Bihar Board Class 8 Hindi Solutions Chapter 5 हुंडरू का जलप्रपात

Bihar Board Class 8 Hindi Book Solutions Kislay Bhag 3 Chapter 5 हुंडरू का जलप्रपात Text Book Questions and Answers, Summary.

BSEB Bihar Board Class 8 Hindi Solutions Chapter 5 हुंडरू का जलप्रपात

Bihar Board Class 8 Hindi हुंडरू का जलप्रपात Text Book Questions and Answers

प्रश्न-अभ्यास

पाठ से

प्रश्न 1.
जैसे हुंडरू का झरना वैसा उसका मार्ग।” इस कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
हुंडरू का झरना अत्यन्त आकर्षक, मनमोहक और आनन्ददायक – है। उसी प्रकार हुंडरू जाने का मार्ग भी आकर्षक, मनमोहक और आनन्ददायक है। मार्ग में बीहड़ जंगल जिसमें हिंसक जीवों की आवाज के साथ-साथ विविध पक्षियों का कलरव मनमोहक लगता है। हरे-भरे खेतों की हरियाली रास्ते का आनन्द और भी बढ़ा देता है। हुंडरू का जल प्रपात से उत्पन्न धवल झाग मन के सारे विकारों को दूर कर देता है।

प्रश्न 2.
हुंडरू का झरना कैसे बना है?
उत्तर:
स्वर्ण-रेखा नदी पहाड़ को पार करने के लिए अनेक भागों में विभक्त हो जाती है। पुनः एक जगह होकर पहाड़ से उतरती है। यह है हुंडरू का झरना जो 243 फीट ऊपर से गिरती है।

प्रश्न 3.
“स्वयं झरने से भी ज्यादा खूबसूरत मालूम होता है, झरने से आगे का दृश्य” उस दृश्य की सुन्दरता का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर:
हुंडरू झरने से भी ज्यादा खुबसूरत मालूम होता है उसके आगे का दृश्य । आगे घाटी है। पहाड़ों के बीच पतली नदी मानो थर्मामीटर का पारा हो। नदी के इर्द-गिर्द पत्थरों का अंवार उस पर झाड़ी। चारों ओर सुन्दरता ही सुन्दरता दिखाई पड़ती है। सम्पूर्ण दृश्य प्राकृतिक है । स्वर्ग जैसा सुख देने वाला हुंडरू के झरने से आगे का दृश्य है।

प्रश्न 4.
प्रस्तुत पाठ के आधार पर समझाइए कि किसी यात्रा-वृतांत को रोचक बनाने के लिए किन-किन बातों पर ध्यान दिया जाना चाहिए?
उत्तर:
प्रस्तुत पाठ “हुंडरू का जल प्रपात” यात्रा-वृतांत है। किसी भी यात्रा-वृतांत को रोचक बनाने के लिए प्राकृतिक सौन्दर्य के साथ-साथ वहाँ के सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक स्थिति का वर्णन भी अनिवार्य है । जैसा कि “हुंडरू का जलप्रपात” शीर्षक पाठ में लेखक ने वर्णन किया है।

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प्रश्न 5.
यहाँ पर एक दृश्य का वर्णन दो प्रकार से किया गया है।
उत्तर:
(क) हुंडरू का पानी कहीं साँप की तरह चक्कर काटता है, कहीं हरिण की तरह छलाँग भरता है और कहीं बाघ की तरह गरजता हुआ नीचे गिरता है।
(ख) हुंडरू का पानी चक्कर काटकर छलाँग भरता हुआ नीचे गिरता इनमें से आपको कौन-सा तरीका अच्छा लग रहा है और क्यों ?

  1. उपरोक्त दो कथनों में मुझे प्रथम कथन का तरीका अच्छा लगता है क्योंकि प्रथम कथन में विशेष्य-विशेषण दोनों का प्रयोग है जबकि दूसरे कथन में विशेषण मात्र प्रयोग हुआ है। .
  2. प्रथम कथन अलंकारपूर्ण है। इसमें उपमा अलंकार का समावेश किया गया है। जैसे – साँप की तरह चक्कर काटना, हिरण की तरह छलांग लगना।

गतिविधि

प्रश्न 1.
बिहार के दर्शनीय स्थानों की सूची बनाइए । प्राकृतिक सम्पदा तथा कृषि को ध्यान में रखते हुए बिहार एवं झारखंड का तुलनात्मक वर्णन कीजिए।
उत्तर:
हमारा बिहार दर्शनीय स्थानों से भरा है। जिसमें-पटना की पटनदेवी, गोलघर, अजायबघर, चिडियाखाना, महावीर मंदिर, अगमकुँआ और गुरुगोविन्द सिंह का जन्म स्थान, इनके अतिरिक्त बक्सर में ताड़का बध स्थान, गोपालगंज में थावे मंदिर सहरसा का चण्डिका स्थान, बेगुसराय का कावर झील, सीतामढ़ी (जनकपुर) में सीता का जन्म स्थान, कुशेश्वर स्थान,

हरिहर : नाथ आदि दर्शनीय स्थल हैं। प्राकृतिक सम्पदा में झारखंड अवश्य आगे है। लेकिन झारखंड में कषि योग्य भूमि की कमी है। कृषि क्षेत्र में हमारे बिहार झारखंड की अपेक्षा आगे है।

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प्रश्न 2.
अपने-अपने गाँव और उसके आस-पास ईख. अरहर. सरसों के लहलहाते फूलों पर मंडराते हुए भौरों को अवश्य देखा होगा। साथ ही आम की मंजरियों पर मकरन्द को चूसते हुए मधुमक्खियों के झुंड एवं आम के पल्लवों के बीच छिपी हई कोयल की कूक भी आपने अवश्य सुनी होगी। इस प्राकृतिक दृश्य को महसूस कीजिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

हुंडरू का जलप्रपात Summary in Hindi

हुंडरू झारखण्ड राज्य के छोटा नागपुर जिले में पड़ता है। राँची से 27 मील की दूरी पर स्थित है-हुंडरू का जलप्रपात । अत्यन्त सुन्दर, मनमोहक यह जलप्रपात है। उसका यात्रा मार्ग भी सुन्दर एवं मनमोहक है।

पहाड़, जंगल, घाटियाँ, नदियों को पार कर हुंडरू के जलप्रपात तक पहुंचा ‘जाता है। आदिवासियों का गीत, पशु-पक्षियों की आवाज से यात्रा आनन्ददायक हो जाता है। हरियाली सम्पन्न वह प्रदेश जादू की तरह मन को मोह लेता है।

कहीं कोयला तो कहीं अबरख के खान मिलते हैं। वहाँ के लोग गरीबऔर सीधे-सादे हैं। हुंडरू का जलप्रपात स्थल शोभा देवलोक जैसा है। 243 फीट ऊँची जगह से गिरता यह प्रपात पहाड़ों को चीरता पत्थर पर जिस समय गिरता है, उसका स्वरूप अत्यन्त आकर्षक दिखता है। पानी गिर-गिरकर 20-20 फीट उछलता है । झरने (प्रपात) से आगे का दृश्य और भी अधिक मोहक है। उससे आगे भी ऊँचे-ऊँचे प्रपात (झरना)

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है लेकिन वहाँ तक पहुँचाना कठिन है। – पहाड़ के ऊपर से नीचे पतली-पतली पगडंडी से चलकर घाटी की शोभा

भी वर्णनीय है। सर्पाकार पतली-पतली नदियों के किनारे रंग-बिरंगे पत्थर विभिन्न आकार-प्रकार में लोगों के लिए नयनाभिराम लगता है। हुंडरू की शोभा प्रकृति प्रदत्त है।

वहाँ दुकानों का आभाव हैं। खाने-पीने की चीज नहीं के बराबर मिलते हैं। प्रपात के पास भयंकर ध्वनि दूर से ही लोगों को आकर्षित कर लेता है।

हुंडरू का जलप्रपात दर्शनीय है।