Bihar Board Class 12th Geography Notes Chapter 21 अंतर्राष्ट्रीय व्यापार
→ विश्व व्यापार में भारत की भागीदारी कुल मात्रा का केवल एक प्रतिशत है।
→ भारत के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का बदलता प्रारूप
- वर्ष 1950-51 में, भारत का वैदेशिक व्यापार का मूल्य 1,214 करोड़ रुपये था, जो कि वर्ष 2016-17 में बढ़कर 44,29,762 करोड़ रुपये हो गया।
- भारत के विदेश व्यापार में तीव्र वृद्धि के कारण–विनिर्माण के क्षेत्र में तीव्र वृद्धि, सरकार की उदार नीतियाँ एवं बाजारों की विविधरूपता
आदि। - गत वर्षों में भारत के व्यापार घाटे में वृद्धि हुई है। घाटे में हुई वृद्धि के लिए उत्तरदायी अपरिष्कृत पेट्रोलियम है।
- भारत में परम्परागत वस्तुओं के व्यापार में गिरावट का प्रमुख कारण मुख्यत: कड़ी प्रतिस्पर्धा है।
- भारत के विदेश व्यापार में मणि-रत्नों तथा आभूषणों की एक व्यापक भागीदारी है।
→ भारत के आयात-संघटन के बदलते प्रारूप
- 1970 के दशक के बाद हरित क्रान्ति में सफलता मिलने पर खाद्यान्नों के आयात पर रोक लगा दी गई।
- खाद्यान्नों के आयात का स्थान उर्वरकों एवं पेट्रोलियम ने ले लिया।
- मशीन एवं उपस्कर, विशेष स्टील, खाद्य तेल तथा रसायन मुख्य रूप से आयात व्यापार की रचना करते हैं।
- पेट्रोलियम तथा इसके उत्पादों के आयात में तीव्र वृद्धि हुई है। इसे न केवल ईंधन के रूप में प्रयुक्त किया जाता है बल्कि इसका प्रयोग उद्योगों में एक कच्चे माल के रूप में भी होता है।
→ व्यापार की दिशा
- भारत ने आगामी वर्षों में अपनी भागीदारी अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में दुगुना करने के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाए हैं (1) आयात उदारीकरण, (2) आयात करों में कमी, (3) विअनुज्ञाकरण, तथा (4) प्रक्रिया से उत्पाद के एकस्व (पेटेन्ट) में बदलाव आदि।
- भारत का सर्वाधिक आयात व्यापार एशिया एवं आसियान देशों के साथ वर्ष 2016-17 में 15,44,520 करोड़ रु० रहा। दूसरे स्थान
पर यूरोप के साथ 4,03,972 करोड़ का रहा। - भारत का अधिकांश विदेशी व्यापार समुद्री एवं वायुमार्गों द्वारा संचालित होता है।
→ समुद्री पत्तन–अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के प्रवेश द्वार के रूप में
- भारत के पूर्वी तट की तुलना में पश्चिमी तट पर अधिक पत्तन हैं।
- वर्तमान में भारत में 12 प्रमुख और 185 छोटे या मझौले पत्तन हैं।
- बड़े पत्तनों के लिए केन्द्र सरकार एवं छोटे पत्तनों के लिए राज्य सरकारें नीतियाँ बनाती हैं।
→ भारत के प्रमुख पत्तन
पश्चिमी तट पर स्थित पत्तन
- कांडला-ज्वारीय पत्तन, गुजरात राज्य में कच्छ की खाड़ी पर स्थित।
- मुम्बई-प्राकृतिक पत्तन, भारत का सबसे बड़ा पत्तन, सालसार द्वीप पर स्थित, महाराष्ट्र राज्य में।
- जवाहरलाल नेहरू पत्तन-मुम्बई के न्हावा-शेवा स्थान पर स्थित, मुम्बई पत्तन के भार को कम करने के लिए विकसित किया गया।
- मार्मागाओ-गोवा के तट पर स्थित प्राकृतिक एवं सुरक्षित बन्दरगाह।
- न्यू मंगलौर-कर्नाटक राज्य का प्रमुख पत्तन।
- कोच्चि-केरल राज्य में स्थित, भारतीय नौसेना के लड़ाकू जलयानों का महत्त्वपूर्ण आश्रय स्थल।
→ पूर्वी तट पर स्थित पत्तन
- कोलकाता-पूर्वी तट का सबसे महत्त्वपूर्ण पत्तन, नदीय पत्तन।
- पाराद्वीप-ओडिशा राज्य में महानदी डेल्टा पर स्थित, पोताश्रय सबसे गहरा।
- विशाखापत्तनम-आन्ध्र प्रदेश में स्थित देश में सर्वाधिक गहरी, स्थलरूढ़ और सुरक्षित बन्दरगाह।
- चेन्नई–कृत्रिम अथवा मानव निर्मित पत्तन, 1859 में निर्माण।
- एन्नोर-चेन्नई पत्तन के बोझ को कम करने के लिए विकसित।
- तूतीकोरिन-तमिलनाडु के दक्षिणी तट पर स्थित, चेन्नई पत्तन के दबाव को कम करने में सहायक।
→ विमान पत्तन या हवाई अड्डे ।
- हवाई जहाजों के उड़ने व उतरने के अधिकृत स्थानों को ‘विमान पत्तन’ कहते हैं।
- वायु परिवहन का उपयोग केवल हल्की व मूल्यवान वस्तुओं के परिवहन के लिए किया जाता है।
- भारत में प्रमुख अन्तर्राष्ट्रीय पत्तन दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता, चेन्नई, अहमदाबाद, अमृतसर, बेंगलुरु, गोवा, गुवाहाटी, हैदराबाद, कोच्चि, श्रीनगर, थिरुवनंथुपरम, जयपुर, कालीकट, पोर्टब्लेयर, नागपुर, तिरुचिरापल्ली तथा कोयम्बटूर में हैं।
→ भारत के प्रमुख अन्तर्राष्ट्रीय पत्तन
- सांताक्रूज और सहारा विमान पत्तन-मुम्बई
- इन्दिरा गांधी अन्तर्राष्ट्रीय विमान पत्तन-नई दिल्ली
- दमदम विमान पत्तन-कोलकाता
- मीनांबकम विमान पत्तन-चेन्नई।
→ अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार–पदार्थों, सेवाओं, कच्चे माल, पूँजी तथा उत्पादित माल आदि को देश की सीमाओं से बाहर विनिमय।
→ निर्यात-किसी देश से दूसरे देश को भेजी गई वस्तुएँ।
→ आयात–किसी देश में दूसरे देश से लायी गई वस्तुएँ।
→ प्रतिकूल व्यापार सन्तुलन-आयात का निर्यात से अधिक होना।
→ अनुकूल व्यापार सन्तुलन-निर्यात का आयात से अधिक होना।
→ व्यापार सन्तुलन-निर्यात और आयात का अन्तर।
→ पत्तन—वह स्थल क्षेत्र होता है जहाँ गोदी (डॉक), घाट तथा सामान उतारने और चढ़ाने की सुविधाएँ होती हैं।
→ पोताश्रय-यह समुद्र का अंशत: स्थल भाग से घिरा हुआ क्षेत्र होता है जिसमें जहाज सुरक्षित खड़े रहते हैं।
→ प्राकृतिक पत्तन-ये कटे-फटे समुद्री तट पर सुरक्षित पत्तन होते हैं।
→ कृत्रिम पत्तन—ये सीधी व सपाट तट रेखा पर अशांत समुद्र की लहरों से असुरक्षित होते हैं, अत: इनकी सुरक्षा के लिए कृत्रिम दीवार बनाई जाती है।
→ प्रमुख पत्तन-10 लाख टन वार्षिक से अधिक यातायात सँभालने वाला पत्तन।
→ विमान पत्तन-हवाई जहाजों के उड़ने या उतरने के अधिकृत स्थान।