Bihar Board Class 12th Political Science Notes Chapter 8 पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन

Bihar Board Class 12th Political Science Notes Chapter 8 पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन

→ समकालीन विश्व राजनीति में पर्यावरण प्रदूषण के खतरे एवं उसके प्रभावों की वजह से पर्यावरण की चिन्ता प्रमुख मुद्दा है।

→ सम्पूर्ण विश्व में कृषि योग्य भूमि में अब कोई वृद्धि नहीं हो रही है बल्कि उर्वरता कम होती जा रही है।

→ पर्यावरण मुद्दों में ग्लोबल वार्मिंग, ओजोन छिद्र की समस्या, समुद्र तटीय क्षेत्रों का प्रदूषण इत्यादि शामिल हैं।

→ प्राकृतिक वन से जलवायु व जल चक्र सन्तुलित बना रहता है।

→ सम्पूर्ण विश्व में समुद्र तटीय क्षेत्रों में प्रदूषण भी निरन्तर बढ़ रहा है जिससे समुद्री पर्यावरण की गुणवत्ता में निरन्तर गिरावट हो रही है।

→ विश्व राजनीति में पर्यावरण के मुद्दे ने 1960 के दशक में राजनीतिक स्वरूप हासिल किया, जिसके समाधान हेतु विभिन्न अन्तर्राष्ट्रीय प्रयास हुए, जिनमें सन् 1992 का ‘पृथ्वी सम्मेलन’ प्रमुख है।

→ सन् 1992 में पृथ्वी सम्मेलन ब्राजील के रियो-डी-जेनेरियो में हुआ।

→ रियो सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता एवं वानिकी के सम्बन्ध में कई नियमों का निर्धारण किया गया। इसमें एजेण्डा-21 के तहत विकास के कुछ तौर-तरीके भी सुझाए गए।

→ विश्व के कुछ क्षेत्र किसी एक देश के सम्प्रभु क्षेत्राधिकार से बाहर होते हैं। इनका प्रबन्धन साझे तौर पर अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा किया जाता है। ऐसे क्षेत्रों में पृथ्वी का वायुमण्डल, अण्टार्कटिका, समुद्री सतह एवं बाह्य अन्तरिक्ष शामिल हैं।

→ वैश्विक सम्पदा की सुरक्षा के लिए कई समझौते हो चुके हैं जिनमें अण्टार्कटिका सन्धि (1959), माण्ट्रियल न्यायाचार (प्रोटोकॉल 1987)
एवं अण्टार्कटिका पर्यावरण न्यायाचार (1991) आदि हैं।

→ कार्बन डाइ-ऑक्साइड, मीथेन तथा क्लोरोफ्लोरो कार्बन गैसें वैश्विक ताप वृद्धि (ग्लोबल वार्मिंग) में अहम भूमिका का निर्वाहन करती हैं।

→ विश्व में बढ़ते औद्योगीकरण के दौर को वर्तमान वैश्विक ताप वृद्धि एवं जलवायु परिवर्तन का जिम्मेदार माना जाता है।

→ भारत ने पर्यावरण सम्बन्धी क्योटो प्रोटोकॉल पर सन् 2002 में हस्ताक्षर कर दिए हैं।

→ भारत के अनुसार ग्रीन हाऊस गैसों के रिसाव की ऐतिहासिक एवं वर्तमान जवाबदेही विकसित देशों की है।

→ भारत में बाँधों के खिलाफ नर्मदा बचाओ आन्दोलन तथा वनों की रक्षा हेतु चिपको आन्दोलन प्रमुख हैं।

→ विश्व राजनीति में जल एक महत्त्वपूर्ण संसाधन है। विश्व के कुछ भागों में स्वच्छ जल की लगातार कमी होती जा रही है तथा विश्व के प्रत्येक भाग में स्वच्छ जल मौजूद नहीं है।

→ मूलवासियों का प्रश्न पर्यावरण, संसाधन एवं राजनीति को एक साथ जोड़ देता है।

→ संयुक्त राष्ट्र संघ की परिभाषा के अनुसार मूलवासी ऐसे लोगों के वंशज है जो किसी मौजूदा देश में बहुत दिनों से निवास करते हैं।

→ सन् 1975 में ‘वर्ल्ड काउंसिल ऑफ इण्डिजिनस पीपल’ का गठन किया गया। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा सर्वप्रथम इस परिषद् को परामर्शदात्री परिषद् का दर्जा दिया गया।

→ पर्यावरण-आस-पास की परिस्थिति अथवा परिवेश जिसमें मानव रहता है, वस्तुएँ मिलती हैं तथा उनका विकास होता है। पर्यावरण में प्राकृतिक व सांस्कृतिक दोनों के तत्त्वों का समावेश होता है।

→ प्राकृतिक संसाधन-प्रकृति से प्राप्त उपजाऊ मिट्टी, अनुकूल जलवायु, वनस्पति, जल, खनिज एवं ईंधन, सौर ऊर्जा, मछली एवं वन्य प्राणी इत्यादि विभिन्न उपहार।

→ विश्व की साझी विरासत-वह प्राकृतिक प्रदेश अथवा भू-भाग या सम्पदा जिस पर सम्पूर्ण मनुष्य जाति या विश्व का अधिकार हो, उदाहरणार्थ-अण्टार्कटिका तथा पृथ्वी के ध्रुवीय क्षेत्र तथा बाह्य अन्तरिक्षा

→ मूलवासी–जनता का वह भाग जो किसी वन प्रदेश अथवा अन्य भू-भाग में आदिकाल से निवास करते चले आ रहे हों, वह सम्बन्धित क्षेत्र के मूलवासी कहलाते हैं।

→ यू०एन०एफ०सी०सी०सी०-यूनाइटेड नेशन्स फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज, जिसका प्रकाशन सन् 1992 में हुआ। ये जलवायु के परिवर्तन से सम्बन्धित संयुक्त राष्ट्र संघ के नियम हैं।

→ संरक्षण-पर्यावरण के साथ-साथ उसका प्रभावी उपयोग तथा प्राकृतिक संसाधनों का बिना किसी बर्बादी के उपयोग करना संरक्षण कहलाता है।

→ प्रदूषण—यह वह तत्त्व है जो जीवित जीवों या उनके द्वारा निर्मित ढाँचों को हानि पहुँचाता ।

Bihar Board Class 12th Political Science Notes