Bihar Board Class 12th Geography Notes Chapter 4 मानव विकास

Bihar Board Class 12th Geography Notes Chapter 4 मानव विकास

→ वृद्धि और विकास

  • वृद्धि-वृद्धि मात्रात्मक और मूल्यनिरपेक्ष है। वृद्धि में परिवर्तन धनात्मक अथवा ऋणात्मक हो सकता है।
  • विकास-विकास गुणात्मक और मूल्य सापेक्ष है। विकास सकारात्मक वृद्धि (धनात्मक) के समय होता है। विकास उस समय होता है जब गुणवत्ता में सकारात्मक परिवर्तन होता है।
  • उदाहरण-किसी निर्धारित समय अवधि में यदि किसी देश की जनसंख्या एक करोड़ से बढ़कर दो करोड़ हो जाती है तो हम कहते हैं कि देश की वृद्धि हुई। फिर भी यदि मूलभूत सुविधाएँ भोजन, वस्त्र, आवास आदि पहले के समान ही रहती हैं तब इस वृद्धि के साथ विकास नहीं जुड़ा है।।
  • किसी देश के निवासी जीवन की गुणवत्ता का जो आनन्द लेते हैं, उन्हें जो अवसर उपलब्ध हैं और जिन स्वतन्त्रताओं का वे लोग उपभोग करते हैं, विकास के महत्त्वपूर्ण पक्ष हैं।

→ मानव विकास की अवधारणा

  • मानव विकास की अवधारणा के प्रतिपादक डॉ० महबूब-उल-हक थे। इन्होंने मानव विकास की व्याख्या एक ऐसे विकास के रूप में की जो लोगों के विकल्पों में वृद्धि करता है और उनके जीवन में सुधार लाता है। इस अवधारणा में सभी प्रकार के विकास का केन्द्रबिन्दु मानव है। सार्थक जीवन केवल दीर्घ न होकर उसका कोई उद्देश्य होना आवश्यक है।

→  मानव विकास के महत्त्वपूर्ण पक्ष हैं

  1. दीर्घ एवं स्वस्थ जीवन जीना
  2. ज्ञान प्राप्त कर पाना एवं
  3. शिष्ट जीवन जीने के लिए पर्याप्त साधनों का होना।

→ मानव विकास के केन्द्र बिन्दु

  1. संसाधनों तक पहुँच,
  2. स्वास्थ्य एवं
  3. शिक्षा।

→ मानव विकास के चार स्तम्भ
मानव विकास के चार स्तम्भ हैं –
(1) समता, (2) सतत पोषणीयता, (3) उत्पादकता और (4) सशक्तीकरण।

  1. समता का अर्थ प्रत्येक व्यक्ति को बिना किसी भेदभाव के उपलब्ध अवसरों के लिए समान पहुँच की व्यवस्था का होना है।
  2. सतत पोषणीयता (निर्वहन) का अर्थ है लोगों को विकास करने के अवसर निरन्तर मिलते रहें। सतत पोषणीय मानव विकास तभी होगा जब प्रत्येक पीढ़ी को समान अवसर प्राप्त हों।
  3. उत्पादकता का अर्थ मानव श्रम उत्पादकता अथवा मानव कार्य के सन्दर्भ में उत्पादकता से है। मानव के कार्य करने के तरीकों को उन्नत बनाकर तथा कार्य करने की क्षमताओं का विकास कर . . उत्पादकता में निरन्तर वृद्धि की जा सकती है।
  4. सशक्तीकरण का अर्थ है कि लोगों में अपने विकास चुनने की शक्ति पैदा की जाए। यह शक्ति बढ़ती हुई स्वतन्त्रता, क्षमता और उत्पादकता से आती है।

→ मानव विकास के उपागम ।

मानव विकास की समस्या को देखने और समझने के अनेक ढंग अथवा उपागम हैं, जिनमें चार
महत्त्वपूर्ण हैं (1) आय उपागम, (2) कल्याण उपागम, (3) न्यूनतम आवश्यकता उपागम, (4) क्षमता उपागम।

  1. आय उपागम—यह मानव विकास के सबसे पुराने उपागमों में से एक उपागम है। इस उपागम में आमदनी के बढ़ने को विकास का होना माना जाता है।
  2. कल्याण उपागम-इस उपागम के अनुसार सरकार लोगों के कल्याणकारी कार्यक्रमों; जैसे-शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक सुरक्षा और सुख-सुविधा के साधनों पर अधिक व्यय करके मानव विकास के स्तरों को बढ़ा सकती है। यह उपागम मनुष्य को सभी विकासात्मक गतिविधियों के केन्द्र के रूप में देखता है।
  3. आधारभूत आवश्यकता उपागम–यह उपागम मूलरूप से अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (I.L.O.) की देन है जिसमें मानव विकास के लिए आवश्यक छह न्यूनतम आवश्यकताओं की पहचान की गई है। वे हैं (i) स्वास्थ्य, (ii) शिक्षा, (iii) भोजन, (iv) जलापूर्ति, (v) स्वच्छता और (vi) आवास।
  4. क्षमता उपागम-इस उपागम का समर्थन प्रो० अमर्त्य सेन ने किया है। इसके अनुसार क्षमताओं
    को विकसित किए बिना मनुष्य संसाधनों तक नहीं पहुँच सकता।

→ मानव विकास का मापन

  • मानव विकास सूचकांक (HDI) स्वास्थ्य, शिक्षा और संसाधनों तक पहुँच जैसे प्रमुख क्षेत्रों में निष्पादन के आधार पर देशों का क्रम तैयार करता है।
  • मानव विकास मापन का क्रम 0 से 1 के बीच के स्कोर पर आधारित होता है। स्वास्थ्य का मूल्यांकन करने के लिए चुना गया सूचक जन्म के समय जीवन प्रत्याशा है।
  • उच्चतर जीवन प्रत्याशा का अर्थ है कि लोगों के पास अधिक दीर्घ और अधिक स्वस्थ जीवन जीने का अवसर है।
  • प्रौढ़ साक्षरता दर और सकल नामांकन अनुपात ज्ञान तक पहुँच को प्रदर्शित करते हैं।
  • संसाधनों तक पहुँच को क्रयशक्ति (अमेरिकी डॉलर) के सन्दर्भ में मापा जाता है। . प्रत्येक आयाम को 1/3 भारिता दी जाती है।
  • स्कोर, 1 के जितना अधिक समीप होता है मानव विकास का स्तर उतना ही अधिक होता है।
  • मानव विकास सूचकांक मानव विकास में प्राप्तियों का मापन करता है।

→ मानव गरीबी सूचकांक

  • यह सूचकांक भी मानव विकास सूचकांक से जुड़ा हुआ है।
  • मानव विकास सूचकांक जहाँ मानव विकास की उपलब्धियों को मापता है, वहाँ मानव गरीबी सूचकांक मानव विकास में कमियों को मापता है।
  • यह एक बिना आय वाला माप है जो मानव विकास की कमी दर्शाने के लिए निम्नलिखित पक्षों को मापता है
    1. 40 वर्ष की आयु तक जीवित न रह पाने की सम्भाव्यता।
    2. प्रौढ़ निरक्षरता दर।
    3. स्वच्छ जल तक पहुँच न रखने वाले लोगों की संख्या।
    4. कम भार वाले छोटे बच्चों की संख्या। ।
  • किसी देश में मानव विकास की स्थिति का यथार्थ चित्र प्राप्त करने के लिए मानव विकास के दोनों मापों-मानव विकास सूचकांक (HDI) और मानव गरीबी सूचकांक (HPI) दोनों का संयुक्त अवलोकन आवश्यक होता है।

→ अन्तर्राष्ट्रीय तुलनाएँ

  • प्रदेश के आकार और प्रति व्यक्ति आय का मानव विकास से प्रत्यक्ष सम्बन्ध नहीं है।
  • प्राय: मानव विकास के बड़े देशों की अपेक्षा छोटे देशों का कार्य बेहतर रहा है।
  • डॉ० महबूब-उल-हक और प्रो० अमर्त्य सेन घनिष्ठ मित्र थे। डॉ० हक के नेतृत्व में दोनों ने आरम्भिक ‘मानव विकास प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के लिए कार्य किया था।
  • पाकिस्तानी अर्थशास्त्री डॉ० महबूब-उल-हक ने सन् 1990 में मानव विकास सूचकांक निर्मित किया।
  • नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन ने विकास का मुख्य उद्देश्य स्वतन्त्रता में वृद्धि के रूप में देखा।
  • भूटान विश्व में एकमात्र ऐसा देश है जिसने सकल राष्ट्रीय प्रसन्नता (GNH) को देश की प्रगति का आधिकारिक माप घोषित किया है।

→ उदाहरणत:-श्रीलंका, ट्रिनिडाड और टोबैगो जैसी छोटी अर्थव्यवस्थाओं का मानव विकास सूचकांक भारत से उच्च है।

→ अर्जित मानव विकास मूल्य के आधार पर विश्व के देशों को चार समूहों में बाँटा जा सकता है।
Bihar Board Class 12th Geography Notes Chapter 4 मानव विकास 1

→ अति उच्च मानव सूचकांक वाले देश-मानव विकास प्रतिवेदन, 2016 के अनुसार विश्व में अति उच्च मानव विकास सूचकांक वाले देश 51 हैं। इनका स्कोर 0.8 से ऊपर है। इस समूह के प्रथम 10 देशों की सूची नीचे दी गई है।

Bihar Board Class 12th Geography Notes Chapter 4 मानव विकास 2

→ उच्च मानव विकास सूचकांक वाले देश-मानव विकास प्रतिवेदन, 2016 के अनुसार, विश्व में । उच्च मानव विकास सूचकांक वाले देश 55 हैं। इनका स्कोर 0.701 से 0.799 के बीच होता है।

  • उच्चतर मानव विकास वाले देश वे हैं जहाँ सामाजिक खण्ड में अधिक निवेश हुआ है। लोगों और सुशासन में उच्चतर निवेश ने इस वर्ग के देशों को अलग कर दिया है।
  • उच्च मानव विकास स्कोर वाले देश यूरोप में अवस्थित हैं और वे औद्योगीकृत पश्चिमी विश्व का प्रतिनिधित्व करते हैं।

→ मध्यम मानव विकास सूचकांक वाले देश-मानव विकास के मध्यम स्कोरों (0.550 से 0.700 के बीच) वाले देशों का वर्ग सबसे बड़ा है। इस वर्ग में कुल 41 देश हैं। इस वर्ग के देशों के सम्बन्ध में महत्त्वपूर्ण तथ्य हैं कि –

  • इस वर्ग के देशों का विकास द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद की अवधि में हुआ है।
  • इस वर्ग के कुछ देश पहले कभी साम्राज्यवादी देशों के उपनिवेश हुआ करते थे।
  • अन्य अनेक देशों का विकास सन् 1990 में तत्कालीन सोवियत संघ के विघटन के बाद हुआ।
  • इस वर्ग के अधिकांश देशों में सामाजिक-सांस्कृतिक विविधता अपेक्षाकृत अधिक पायी जाती है।
  • इस वर्ग के अधिकांश देश लोक कल्याणकारी नीतियों को अपनाकर तथा सामाजिक-आर्थिक
    भेदभाव को कम करके तेजी से अपने मानव विकास स्कोर में सुधार कर रहे हैं।

→ निम्न मानव विकास सूचकांक वाले देश-मानव विकास प्रतिवेदन, 2016 के अनुसार, विश्व में निम्न मानव विकास सूचकांक वाले देश 41 हैं। इनका स्कोर 0.549 से नीचे है। इस वर्ग के देशों के सम्बन्ध में महत्त्वपूर्ण तथ्य हैं कि-

  • इसमें से अधिकांश देश छोटे हैं।
  • इस वर्ग के अनेक देश राजनीतिक उपद्रव, गृहयुद्ध के रूप में सामाजिक अस्थिरता, अकाल और रोगों के प्रसरण की अधिक घटनाओं के दौर से गुजर रहे हैं।
  • इन देशों में सुशासन, सुरक्षा तथा कल्याणकारी, योजनाओं में सरकारी निवेश की तत्काल आवश्यकता है।

→ वृद्धि–वृद्धि मात्रात्मक और मूल्य निरपेक्ष है। इसका चिह्न धनात्मक या ऋणात्मक हो सकता है।

→ विकास-विकास का अर्थ गुणात्मक परिवर्तन है जो मूल्य सापेक्ष होता है।

→ मानव विकास-दीर्घजीविता, शिक्षा व उच्च जीवन-स्तर तथा स्वस्थ जीवन के सन्दर्भ में लोगों के विकल्पों को परिवर्धित करने की प्रक्रिया ‘मानव विकास’ है।।

→ आर्थिक विकास-उत्पादन व उत्पादकता के सन्दर्भ में मानव की आय बढ़ाने की प्रक्रिया आर्थिक विकास’ है।

→ समता–प्रत्येक व्यक्ति को उपलब्ध अवसरों के लिए समान पहुँच की व्यवस्था करना ‘समता’ है।

→ निर्वहन—निर्वहन का अभिप्राय है- अवसरों की उपलब्धता में निरन्तरता।

→ सशक्तीकरण सशक्तीकरण का अर्थ-अपने विकल्पों को चुनने के लिए शक्ति प्राप्त करना है।

→ प्रौढ़ साक्षरता-कुल प्रौढ़ जनसंख्या में साक्षर लोगों का अनुपात जो साक्षरता का न्यूनतम स्तर प्राप्त करते हैं।

→ जीवन प्रत्याशा-जीवन प्रत्याशा का अर्थ है-मानव की औसत आयु जिस पर उसकी मृत्यु होती है।

→ सतत पोषणीयता-सतत पोषणीयता का अर्थ है कि अवसरों की सतत प्राप्यता सतत मानव विकास रखने के लिए प्रत्येक पीढ़ी को उन अवसरों को बनाए रखना चाहिए।

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