Bihar Board Class 12th Political Science Notes Chapter 7 समकालीन विश्व में सुरक्षा

Bihar Board Class 12th Political Science Notes Chapter 7 समकालीन विश्व में सुरक्षा

→ सामान्यतया द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद की दुनिया को समकालीन विश्व की संज्ञा दी जाती है।

→ सुरक्षा की पारम्परिक व अपारम्परिक धारणाएँ हैं। पारम्परिक धारणा के दो रूप-बाह्य सुरक्षा और आन्तरिक सुरक्षा हैं।

→ बाह्य सुरक्षा की पारम्परिक नीतियों में आत्मसमर्पण, अवरोध, रक्षा, शक्ति सन्तुलन व गठबन्धन करना है।

→ परम्परागत धारणा में किसी देश की सुरक्षा को प्रमुख खतरा देश की सीमा के बाहर से होता है।

→ सुरक्षा की तीन परम्परागत विधियाँ हैं—निःशस्त्रीकरण, अस्त्र नियन्त्रण तथा देशों के बीच विश्वास की बहाली।

→ सुरक्षा की अपारम्परिक धारणा में सैन्य खतरे ही नहीं बल्कि मानवीय अस्तित्व पर प्रहार करने वाले व्यापक खतरों एवं आशंकाओं को शामिल किया जाता है।

→ सुरक्षा की अपारम्परिक धारणा में अभाव तथा भय से मुक्ति पर जोर दिया जाता है।

→ अपारम्परिक सुरक्षा की धारणा में अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद, एड्स एवं बर्ड फ्लू जैसी महामारियाँ, ग्लोबल वार्मिंग, मानवाधिकार उल्लंघन, गरीबी, असमानता तथा शरणार्थियों एवं विस्थापितों की समस्या इत्यादि सुरक्षा के नवीन खतरे हैं।

→ विश्वव्यापी खतरे जैसे वैश्विक ताप वृद्धि, अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद तथा एड्स, बर्ड फ्लू जैसी महामारियों के कारण 1990 के दशक में विश्व
सुरक्षा की धारणा उभरी।

→ सुरक्षा की अपारम्परिक धारणा के दो पक्ष हैं-मानवता की सुरक्षा तथा विश्व सुरक्षा।

→ वर्तमान सन्दर्भ में सहयोगात्मक सुरक्षा पर बल दिया जाता है।

→ सहयोगमूलक सुरक्षा में विभिन्न देशों के अतिरिक्त अन्तर्राष्ट्रीय व राष्ट्रीय स्तर की अन्य संस्थाएँ; जैसे-अन्तर्राष्ट्रीय संगठन, स्वयं सेवी संगठन, निजी संगठन, दानदाता संस्थाएँ, चर्च, धार्मिक संगठन, व्यावसायिक संगठन, निगम तथा जानी-मानी हस्तियाँ शामिल हो सकती हैं। .

→ सुरक्षात्मक मूलक सुरक्षा में अन्तिम उपाय के रूप में बल प्रयोग किया जा सकता है, लेकिन यह बल प्रयोग स्वीकृति से एवं सामूहिक रूप से होना चाहिए।

→ भारत की सुरक्षा नीति के चार प्रमुख घटक हैं-(1) सैन्य क्षमता को मजबूत करना, (2) अन्तर्राष्ट्रीय नियमों एवं संस्थाओं को मजबूत करना, (3) देश की आन्तरिक सुरक्षा-समस्याओं से निबटने की तैयारी, (4) आर्थिक विकास की रणनीति।

→ भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री पं० जवाहरलाल नेहरू ने एशियाई एकता, अनौपनिवेशीकरण एवं निशस्त्रीकरण के प्रयासों का प्रबल समर्थन किया।

→ भारत ने राष्ट्रीय एकता को बनाए रखने के लिए लोकतान्त्रिक राजनीतिक व्यवस्था का पालन किया है।

→ शक्ति सन्तुलन-आपात स्थिति को दृष्टिगत रखते हुए युद्ध की परिस्थिति उत्पन्न होने पर अपने सम्भावित दुश्मन से टक्कर लेने के लिए पहले ही अन्य देशों का सहयोग प्राप्त करके उन्हें अपने पक्ष में बनाए रखना शक्ति सन्तुलन कहलाता है।

→ अपरोध नीति–युद्ध की आशंका रोकने की सुरक्षा नीति को ‘अपरोध नीति’ कहा जाता है।

→ आन्तरिक सुरक्षा-देश के भीतर कानून एवं व्यवस्था कायम रखना जिससे जनसाधारण के जान-माल तथा सम्मान की रक्षा की जा सके।

→ न्याय युद्ध-इसका अर्थ है-सीमित हिंसा का प्रयोग या आत्मरक्षा के लिए युद्ध करना।

→ निशस्त्रीकरण—इसका तात्पर्य हथियारों के निर्माण या इनको प्राप्त करने पर अंकुश लगाना है।

→ अस्त्र-नियन्त्रण-इसका अभिप्राय कुछ विशेष हथियारों के प्रयोग से परहेज करना है।

→ आतंकवाद-आतंकवाद का अर्थ राजनीतिक हिंसा से है जो जान-बूझकर की जाती है। इसका निशाना आम नागरिक होते हैं ताकि समाज में दहशत पैदा हो सके।

→ अप्रवासी-अपनी इच्छा से स्वदेश छोड़ने वाले लोग अप्रवासी कहलाते हैं।

→ मानव अधिकार मानव अधिकार वे अधिकार हैं जो प्रत्येक व्यक्ति को नस्ल, जाति, धर्म, वंश, रंग, लिंग व भाषा आदि के भेदभाव के बिना मिलने चाहिए।

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