी अन्य राजा को युद्ध में हराता था तो उसके राज्य को अपने राज्य में मिला लेता था । लेकिन लगभग 1000 ई० के आसपास युद्ध में हारे हुए राजा को उस स्थिति में उसके राज्य वापस मिल जाते थे जब बह विजयी राजा की अधीनता मान लेता था ।

बदले में उसे कुछ शर्ते भी माननी पड़ती थीं । पराजित राजा को यह स्वीकार करना पड़ता था कि विजयी राजा उसका स्वामी है और वह विजयी राजा के चरणों में रहने वाला दास है । पराजित राजा विजयी राजा का ‘सामंत’ कहलाता था। इसी प्रकार सामंतवाद का उदय हुआ।

प्रश्न 9.
तत्कालीन राज्यों की प्रशासनिक व्यवस्था आज की प्रशासनिक व्यवस्था से कैसे भिन्न थी ?
उत्तर-
तत्कालीन राज्यों की प्रशासनिक व्यवस्था आज की प्रशासनिक व्यवस्था से बहुत अर्थों में भिन्न थी । आज प्रजातांत्रिक व्यवस्था है जबकि उस समय राजतंत्र था । उस समय के अधिकारी राजा की मर्जी से नियुक्त होते थे जबकि आज प्रशासनिक सेवा के अधिकारी को कड़ी परीक्षा से गुजरना पड़ता है।

तत्कालीन केन्द्रीय शासन से सम्बद्ध अनेक पदाधिकारियों का उल्लेख मिलता है । विदेश विभाग के प्रधान को ‘संधि-विग्रहक’ कहा जाता था,

जबकि आज केन्द्रीय सरकार में खासतौर में एक विदेश विभाग है, जिसकी देख-रेख प्रधान सचिव के हाथ में होता है । इसके ऊपर एक विदेश मंत्री होता है। आज के राजस्व विभाग को वित्त मंत्री के अधीन रखा गया है। इस विभाग में भी मुख्य सचिव के नीचे अधिकारियों, कर्मचारियों का एक समूह काम करता है। ‘आयकर’ विभाग राजस्व विभाग का ही एक अंग है। भाण्डारिक जैसा अधिकारी आज नहीं हुआ करते।

उस समय ‘भांडारिक’ इसलिए हुआ करते थे क्योंकि कर अनाज के रूप में भी वसूला जाता है । उस समय महादण्डनायक होता था जो पुलिस विभाग का प्रधान होता था। लेकिन आज दण्ड देने के लिए न्यायापालिका अलग है। और पुलिस विभाग अलग है। आज पुलिस का काम दोषियों को पकड़ना मात्र है। दंड न्यायपालिकाएं दिया करती हैं। इस प्रकार देखते हैं कि तत्कालीन राज्यों की प्रशासनिक व्यवस्था आज की प्रशासनिक व्यवस्था से कई अर्थों में भिन्न थी।

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प्रश्न 10.
क्या आज भी हमारे समाज में सामंतवादी व्यवस्था के लक्षण दिखाई देते हैं?
उत्तर-
आज दिखाने के लिये तो सामंती व्यवस्था हमारे समाज में नहीं है, लेकिन मध्यकालीन सामंती व्यवस्था से भी अधिक कर सामंतों-सा राजनीतिक बाहुबलियों का उदय हो गया है । ये कुछ न होकर सबकुछ है । सभी बाहुबली किसी-न-किसी राजनीतिक दल के किसी दबंग नेता से जुड़ा है। कुछ बाहुबली तो खास-खास राजनीतिक दलों के किसी-न-किसी पद पर आसीन होकर अपने ओहदे का धौंस दिखाकर जनता का भय दोहन करते हैं।

प्रश्न 11.
मध्यकाल के मंदिर अपने धन-दौलत के लिए काफी प्रसिद्ध थे । भव्यता के दृष्टिकोण से आप अपने पास के मंदिर से तुलना करें।
उत्तर-
धन-दौलत की दृष्टि से आज तिरुपति मंदिर तथा सिरडी का साई राम मंदिर से हम कर सकते हैं । हमारे आस-पास के मंदिरों से यदि तुलना करें तो पटने का महावीर मंदिर किसी भी दृष्टि से भव्यता और धन-धान्य से किसी प्रकार कम नहीं है । आधुनिक काल में निर्मित इस मंदिर में आधुनिकता के पुट है । दान-दक्षिणा में यहाँ भी भारी चढ़ावा चढ़ता है। मंदिर अपनी आय से अनेक समाज सेवा-संस्थान चलाता है ।

प्रश्न 12.
भारत के मानचित्र पर प्रतिहार, पाल और राष्ट्रकूट वंश द्वारा शासित क्षेत्रों को दिखाएँ । वर्तमान समय में भारत के किस भाग में अवस्थित है ?
उत्तर-
Bihar Board Class 7 Social Science History Solutions Chapter 2 नये राज्य एवं राजाओं का उदय 1

Bihar Board Class 7 Social Science नये राज्य एवं राजाओं का उदय Notes

पाठ का सार संक्षेप 

अरब, जो व्यापारिक दृष्टि से गाँव बसाकर रहने लगे थे, आगे चलकर उस क्षेत्र पर अपना राज्य स्थापित कर लिया । इसी समय उत्तर एवं मध्य भारत में राजपूतों का उदय हुआ । इनका उदय गुप्तवंशीय साम्राज्य के पतन के बाद 7वीं से 12वीं सदी के बीच हुआ । परिणाम हुआ कि उत्तर और दक्षिण दोनों ओर के भारतीय क्षेत्रों पर छोटे-छोटे राज्यों का उदय हो गया । हर्षवर्द्धन ने उन छोटे राज्यों को मिलाकर एक बड़ा राज्य बनाने का असफल प्रयास किया ।

आंध्र, सिंध, विदर्भ और कलिंग के राजा नागभट्ट प्रथम के आगे उसी समय हार चुके थे, जब वे राजकुमार थे। उन्होंने कन्नौज के राजा चक्रयुद्ध को भी हरा दिया ।’ उन्होंने वंग, अनंत, मालवा के राजाओं को पराजित किया । कहीं-कहीं शासक प्रजा द्वारा भी नियुक्त किये गए । बंगाल का राजा गोपाल ऐसा ही नियुक्त शासक था । इसने पाल वंश की नींव रखी । कश्मीर में एक महिला शासक भी थों जिनका नाम दिद्दा था, मंत्रियों और सेना की मदद से शासिका बनी थीं ।

व्यापारियों के संगठन के साथ सत्ता में साझेदारी करता था। भू-राजस्व उपज. का तीसरे भाग से लेकर छठे भाग तक वसूला जाता था ।

निम्न वर्गीय लोगों में राज्य पर संकट के समय कुछ करने की भावना नहीं थी । इस काल में परम्परागत चार वर्णों-ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य तथा शूद्र के अलावा अनेक नई जातियों और उपजातियों का प्रादुर्भाव हो गया । अब वर्ण-व्यवस्था जन्मना से हटकर कर्मणा हो गई थी।

महमूद गजनवी की मृत्यु के बाद भी तुर्क और अफगानों का आक्रमण जारी रहा और अंततः वे भारत में स्थायी साम्राज्य की स्थापना में सफल रहे । इस जीत का हीरो मुहम्मद गौरी (गौरी) था । अनेक बार हारने के बाद अंततः वह 1192 में पृथ्वीराज को हराकर दिल्ली तक पहुंच गया और दिल्ली सल्तनत की स्थापना कर लौट गया । तब से दिल्ली में सुल्तानों का शासन आरंभ हुआ ।

उन दिनों दक्षिण भारत में भी अनेक छोटे-छोटे राज्य थे । प्रमुख राज्य राष्ट्रकूट तथा चालुक्य थे । फिर सुदूर दक्षिण में चोल, चेल और चालुक्य और पाण्ड्य प्रमुख थे।

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अंत में चोल राजाओं ने तंजौर के आसपास के क्षेत्र तमिलनाडु से अपना शासन प्रारम्भ किया। धीरे-धीरे पल्लव वंश के शासक आदि को हटाकर उन्होंने अपने को दक्षिण भारत में एक मजबूत साम्राज्य का राजा बना लिया। तंजौर भी इसी के अधीन था । चोल वंश का सबसे प्रसिद्ध राजा राजराज प्रथम और उसका पुत्र राजेन्द्र चोल था। हालाँकि इस राज्य का संस्थापक विजयालय था जिसकी मृत्यु 871 में हो गई । राजेन्द्र चोल एक महत्वाकांक्षी शासक था, जिसने श्रीलंका से लेकर दक्षिण पूर्व एशिया तक अपने राज्य का विस्तार कर लिया । चोल राज्य अब राष्ट्र कहा जाने लगा । प्रशासन की सुविा के लिये सम्पूर्ण राज्य अनेक इकाइयों में बँटा था, जिन्हें मंडलम कहा जाता था ।