Bihar Board Class 12th Political Science Notes Chapter 3 समकालीन विश्व में अमेरिकी वर्चस्व

Bihar Board Class 12th Political Science Notes Chapter 2 दो ध्रुवीयता का अन्त

→ सोवियत संघ के विघटन के साथ ही अमेरिकी गुट व सोवियत गुट के मध्य चला आ रहा शीतयुद्ध समाप्त हो गया।

→ शीतयुद्ध की समाप्ति के साथ ही संयुक्त राज्य अमेरिका विश्व की सबसे बड़ी ताकत के रूप में उभरा।

→ संयुक्त राज्य अमेरिका के विश्व की सबसे बड़ी ताकत के रूप में उभरने पर ‘एकध्रुवीय विश्व’ का दौर प्रारम्भ किया।

→ सन् 1991 से ही संयुक्त राज्य अमेरिका ने एक वर्चस्वकारी शक्ति के रूप में व्यवहार करना प्रारम्भ कर दिया था।

→ इराक ने सन् 1990 में कुवैत पर हमला कर अपना अधिकार स्थापित कर लिया।

→ संयुक्त राष्ट्र संघ ने कुवैत को मुक्त कराने के लिए बल प्रयोग की अनुमति प्रदान की।

→ शीतयुद्ध के दौरान अधिकांश मामलों मे चुप्पी साध लेने वाले संयुक्त राष्ट्र संघ का निर्णय (कुवैत के मुक्त कराने के लिए बल प्रयोग की अनुमति) नाटकीय था। संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति ने इसे ‘नई विश्व व्यवस्था’ की संज्ञा दी।

→ कुवैत को इराकी कब्जे से मुक्त कराने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ ने ‘ऑपरेशन डेजर्ट स्टाम’ नामक सैन्य अभियान चलाया, जो एक प्रकार से अमेरिकी सैन्य अभियान ही था। इस युद्ध को ‘प्रथम खाड़ी युद्ध’ की संज्ञा प्रदान की गई।

→ प्रथम खाड़ी युद्ध जीतने के बावजूद सन् 1992 में सम्पन्न हुए अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव में जॉर्ज बुश पराजित हो गए।

→ संयुक्त राज्य अमेरिका ने सन् 1998 में आतंकवादी संगठन ‘अलकायदा’ के सूडान व अफगानिस्तान स्थित ठिकानों पर बमबारी की।

→ 11 सितम्बर, 2001 में संयुक्त राज्य अमेरिका के न्यूयॉर्क स्थित वर्ल्ड ट्रेड सेण्टर पर आतंकवादी हमला हुआ। इस घटना के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका ने आतंकवाद के विरुद्ध विश्वव्यापी युद्ध छेड़ दिया।

→ 19 मार्च, 2003 को संयुक्त राज्य अमेरिका ने ‘ऑपरेशन इराकी फ्रीडम’ के कूटनाम से इराक पर सैन्य आक्रमण किया जिसका मूल उद्देश्य इराक के तेल भण्डार पर नियन्त्रण करना एवं अपनी मनपसन्द सरकार बनवाना था।

→ संयुक्त राज्य अमेरिका की वर्तमान शक्ति की रीढ़ उसकी सैन्य क्षमता है।

→ विश्व राजनीति में अमेरिका का वर्चस्व निम्न रूपों में दिखाई देता है सैन्य शक्ति में, ढाँचागत शक्ति के अर्थ में, आर्थिक वर्चस्व, सांस्कृतिक वर्चस्व और शैक्षणिक वर्चस्व।

→ सम्पूर्ण विश्व की अर्थव्यवस्था में अकेले संयुक्त राज्य अमेरिका की भागीदार 28 प्रतिशत की है तथा विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।

→ विश्व बैंक, अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष एवं विश्व व्यापार संगठन को अमेरिकी वर्चस्व का परिणाम मान सकते हैं।

→ अमेरिकी वर्चस्व के मार्ग की तीन प्रमुख बाधाएँ

  1. अमेरिका की संस्थागत बनावट
  2. अमेरिकी राजनीतिक संस्कृति में शासन के उद्देश्य व तरीकों को लेकर गहरा सन्देह होना,
  3. नाटो के देशों द्वारा अमेरिका को चुनौती मिलने की आशंका।

→ भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के मध्य आर्थिक एवं परमाणु ऊर्जा के मुद्दे पर कई समझौते हुए हैं।

→ भविष्य में भारत, चीन व रूस जैसे बड़े देश अमेरिकी वर्चस्व को चुनौती दे सकते हैं।

→ नई विश्व व्यवस्था-इराक के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा बल प्रयोग की अनुमति दिए जाने को अमेरिकी राष्ट्रपति एच० डब्ल्यू० जॉर्ज बुश (सीनियर) ने नई विश्व व्यवस्था की उपमा दी थी।

→ ऑपरेशन डेजर्ट स्टार्म-प्रथम खाड़ी युद्ध के दौरान 34 देशों की संयुक्त सेना के संयुक्त राष्ट्र संघ
द्वारा समर्थित सैन्य अभियान को ऑपरेशन डेजर्ट स्टार्म की संज्ञा दी गई थी।

→ स्मार्ट बम -प्रथम खाडी यद्ध के दौरान अमेरिका द्वारा प्रयक्त किए गए बमों को स्मार्ट बम कहा गया।

→ अलकायदा-यह एक आतंकवादी संगठन का नाम है।

→ ऑपरेशन एन्डयूरिंग फ्रीडम-यह आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका द्वारा विश्वव्यापी युद्ध के एक अंग के रूप में चलाया गया सैन्य अभियान था।

→ हेगेमनी—यह शब्द किसी एक राज्य के नेतृत्व अथवा प्रभुत्व का आभास कराता है। इस शब्द का प्रयोग एथेंस राज्य की प्रभूता को इंगित करने के लिए किया जाता है।

→ ब्रेटनवुड्स प्रणाली-इसमें वैश्विक व्यापार के नियम निर्धारित किए गए थे जिनको अमेरिकी हितों के अनुकूल बनाया गया था। )

→ नाटो (NATO)-अप्रैल 1949 में संयुक्त राज्य अमेरिका के नेतृत्व में स्थापित संगठन।

→ एच० डब्ल्यू० बुश-प्रथम खाड़ी युद्ध के समय संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति।

→ विलियम जेफर्सन (बिल) क्लिंटन-सन् 1992 के अमेरिका के राष्ट्रपति के चुनाव में विजय प्राप्त करने वाले डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार।

→ सद्दाम हुसैन-19 मार्च, 2003 को अमेरिका द्वारा इराक पर किए गए हमले के समय इराकी राष्ट्रपति।

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